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भारत में ब्याज दर ऑप्शन्स आरंभ किया जाना

भारिबैं/2016-17/199
एफएमआरडी.डीआइआरडी.12/14.01.011/2016-17

29 दिसंबर 2016

सभी पात्र बाजार प्रतिभागी

प्रिय महोदय/महोदया

भारत में ब्याज दर ऑप्शन्स आरंभ किया जाना

जैसाकि चतुर्थ द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2016-17 में घोषणा की गयी थी, यह निर्णय लिया गया है कि भारत में ब्याज दर ऑप्शन्स आरंभ किया जाये ।

2. तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक अधिसूचना सं.एफएमआरडी.डीआइआरडी 11/2016 दिनांक 28 दिसंबर 2016 जारी की है, जिसमें ब्याज दर ऑप्शन्स प्रारंभ करने से संबंधित निदेश के ब्यौरे दिये गये हैं । पात्र बाजार प्रतिभागियों को अनुमति है कि वे अपने स्वयं के तुलनपत्र प्रबंधन के लिए और मार्केट मेकिंग प्रयोजन के लिए पोजिशन लें । तथापि, जो प्रतिभागी मार्केट मेकर्स के रूप में पात्र हैं, उन्हें सूचित किया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि युक्तियुक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर और जोखिम प्रबंधन प्रणालियाँ उपलब्ध होती हैं ।

3. ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय ।।। डी की धारा 45 डब्लू के अंतर्गत जारी किये गये हैं ।

4. ब्याज दर ऑप्शन्स (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016, जो आरबीआइ के वेबसाइट पर दिया गया है, की एक प्रतिलिपि संलग्न है ।

5. ये निदेश 31 जनवरी 2017 से प्रभावी होंगे ।

भवदीय,

(टी. रबिशंकर)
मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
वित्तीय बाजार विनियमन विभाग
दूसरी मंजिल, केंद्रीय कार्यालय फोर्ट
मुम्बई – 400 001

ब्याज दर ऑप्शन्स (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016

अधिसूचना सं. एफएमआरडी.डीआइआरडी.11/2016 दिनांक 28 दिसंबर 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक लोकहित में आवश्यक समझते हुए और देश के हित में वित्तीय प्रणाली को विनियमित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45यू और 45डब्लू द्वारा प्रदत्त शक्तियों का और उन सभी शक्तियो का प्रयोग करते हुए, जो इसके लिए उसे समर्थ बनाती हैं, इसके द्वारा निम्नलिखित निदेश देता है

1. संक्षिप्त नाम और निदेशों का प्रारंभ

1.1 इन निदेशों को ब्याज दर ऑप्शन्स (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के रूप में निर्दिष्ट किया जायेगा ।

1.2 ये निदेश 31 जनवरी 2017 से प्रवृत्त होंगे ।

2. परिभाषाएँ

2.1 कोई ऑप्शन्स एक संविदा होती है, जहाँ ऑप्शन्स के क्रेता को अधिकार होता है, लेकिन बाध्यता नहीं होती है कि वह या तो आधार लिखत का क्रय (कॉल ऑप्शन) या विक्रय (पुट ऑप्शन) करे और ऑप्शन का विक्रेता (या लेखक) उसी आधार लिखत को पहले ही तय पायी गयी कीमत/दर पर (तय कीमत/दर के रूप में ज्ञात) विक्रय (कॉल ऑप्शन) या क्रय (पुट ऑप्शन) एक निश्चित समयावधि के दौरान या भविष्य़ में किसी विनिर्दिष्ट तिथि (प्रयोग तिथि) को करने के लिए बाध्य होता है ।

2.2 ब्याज दर ऑप्शन्स वे संविदाएँ होती हैं, जिनका मूल्य़ रुपया ब्याज दर या रुपया ब्याज दर लिखतों पर आधारित होता है ।

2.3 ब्याज दर कैप एक ब्याज दर ऑप्शन होता है, जिसमें ऑप्शन का क्रेता उस समय पूर्ण भुगतान प्राप्त करता है, जब संदर्भ दर समाप्ति तिथि को तय दर से अधिक होती है । तुलनीय रूप से, ब्याज दर फ्लोर ब्याज दर ऑप्शन होता है, जिसमें ऑप्शन का क्रेता उस समय पूर्ण भुगतान प्राप्त करता है, जब समाप्ति तिथि को संदर्भ दर तय दर के नीचे होती है ।

2.4 ब्याज दर कॉलर्स वे डेरिवेटिव संविदाएँ होती हैं, जहाँ बाजार प्रतिभागी समान परिपक्वता अवधि के लिए समान संदर्भ दर पर और कल्पित मूलधन राशि के लिए एक साथ कोई ब्याज दर कैप क्रय करता है और ब्याज दर फ्लोर विक्रय करता है । रिवर्स ब्याज दर कॉलर एक डेरिवेटिव संविदा होती है, जिसमें समान परिपक्वता अवधि के लिए समान संदर्भ दर पर और कल्पित मूलधन राशि के लिए एक साथ ब्याज दर फ्लोर का क्रय और ब्याज दर कैप का विक्रय किया जाता है ।

