विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआइ) द्वारा कारपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआइ) द्वारा कारपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश
भारिबैं/2016-17/138 17 नवंबर 2016 सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआइ) द्वारा कारपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (एडी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी दिनांक 3 मई 2000 द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गमन) विनियम 2000 की अनुसूची 5 के पैराग्राफ 1 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआइ) को केवल सूचीबद्ध या सूचीबद्ध होने वाली ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करने की अनुमति होती है । असूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों में निवेश की अनुमति केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियों के मामले में होती है । 2. जैसाकि केंद्र सरकार के वर्ष 2016-17 के बजट में घोषणा की गयी थी, अब यह निर्णय लिया गया है कि एफपीआइ द्वारा कारपोरेट बांड मार्ग के अंतर्गत निवेश के लिए पात्र लिखतों के निवेश समूह को विस्तारित किया जाये, जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे : (i) असूचीबद्ध कारपोरेट ऋण प्रतिभूतियाँ, जो अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांडों के रूप में पब्लिक या प्राइवेट कंपनियों द्वारा जारी की जायें, बशर्ते कि वे न्यूनतम तीन वर्षों की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि वाली हों और स्थावर संपदा कारोबार, पूँजी बाजार एवं जमीन की खरीद में निवेश के संबंध में उनके अंतिम उपयोग को प्रतिबंधित किया गया हो । ‘स्थावर संपदा कारोबार’ का अर्थ वही होगा, जो इसे विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गमन) विनियम, 2000 (अधिसूचना सं.फेमा 362/2016-आरबी दिनांक 15 फरवरी 2016) में दिया गया है । एफपीआइ के अभिरक्षक बैंक इसक शर्त का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे । (ii) निम्नलिखित प्रतिभूतिकृत ऋण लिखतें:
3. एफपीआइ द्वारा असूचीबद्ध कारपोरेट ऋण प्रतिभूतियों और प्रतिभूतिकृत ऋण लिखतों में निवेश समय समय पर कारपोरेट बांड के लिए निर्धारित वर्तमान निवेश सीमा, जो इस समय 2,44,323 करोड़ रुपये है, के भीतर 35,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा । इसके अतिरिक्त, एफपीआइ द्वारा प्रतिभूतिकृत ऋण लिखतों में निवेश न्यूनतम 3-वर्षीय अवशिष्ट परिपक्वता अवधि की अपेक्षा के अधीन नहीं होगा । 4. एफपीआइ द्वारा ऋण बाजार में निवेश के लिए अन्य सभी वर्तमान शर्तें अपरिवर्तित हैं । 5. एडी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों/घटकों को अवगत करायें । 6. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गमन) विनियम, 2000 (अधिसूचना सं.फेमा 20/2000-आरबी दिनांक 3 मई 2000) में आवश्यक संशोधन सरकार द्वारा 24 अक्तूबर 2016 को अधिसूचित किये गये हैं और वे इस परिपत्र के साथ उपाबद्ध हैं । 7. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42 वाँ) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और इनसे किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है । 8. पुनरीक्षित मानदंडों की समीक्षा एक वर्ष बाद की जायेगी । भवदीय, (मनोज कुमार) |