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सेबी (एफवीसीआई) विनियमावली, 2000 के अंतर्गत पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशकों (एफवीसीआई) द्वारा निवेश

भा.रि.बैंक/2016-17/89
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.07

20 अक्तूबर 2016

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक

महोदया/महोदय,

सेबी (एफवीसीआई) विनियमावली, 2000 के अंतर्गत पंजीकृत
विदेशी जोखिम पूंजी निवेशकों (एफवीसीआई) द्वारा निवेश

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्रा.व्या. श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित अधिसूचना सं॰ फेमा 20/2000-आरबी के मार्फत अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (मूल विनियमावली) की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. सेबी के पास पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशकों (एफ.वी.सी.आई.) द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश मूल विनियमावली की अनुसूची-6 के प्रावधानों के अधीन आते हैं। विदेशी जोखिम पूंजी निवेशकों (एफ.वी.सी.आई.) हेतु निवेश व्यवस्था को और उदार एवं युक्तिसंगत बनाने तथा स्टार्टअप्स में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार के परामर्श से वर्तमान विनियामक प्रावधानों की समीक्षा की गई और तदनुसार विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (तृतीय संशोधन) विनियमावली, 2016 के मार्फत मूल विनियमावली विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची-6 में संशोधन किया गया है।

3. ऊपर उल्लिखित संशोधित अधिसूचना के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (एफ.वी.सी.आई.) नियमावली, 2000 के अंतर्गत पंजीकरण प्राप्त किसी एफवीसीआई को भारतीय रिज़र्व बैंक से कोई अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है और वह निम्नलिखित में निवेश कर सकते हैं :

ए) किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी इक्विटी या इक्विटी संबद्ध लिखतों या ऋण लिखतों में, जिसके शेयर उल्लिखित प्रतिभूतियों/लिखतों को जारी करते समय किसी मान्यता-प्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज में सूचीबद्ध नहीं हैं और जो निम्नलिखित में से किसी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं :

  1. जैव-प्रौद्योगिकी (बॉयोटेक्नॉलजी)

  2. सूचना प्रौद्योगिकी, जो हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर विकास से संबंधित हो

  3. नैनोटेक्नॉलजी

  4. बीज अनुसंधान और विकास

  5. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में अनुसंधान और नयी केमिकल कंपनियों (संस्थाओं) का विकास

  6. डेयरी उद्योग

  7. पोल्ट्री उद्योग

  8. जैव ईंधन (बायो-फ्यूल) का उत्पादन

  9. तीन हजार से अधिक की बैठक क्षमता वाले होटल-सह-सम्मेलन केंद्र

  10. इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र (इसमें समय-समय पर यथा संशोधित वर्तमान फेमा विनियमावली के अंतर्गत अधिसूचित बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशा-निर्देशों/नीतियों के अंतर्गत इनफ्रास्ट्रक्चर की परिभाषा के दायरे में आनेवाली गतिविधियां शामिल होंगी)।

बी) किसी भारतीय ‘स्टार्टअप’ द्वारा जारी इक्विटी या इक्विटी संबद्ध लिखतों या ऋण लिखतों में, भले ही स्टार्टअप किसी भी क्षेत्र के कार्य से संबद्ध हो। स्टार्टअप का तात्पर्य ऐसी संस्था (निजी लिमिटेड कंपनी या कोई पंजीकृत पार्टनरशिप फर्म या सीमित देयता भागीदारी फ़र्म) से है जो भारत में निगमित या पंजीकृत हो, लेकिन पांच वर्ष से पहले का न हो और जिसका वार्षिक पण्यावर्त (टर्नओवर) पिछले किसी वित्त-वर्ष में 25 करोड़ रुपये से अधिक न रहा हो तथा जो नवोन्मेषण, विकास, नए उत्पादों के अभिनियोजन या वाणिज्यीकरण, प्रौद्योगिकी प्रेरित प्रक्रियाओं या सेवाओं अथवा बौद्धिक संपदा की दिशा में कार्य कर रही हो एवं विनियमावली में दी गई कतिपय शर्तों को पूरा करता हो।

सी) जोखिम पूंजी निधि (वीसीएफ) अथवा श्रेणी-I वैकल्पिक निवेश निधि (श्रेणी-I एआईएफ) की इकाइयों (सेबी (ए.आई.एफ.) नियमावली, 2012 के तहत पंजीकृत) में अथवा किसी योजना या वीसीएफ अथवा श्रेणी-I एआईएफ द्वारा गठित किसी निधि की इकाइयों में।

4. यह स्पष्ट किया जाता है कि जोखिम पूंजी निधि (वीसीएफ) अथवा श्रेणी-I ए.आई.एफ. द्वारा एफ.वी.सी.आई. से प्राप्त निवेश को डाउनस्ट्रीम निवेश करने के लिए मूल नियमावली की अनुसूची-11 में दिए गए डाउनस्ट्रीम निवेश से संबंधित प्रावधानों का अनुपालन करना होगा।

5. संशोधित विनियामक रूपरेखा की अन्य मुख्य-मुख्य बातें निम्नानुसार हैं :

ए) एफ.वी.सी.आई. किसी प्राधिकृत व्यापारी की निर्दिष्ट शाखा में केवल लेनदेन के प्रयोजन से एवं विशेष रूप से इस अनुसूची के अंतर्गत विदेशी मुद्रा खाता एवं / अथवा रुपया खाता खोल सकता है।

बी) एफ.वी.सी.आई. द्वारा किए जाने वाले सभी निवेश के प्रतिफल का भुगतान विदेश से सामान्य बैंकिंग चैनल अथवा बिक्रीगत आय / परिपक्वता पर प्राप्त आय या उपर्युक्त पैरा-3 के अनुसार पहले से किए गए निवेश से प्राप्त आय के जरिए आवक विप्रेषणों के माध्यम से किया जाएगा।

सी) भारत में या भारत से बाहर के निवासी व्यक्तियों को एफ.वी.सी.आई. द्वारा धारित प्रतिभूति/ लिखतों के अंतरण पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

6. पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक (एफ.वी.सी.आई.) से सीधे निवेश प्राप्त करने वाली किसी संस्था को FC-GPR फॉर्म में निवेश की, यथोचित परिवर्तनों सहित, सूचना देना आवश्यक है। इसके लिए e-Biz पोर्टल में आवश्यक परिवर्तन किए जा रहे हैं और यथासमय अलग अनुदेश जारी किए जाएंगे। तब तक, मौजूदा रिपोर्टिंग आवश्यकताएं यथावत जारी रहेंगी।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों एवं घटकों को अवगत कराएं।

8. रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (तृतीय संशोधन) विनियमावली, 2016 के माध्यम से मूल विनियमावली को संशोधित किया गया है जो 28 अप्रैल 2016 की अधिसूचना सं.फेमा 363/2016-आरबी के मार्फत अधिसूचित और 28 अप्रैल 2016 को जी.एस.आर.संख्या 465 (ई) के तहत सरकारी राजपत्र में प्रकाशित की गई है।

9. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(शेखर भटनागर)
प्रभारी मुख्य महाप्रंबधक

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