2.5 जिन शब्दों और अभिव्यक्तियों का प्रयोग किया गया है, लेकिन उन्हें परिभाषित नहीं किया गया है, उनका अर्थ वही होगा, जो उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में दिया गया है ।

3. स्थान

3.1 ब्याज दक ऑप्शन्स को सेबी द्वारा प्राधिकृत एक्सचेंजों में और ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) बाजार में अनुमति होती है ।

3.2 किसी ब्याज दर ऑप्शन को आरंभ किये जाने के पहले एक्सचेंज रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करेंगे ।

4. आइआरओ के प्रकार

पात्र संस्थाएँ साधारण युरोपियन कॉल और पुट ऑप्शन, ब्याज दर कैप, ब्याज दर फ्लोर या कॉलर्स में लेन देन कर सकती हैं । किसी युरोपियन ऑप्शन का प्रयोग केवल ऑप्शन की समाप्ति तिथि, अर्थात्, एकल पूर्व-परिभाषित तिथि को किया जा सकता है ।

5. आधार (Underlying)

बाजार के व्यवस्थित विकास के लिए निर्धारित आय मुद्रा बाजार और डेरिवेटिव संघ (एफआइएमएमडीए) बाजार प्रतिभागियों के साथ परामर्श करते हुए, वस्तुनिष्ठ एवं पारदर्शी रुपया मुद्रा या ऋण बाजार दरों या लिखतों की एक सूची प्रकासित करेगा, जिनका उपय़ोग ओटीसी बाजार और स्टॉक एक्सचेंजों में ब्याज दर ऑप्शन संविदाओं के लिए आधार के रूप में किया जा सकता है ।

6. प्रतिभागी

6.1 मार्केट मेकर्स : बैंक और प्राथमिक व्यापारी (पीडी) मार्केट मेकर्स के रूप में कार्य कर सकते हैं । अन्य विनियमित संस्थागत प्रतिष्ठान मार्केट मेकर्स के रूप में सहभागिता कर सकते हें, बशर्ते कि उनके अपने-अपने विनियामकों ने इसका अनुमोदन किया हो ।

6.2 उपयोगकर्ता : अंतर्निहित ब्याज दर जोखिम वाले सभी प्रतिष्ठान ‘ उपयोगकर्ता ‘ के रूप में सहभागिता कर सकते हैं, अर्थात्, वे अतर्निहित जोखिम से बचाव के लिए ब्याज दर ऑप्शन संविदा कर सकते हैं । ‘ उपयोगकर्ताओं ‘ को ब्याज दर ऑप्शन्स में निवल शॉर्ट पोजिशन लेने की अनुमति नहीं दी जायेगी ।

7. ओटीसी लेन देनों की रिपोर्टिंग

7.1 मार्केट मेकर्स के बीच निष्पादित सभी ओटीसी लेन देनों की रिपोर्ट व्यापार किये जाने के 30 मिनट के भीतर सीसीआइएल की ट्रेड रिपोजिटरी को की जायेगी ।

7.2 सभी मार्केट मेकर्स ग्राहकॉं के साथ किये गये लेन देन की रिपोर्ट उसी दिन कारौबार की समाप्ति के बाद सीसीआइएल की ट्रेड रिपोजिटरी को करेंगे ।

8. ओटीसी में किये गये लेन देनों का निपटान

8.1 मार्केट मेकर्स के बीच निष्पादित ओटीसी लेन देनों का निपटान द्विपक्षीय रूप से या आरबीआई द्वारा इस प्रयोजन के लिए अनुमोदित किसी समाशोधन व्यवस्था के माध्यम से किया जायेगा ।

8.2 ब्याज दर ऑप्शन्स में ओटीसी लेन देनों के लिए निपटान का आधार और अन्य बाजार परंपराओं को एफआइएमएमडीए द्वारा, बाजार प्रतिभागियों के साथ परामर्श करते हुए, विनिर्दिष्ट किया जायेगा ।

8.3 फाइनैंसियल बेंचमार्क इंडिया प्रा,लि. (एफबीआइएल) संदर्भ दर/आस्ति/डेरिवेटिव के लिए, जैसी भी स्थिति हो, दरों/कीमतों का प्रकाशन करेगा, ताकि ओटीसी बहाजार में निपटान मूल्य प्राप्त किया जा सके ।

9. अन्य शर्तें

डेरिवेटिवों के संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश, जो परिपत्र सं.डीबीओडी .बीपी. बीसी.86/21.04.157/2006-07 दिनांक 20 अप्रैल 2007 को जारी किये गये थे, जिन्हें समय समय पर अद्यतन किया जाता है, जिसमें बोर्ड अनुमोदित ‘ सुटेबिलिटी एंड एप्रोप्रिएटनेस पॉलिसी ‘ शामिल है, आवश्यक परिवर्तनों के साथ सभी मार्केट मेकर्स द्वारा संकलित किये जायेंगे ।

(टी. रबिशंकर)
मुख्य महाप्रबंधक

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