नामित बैंकों/एजेंसियों/एंटिटीज़ द्वारा स्वर्ण का आयात - आरबीआई - Reserve Bank of India
नामित बैंकों/एजेंसियों/एंटिटीज़ द्वारा स्वर्ण का आयात
भारिबैंक/2013-14/187 14 अगस्त 2013 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक जो विदेशी मुद्रा के प्राधिकृत व्यापारी हैं/ महोदया/महोदय, नामित बैंकों/एजेंसियों/एंटिटीज़ द्वारा स्वर्ण का आयात प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान, उल्लिखित विषय पर रिज़र्व बैंक के 22 जुलाई 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.15 की ओर आकृष्ट किया जाता है। घरेलू क्षेत्र में उपयोग के लिए स्वर्ण के आयात हेतु अनुमत नामित बैंकों/नामित एजेंसियों/प्रीमियर अथवा स्टार ट्रेडिंग गृहों/एसईजेड ईकाइयों/निर्यातोन्मुखी ईकाइयों द्वारा स्वर्ण के विभिन्न रूपों में आयात पर इन अनुदेशों के अनुसार कतिपय प्रतिबंध लगाए गए थे। 2. उल्लिखित परिपत्र के अनुसार लागू की गयी आयात योजना के परिचालनीय पहलुओं के संबंध में स्पष्टीकरण के लिए अनेक अनुरोध भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक को प्राप्त होते रहे हैं। इस योजना के कतिपय पहलुओं में परिवर्तन के लिए अभ्यावेदन भी मिले हैं। इन सभी अभ्यावेदनों पर विचार करते हुए और भारत सरकार के परामर्श से, यह निर्णय लिया गया है कि पहले से जारी सभी अनुदेशों को अधिक्रमित करते हुए निम्नलिखित स्पष्टीकरण/संशोधन जारी किए जाएं: ए) सिक्कों एवं मेडल (मेडोलियन्स) के रूप में स्वर्ण के आयात पर अब प्रतिबंध लगा दिया गया है। बी) यह सुनिश्चित करने का दायित्व सभी नामित बैंकों/नामित एजेंसियों और अन्य एंटिटीज़ का होगा कि देश में आयातित स्वर्ण की प्रत्येक खेप (lot) का कम से कम 1/5 भाग अर्थात 20% विशेष रूप से निर्यात के प्रयोजन हेतु और शेष घरेलू उपयोग के लिए उपलब्ध हो। मौजूदा अनुदेशों के अनुसार परिकल्पित 20/80 योजना के काम करने (वर्किंग) के स्वरूप का उदाहरण संलग्नक में दिया गया है। इसकी निगरानी सीमा-शुल्क (customs) अधिकारियों द्वारा की जाएगी और उसे केवल पोर्ट-वार लागू किया जाएगा। सी) इसके अलावा, नामित बैंक/नामित एजेंसियां और अन्य एंटिटीज़ केवल आभूषण कारोबार में संलग्न एंटिटीज़/बुलियन डीलरों और स्वर्ण जमा योजना को लागू करने के लिए प्राधिकृत बैंकों को पहले पूरा भुगतान करने की शर्त पर घरेलू उपयोग हेतु स्वर्ण उपलब्ध कराएंगी। दूसरे शब्दों में, पहले पूरा भुगतान करने की शर्त से भिन्न रूप में घरेलू उपयोगकर्ताओं को किसी भी रूप में स्वर्ण की आपूर्ति करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। डी) नामित बैंक/एजेंसियां/रिफाइनरियां/अन्य एंटिटीज़ यह सुनिश्चित करेंगी कि आयात, विशेषकर पहली और दूसरी खेप के आयात पर, कोई फ्रंट-लोडिंग न हो। इस तरह के आयात नामित बैंकों/एजेंसियों द्वारा निर्यातकों को की गई स्वर्ण-आपूर्ति की सामान्य मात्रा से संबद्ध होंगे और पिछले तीन वर्षों में से किसी भी एक वर्ष के दौरान आपूर्त उच्चतम मात्रा से अधिक नहीं होंगे। हालांकि, इस प्रकार आकलित मात्रा केवल एक या दो खेप में आयात नहीं की जाएगी। व्यावहारिक तौर पर, किसी खेप में निर्यातक की अधिकतम दो महीने की आयात आवश्यकताओं से अधिक मात्रा अनावश्यक समझी जाएगी। उदाहरण के रूप में मान लीजिए किसी निर्यातक को पिछले तीन वर्षों के दौरान किसी बैंक ने क्रमशः 30 टन, 40 टन और 60 टन स्वर्ण की आपूर्ति की है, तो इस परिपत्र में दी गई शर्त के तहत गत तीन वर्षों में से