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बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो – वर्गीकरण, मूल्‍यांकन और प्रावधानीकरण

आरबीआई/2013-14/198
बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 41/21.04.141/2013-14

23 अगस्‍त 2013

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) 

महोदय

बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो – वर्गीकरण, मूल्‍यांकन और प्रावधानीकरण

कृपया ‘परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी के अंतर्गत एसएलआर धारिता’ पर दिनांक 15 मई 2013 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 92/21.04.141/2012-13 देखें जिसके अनुसार बैंकों को अनुमति दी गई है कि वे परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी के अंतर्गत कुल निवेश की 25 प्रतिशत की सीमा से अधिक निवेश कर सकते हैं बशर्तेः

(क) अतिरिक्‍त निवेश केवल एसएलआर प्रतिभूतियों में ही हो; और

(ख) परिपक्वता तक धारित श्रेणी के अंतर्गत धारित कुल एसएलआर प्रतिभूतियां, दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को बैंकों की मांग और मीयादी देयताओं (डीटीएल) के जून 2013 के अंत तक 24.50 प्रतिशत, सितंबर 2013 के अंत तक 24 प्रतिशत, दिसंबर 2013 के अंत तक 23.50 प्रतिशत, तथा मार्च 2014 के अंत तक 23 प्रतिशत से अधिक न हो।

2. ऐसा देखा गया है कि हाल में दीर्घावधि प्रतिफल में तेजी आने से बैंकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो के बाजार आधारित मूल्‍यांकन में बड़े नुकसान झेलने पड़े हैं। चूंकि ये बाजार आधारित मूल्‍यांकन नुकसान आंशिक रूप से असामान्‍य बाजार स्थितियों से उत्‍पन्‍न हो रहे हैं और आगे चलकर इसकी क्षतिपूर्ति हो सकती है, अतः सीमित अवधि के लिए निम्‍नलिखित विवेकपूर्ण समायोजन प्रदान करने का निर्णय लिया गया हैः

  1. मौजूदा अनुदेशों के अनुसार बैंकों से अपेक्षित है कि वे उपर्युक्‍त पैरा 1 में यथानिर्धारित प्रगामी तरीके से परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी में अपनी एसएलआर प्रतिभूतियों को अपनी  मांग और मीयादी देयताओं (डीटीएल) के 25.00 प्रतिशत से घटाकर 23.00 प्रतिशत तक लाएं, जबकि जून 2013 के अंत तक 24.50 प्रतिशत की अपेक्षा थी। अब यह निर्णय लिया गया है कि परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी में एसएलआर धारिता उनके एनडीटीएल के 24.50 प्रतिशत पर बरकरार रखने के लिए बैंकों को अनुमति देकर इस अपेक्षा में छूट दी जा सकती है। अतः बैंकों को परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी के अंतर्गत कुल निवेश के 25.00 प्रतिशत की सीमा से अधिक निवेश करने की अनुमति दी जाती है, बशर्ते इस अतिरिक्‍त निवेश में केवल एसएलआर प्रतिभूतियां ही शामिल हो और परिपक्‍वता तक धारिता श्रेणी में धारित कुल एसएलआर प्रतिभूतियां अगले अनुदेश तक दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को उनकी मांग तथा मीयादी देयताओं के 24.50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो।

  2. मौजूदा अनुदेशों के अनुसार बैंक अपने निदेशक मंडल की अनुमति से परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी में/से निवेश वर्ष में एक बार अंतरित कर सकते हैं तथा इस प्रकार का अंतरण सामान्‍यतया लेखा वर्ष के आरंभ में करने की अनुमति दी जाएगी। एक बारगी उपाय के रूप में, अब यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को उपर्युक्‍त पैरा 2(i) में  यथानिर्धारित मांग और मीयादी देयताओं की 24.50 प्रतिशत की सीमा तक एएफएस/एचएफटी से परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी में एसएलआर प्रतिभूतियों के अंतरण की अनुमति दी जाए। एएफएस/एचएफटी श्रेणी से परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी में प्रतिभूतियों के ऐसे अंतरण बही-मूल्‍य अथवा बाजार मूल्‍य में से जो कम हो, उस पर किया जाना चाहिए। ऐसे अंतरण के उद्देश्‍य के लिए बैंकों के पास 15 जुलाई 2013 को कारोबार की समाप्ति पर इन प्रतिभूतियों का मूल्‍य तय करने का विकल्‍प है और  बैंकों द्वारा वर्गीकरण, मूल्‍यांकन और निवेश पोर्टफोलियो के परिचालन के लिए विवेकपूर्ण मानदंड विषय पर मास्‍टर परिपत्र (दिनांक 1 जुलाई 2013 का बैंपविवि. सं. बीपी.बीसी. 8/21.04.141/2013-14) के पैरा 2.3 (v) के अनुसार, मूल्‍यह्रास, यदि कोई हो, के लिए प्रावधान किया जाना चाहिए। यदि बैंक उपर्युक्‍तानुसार प्रतिभूतियों का अंतरण करना चाहते हैं, तो अंतरण अतिशीघ्र लेकिन ‍किसी भी प्रकार 30 सितंबर 2013 से पहले किए जाने चाहिए। यह अंतरण 23 अगस्‍त 2013 को कारोबार की समाप्ति तक मांग और मीयादी देयताओं के 24.50 प्रतिशत की सीमा तक एएफएस/एचएफटी प्रतिभूतियों की बकाया स्थिति में से ही होना चाहिए (अर्थात् 26 जुलाई 2013 की स्थिति के अनुसार मांग और मीयादी देयताएं जो 23 अगस्‍त 2013 के लिए एसएलआर रखने के संबंध में लागू है।) एएफएस/एचएफटी से इस प्रकार के एक बारगी अंतरण को उक्‍त मास्‍टर परिपत्र के पैरा 2.3 (ii) के अंतर्गत बिक्री के मूल्‍य और परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी को/से प्रतिभूतियों के अंतरण के लिए निर्धारित 5 प्रतिशत की सीमा से बाहर रखा जाएगा।

  3. बैंकों से अपेक्षित है कि वे समय-समय पर अपने एएफएस और एचएफटी पोर्टफोलियो का मूल्‍यांकन करें और ऊपर उल्लिखित दिनांक 1 जुलाई 2013 के मास्‍टर परिपत्र के पैरा 3.2 और 3.3 के अनुसार निवल मूल्‍यह्रास के लिए प्रावधान करें। वित्‍तीय वर्ष 2013-14 के दौरान बैंकों के पास अब चालू वित्‍त वर्ष में प्रत्‍येक मूल्‍यांकन तिथि को संपूर्ण एएफएस और एचएफटी पोर्टफोलियो पर समान‍ किस्‍तों में निवल मूल्‍यह्रास के वितरण का विकल्‍प  होगा।

भवदीय

(राजेश वर्मा)
मुख्‍य महाप्रबंधक

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