आरआरबी के लिए विनियामक पूंजी बढ़ाने हेतु अतिरिक्त लिखतों को जारी करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरआरबी के लिए विनियामक पूंजी बढ़ाने हेतु अतिरिक्त लिखतों को जारी करना
भारिबैं/2019-20/87 01 नवंबर 2019 अध्यक्ष महोदय/महोदया, आरआरबी के लिए विनियामक पूंजी बढ़ाने हेतु अतिरिक्त लिखतों को जारी करना क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात की गणना करने तथा उसे अपने तुलन-पत्र में ‘लेखे पर टिप्पणियां' के रूप में प्रकट करने के लिए दिनांक 28 दिसंबर 2007 के परिपत्र आरपीसीडी.केंका.आरआरबी.बीसी.44/05.03.095/2007-08 के माध्यम से सूचित किया गया था | आगे, ‘सीआरएआर की गणना के लिए जोखिम भार’ को 21 अक्तूबर 2014 के परिपत्र आरपीसीडी.केंका. आरआरबी.बीसी.35/03.05.33/2014-15 के माध्यम से शोधित किया गया था। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को दिनांक 26 नवम्बर 2013 के परिपत्र आरपीसीडी.केंका.आरआरबी.बीसी.सं 60/03.05.33/2013-14 द्वारा 9 प्रतिशत का न्यूनतम सीआरएआर प्राप्त करने तथा 31 मार्च 2014 से निरंतर आधार पर उसे बनाए रखने के लिए सूचित किया था । 2. विनियामक पूंजी निधियों को बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अतिरिक्त विकल्प प्रदान करने की दृष्टि से, ताकि वे न्यूनतम निर्धारित सीआरआर को बनाए रख सकें, और साथ ही बढ़ती व्यापार आवश्यकताओं को पूरा सकें, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को टीयर 1 पूंजी के रूप में शामिल करने के लिए पात्र बेमीयादी कर्ज लिखत (पीडीआई) जारी करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। बेमीयादी कर्ज लिखत (पीडीआई) जारी करने के लिए नियम और शर्तें अनुलग्नक में दी गई हैं। 3. पूंजी निधि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से 9 प्रतिशत का न्यूनतम सीआरएआर निरंतर आधार पर बनाए रखना अपेक्षित है। पूंजी पर्याप्तता उद्देश्य के लिए पूंजी निधियों में टीयर 1 और टीयर 2 पूंजी दोनों शामिल होंगे। 3.1 टियर 1 पूंजी 3.1.1 सामान्य इक्विटी (सीईटी 1) पूंजी : सामान्य इक्विटी पूंजी के निम्न तत्व हैं, ए) प्रदत्त शेयर पूंजी बी) शेयर पूंजी जमा सी) सांविधिक और अन्य प्रकट मुक्त रिज़र्व डी) आस्तियों की बिक्री से उत्पन्न अधिशेष दर्शाने वाले आरक्षित पूंजी ई) लाभ और हानि खाते में कोई अधिशेष (नेट) अर्थात विनियोजन के बाद शेष 3.1.2 अतिरिक्त टीयर 1 कैपिटल एफ़) बेमियादी कर्ज लिखत 3.1.3. टियर 1 पूंजी पर सीमा
3.1.4 टियर 1 पूंजी से कटौती अमूर्त संपत्ति की मात्रा, चालू वर्ष में घाटा और जो पिछले वर्षों से आगे लाए गए हैं, एनपीए प्रावधानों में कमी, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों पर आय को गलत मान्यता, बैंक पर देय देयता के लिए प्रावधान, आदि टीयर 1 पूंजी से कटौती की जाएगी। 3.1.5 आस्थगित कर परिसंपत्तियों (डीटीए) की सुविधा i) संचित हानियों और ऐसी अन्य संपत्तियों से संबद्ध आस्थगित कर परिसंपत्तियां (डीटीए) सीईटी 1 पूंजी से पूर्ण रूप से काट ली जानी चाहिए। ii) डीटीए जो समय के अंतर से संबंधित हैं (संचित घाटे से संबंधित) के अलावा, सीईटी 1 पूंजी से पूर्ण कटौती के बजाय, बैंक के सीईटी 1 पूंजी के 10% तक सीईटी 1 पूंजी में मान्यता प्राप्त हो सकती है [सभी विनियामकीय समायोजन के आवेदन के बाद] । iii) डीटीए की राशि जो सीईटी 1 पूंजी से काटी जानी है, को संबंधित आस्थगित कर देनदारियों (डीटीएल) के साथ निवल किया जा सकता है:
