ऋण के रूप में स्वर्ण का आयात - ऋण की अवधि तथा आपाती (Stand By) साख पत्र खोलना - आरबीआई - Reserve Bank of India
ऋण के रूप में स्वर्ण का आयात - ऋण की अवधि तथा आपाती (Stand By) साख पत्र खोलना
भारिबैंक/2011-12/411 27 फरवरी 2012 सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, ऋण के रूप में स्वर्ण का आयात- प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंकों का ध्यान 18 फरवरी 2005 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 34 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसमें किए गए उल्लेखानुसार भारत सरकार की विदेश व्यापार नीति 2004-2009 के अनुसार विनिर्माण और निर्यात के लिए 60 दिनों और कीमत निर्धारण तथा स्वर्ण ऋण की अदायगी के लिए + 180 दिनों को मिलाकर स्वर्ण ऋण की अधिकतम अवधि 240 दिन अधिसूचित की गयी थी तथा ऋण के रूप में स्वर्ण के आयात के लिए आपाती (Stand By) साखपत्र की अवधि, जहाँ कहीं आवश्यक हो, उपर्युक्तानुसार स्वर्ण ऋण की अवधि के अनुरूप होनी चाहिए । 2. इसी संदर्भ में, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंकों का ध्यान विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2009-14 की हैंड बुक ऑफ प्रोसिजर्स (एचबीपी) में खंड । के पैरा 4ए 23.2 तथा पैरा 4ए 23.3 की ओर भी आकर्षित किया जाता है, जिसमें यह बताया गया है कि ''ऋण के रूप में लिए गए स्वर्ण के रिलीज की तारीख से 90 दिनों की अधिकतम अवधि के भीतर निर्यात पूर्ण किये जाने चाहिए'', और यह भी कि, ''निर्यातक को, कीमत निर्धारित करने तथा निर्यात की तारीख से 180 दिनों के भीतर स्वर्ण ऋण चुकाने के लिए लचीलापन (Flexibility) उपलब्ध होना चाहिए'' । तदनुसार, वर्तमान में, स्वर्ण ऋण की अधिकतम अवधि विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2009-14 के अनुसार, 270 दिन (अर्थात् 90 दिन विनिर्माण और निर्यात के लिए + 180 दिन कीमत निर्धारण तथा स्वर्ण ऋण की चुकौती के लिए) होती है । 3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक, तदनुसार, अनुपालन हेतु इन बातों को नोट करें कि (i) स्वर्ण ऋण की अधिकतम अवधि, विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2009-14 अथवा इस संबंध में समय- समय पर भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किये अनुसार होनी चाहिए और (ii) ऋण के रूप में स्वर्ण के आयात के लिए, आपाती (Stand By) साख पत्र की अवधि, जहाँ कहीं आवश्यक हो, स्वर्ण ऋण की अवधि के अनुरूप ही होनी चाहिए । 4. 18 फरवरी 2005 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 34 की अन्य सभी शर्तें यथावत बनी रहेंगी । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें । 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (रश्मि फौज़दार) |