अधिकतम अर्थात 60 टन पर आयात की मात्रा आधारित होगी। इसके अलावा, 50 टन (दो महीने के निर्यात के लिए 10 टन निर्यात हेतु और उसके 4 गुने राशि घरेलू उपयोग के लिए अर्थात कुल 50 टन) का आयात असामान्य समझा जाएगा। यदि नामित बैंकों के पास निर्यातकों को की गई पिछली स्वर्ण आपूर्ति का कोई रिकार्ड न हो, तो 20/80 योजना के तहत स्वर्ण की पहली खेप के लिए आयात का आदेश देने से पहले उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी आवश्यक होगी। ई) अर्ध-शुद्ध स्वर्ण चांदी मिश्रित धातु (dore) सहित किसी भी रूप में/शुद्धता में अब से स्वर्ण के आयात पर 20/80 का सिद्धांत भी लागू होगा, जिससे आयातित स्वर्ण का 20 प्रतिशत हिस्सा निर्यातकों को उपलब्ध कराया जा सके। ऐसे आयात के समय प्रत्येक परेषण (consignment) हेतु इसे लागू करने एवं निगरानी करने का कार्य रिफाइनरी के स्तर पर किया जाएगा। इसकी निगरानी सीमा-शुल्क अधिकारियों द्वारा भी की जाएगी। आभूषण कारोबार में संलग्न एंटिटीज़/बुलियन डीलरों और स्वर्ण जमा योजना को लागू करने के लिए प्राधिकृत बैंकों को, पहले पूरा भुगतान करने की शर्त पर, केवल घरेलू उपयोग हेतु रिफाइनरी स्वर्ण उपलब्ध कराएगी और किसी अन्य रूप में भुगतान के तहत स्वर्ण की बिक्री की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, विदेशी व्यापार महानिदेशलाय द्वारा जारी लाइसेंस पर ही स्वर्ण डोर (dore) के आयात की अनुमति दी जाती है। एफ) किसी प्राधिकार जैसे अग्रिम प्राधिकार/शुल्क मुक्त आयात प्राधिकार (DFIA) का उपयोग केवल निर्यात के उद्देश्यों से स्वर्ण के आयात के लिए किया जाना है और उसे घरेलू उपयोग के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी। 3. एसईज़ेड स्थित एंटिटीज़/इकाइयों और ईओयू, प्रीमियर और स्टार ट्रेडिंग गृहों को केवल निर्यात के उद्देश्य से विशेष रूप से स्वर्ण का आयात करने की अनुमति दी जाती है। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे व्यावहारिक तौर पर यह सुनिश्चित करें कि उनके घटकों (constituents) द्वारा/के लिए किए गए विदेशी मुद्रा लेनदेन इन अनुदेशों के अनुरूप (अनुपालन में) हैं। नामित एजेंसियों के प्रधान कार्यालय/बैंकों के अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रभाग अपने विभिन्न केंद्रों पर किए गए लेनदेनों सहित संशोधित योजना के परिचालन की निगरानी के लिए उत्तरदायी होंगे। निर्यात के प्रयोजन हेतु जारी स्वर्ण के संबंध में, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक मौजूदा विनियमों के अनुसार निर्यात आगम राशि की वसूली पर नजर रखने के लिए विशेष तंत्र (मेकैनिस्म) स्थापित करेंगे और इस संबंध में किसी भी उल्लंघन/असामान्य घटनाक्रम को वे भारतीय रिजर्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को तत्काल सूचित करेंगे। 5. स्वर्ण के आयात के लिए उपर्युक्त अपेक्षाओं के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए भारत सरकार द्वारा सीमा-शुल्क अधिकारियों/डीजीएफटी को अलग से अनुदेश, यदि कोई हों, जारी किए जाएंगे। 6. उल्लिखित अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) स्वर्ण के आयात के लिए 20/80 योजना के काम करने के स्वरूप (working) का उदाहरण:
नोट: किसी भी रूप में/शुद्धता में स्वर्ण का आयात करने वाली और स्वर्ण डोर (dore) के मामले में भी रिफाइनरियों और किसी अन्य स्वर्ण आयातक एंटिटी द्वारा इसी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। |