भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों की रिपोर्टिंग के लिए वार्षिक विवरणी की शुरुआत करना और फार्म एफसी-जीपीआर के भाग "बी" के प्रस्तुतीकरण को बंद करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों की रिपोर्टिंग के लिए वार्षिक विवरणी की शुरुआत करना और फार्म एफसी-जीपीआर के भाग "बी" के प्रस्तुतीकरण को बंद करना
भारिबैं/2010-11/427 15 मार्च 2011 सभी श्रेणी I के प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों की रिपोर्टिंग के लिए वार्षिक विवरणी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (AD Category-I) बैंकों का ध्यान 20 अप्रैल 2007 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 40 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें, अन्य बातों के साथ-साथ, यह विनिर्दिष्ट किया गया था कि वित्तीय वर्ष के दौरान किसी कंपनी में किए गए सभी निवेशों के संबंध में वार्षिक विवरणी भाग "बी" में निदेशक, भुगतान संतुलन सांख्यिकी प्रभाग, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, सी-9, 8वीं मंज़िल, बांद्रा-कुर्ला संकुल, बांद्रा (पूर्व), मुंबई-400051 को प्रति वर्ष 30 जून तक सीधे प्रस्तुत की जाए। 2. आवक एवं जावक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से संबंधित सांख्यिकी को और विशदता के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम व्यवहार के अनुसार एकत्रित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि फार्म एफसी-जीपीआर के भाग "बी" के बदले उसे अनुबंध I में दी गई "विदेशी देयताएं और परिसंपत्तियाँ" नामक वार्षिक विवरणी से प्रतिस्थापित किया जाए। यह विवरणी निदेशक, भुगतान संतुलन सांख्यिकी प्रभाग, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, सी-9, 8वीं मंज़िल, बांद्रा-कुर्ला संकुल, बांद्रा(पूर्व), मुंबई-400051 को प्रति वर्ष 15 जुलाई तक प्रस्तुत की जाए। इसके अलावा यह विवरणी उन सभी भारतीय कंपनियों द्वारा प्रस्तुत की जाएगी जिन्होंने चालू वर्ष के अलावा विगत वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त किया है और/या विदेश में प्रत्यक्ष निवेश (वाह्य निवेश) किया है। "विदेशी देयताएं और परिसंपत्तियों" संबंधी वार्षिक विवरणी भरने में सरलता के लिए अवधारणाओं और परिभाषाओं को अनुबंध II में दिया गया है। 3. ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (AD Category-I) बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं। 4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवास करने वाले व्यक्ति द्वारा सिक्युरिटी के अंतरण या जारी करने संबंधी) विनियमावली, 2000 और विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी सिक्युरिटी के अंतरण या जारी करने संबंधी) विनियमावली, 2004 क्रमश: 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी और 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा. 120/2000 के द्वारा जारी की गई थीं। इस संबंध में संशोधन करने वाली अधिसूचनाएं अलग से जारी की जा रही है। 5. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999(1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय, (मीना हेमचंद्र) |