4. अन्य शर्तें क) आरआरबी को खुदरा निवेशकों / एफपीआई / एनआरआई को बेमियादी कर्ज लिखत जारी करने की अनुमति नहीं है। ख) आरआरबी को आरआरबी सहित अन्य बैंकों के बेमीयादी कर्ज लिखत में निवेश करने की अनुमति नहीं है। ग) आरआरबी केवल भारतीय मुद्रा में बेमीयादी कर्ज लिखत जारी करेंगे। ऊपर उल्लिखित परिपत्रों के अन्य निर्देश अपरिवर्तित हैं। भवदीय (डॉ एस.के. कर) टिअर 1 पूंजी में शामिल होने के लिए पात्रता हेतु आरआरबी द्वारा बांड या डिबेंचर के रूप में जारी किये जाने वाले बेमीयादी ऋण लिखतों (पीडीआई) को पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजन से टिअर 1 पूंजी में शामिल करने के लिए पात्रता हेतु निम्नलिखित नियमों और शर्तों को पूरा करना होगा: 1. बेमीयादी कर्ज लिखत (पीडीआई) जारी करने के नियम i) राशि: पीडीआई की राशि (केवल भारतीय रुपए में) बैंकों के निदेशक मंडल द्वारा तय की जाए। ii) सीमाएं: 7 प्रतिशत के न्यूनतम टियर 1 के भीतर, बेमीयादी कर्ज लिखत कुल जोखिम भारित आस्तियों के 1.5 प्रतिशत तक सीमित होगा। बेमीयादी ऋण लिखत के माध्यम से जोखिम भारित आस्ति के 1.5 प्रतिशत से अधिक जुटाई गई किसी भी अतिरिक्त राशि की भी गणना टियर 1 पूंजी के रूप में की जाएगी बशर्ते कि इसप्रकार की अतिरिक्त धनराशि की गणना करते समय बैंक जोखिम भारित आस्तियों के 7 प्रतिशत के न्यूनतम टिअर 1 पूँजी का अनुपालन करें। iii) परिपक्वता अवधि: लिखत बेमीयादी होना चाहिए iv) ब्याज दर: निवेशकों को देय ब्याज या तो स्थिर दर अथवा बाजार निर्धारित रुपया ब्याज बेंचमार्क दर पर संदर्भित अस्थिर दर होगी। लिखत में उधार संवेदनशील कूपन सुविधा, अर्थात् ऐसा लाभांश जो बैंकों की उधार स्थिति के आधार पर समय-समय पर पूर्ण या आंशिक रूप से पुनर्निर्धारित की जाती है, नहीं हो सकती है। इस प्रयोजन के लिए, व्यापक सूचकांक सहित कोई भी संदर्भ दर जो बैंक की अपनी उधार पात्रता में परिवर्तन के प्रति और/ अथवा व्यापक बैंकिंग क्षेत्र की उधार पात्रता में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है, को उधार संवेदनशील संदर्भ दर माना जागा। इस प्रकार के संदर्भ दरों की अनुमेयता के संबंध में, अस्थिर संदर्भ दर प्रदान करने के इच्छुक बैंक आरबीआई की पूर्व अनुमति लें। v) विकल्प: ‘विक्रय विकल्प’ अथवा ‘वृद्धिशील विकल्प’ के साथ पीडीआई जारी नहीं किया जाए। तथापि आरआरबी निम्नलिखित प्रत्येक शर्त के सख्त अनुपालन के अधीन क्रय विकल्प के साथ लिखत जारी कर सकता है: क) लिखत न्यूनतम पाँच वर्षों तक चलने के बाद ही क्रय विकल्प का प्रयोग किया जाएगा; तथा ख) क्रय विकल्प केवल भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग विनियमन विभाग) की पूर्व अनुमति के साथ लगाया जाएगा। क्रय विकल्प लगाने के लिए आरआरबी से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करते समय, आरबीआई अन्य बातों के साथ, क्रय विकल्प लगाते समय और क्रय विकल्प के लगाने के बाद बैंक की सीआरएआर स्थिति का ध्यान रखेगा। vi) अवरुद्धता शर्त: क) पीडीआई एक अवरुद्धता शर्त के अधीन होगा, जिसके अनुसार जारीकर्ता बैंक ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, यदि i) बैंक का सीआरएआर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामकीय अपेक्षा से कम है; अथवा ii) इस प्रकार के भुगतान के प्रभाव के कारण बैंक की जोखिम भारित आस्ति के प्रति पूंजी अनुपात (सीआरएआर) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामकीय अपेक्षा से कम होता है अथवा नीचे रहता है। (ख) तथापि, जब इस तरह के भुगतान का प्रभाव निवल हानि या निवल हानि में बढ़ोत्तरी हो सकती है, ऐसी स्थिति में आरबीआई की पूर्व स्वीकृति से आरआरबी ब्याज का भुगतान कर सकते हैं, बशर्ते सीआरएआर विनियामकीय मानक से ऊपर होना चाहिये। इस प्रयोजन के लिए ‘निवल हानि’ का अर्थ या तो (क) पिछले वित्त वर्ष के अंत में संचित हानि होगा; या (ख) चालू वित्त वर्ष के दौरान हुई हानि होगा। (ग) ब्याज संचयी नहीं होगा। (घ) लॉक-इन शर्त को प्रभाव में लाने के सभी मामलों को जारीकर्ता बैंकों द्वारा मुख्य महाप्रबंधक, आरआरबी प्रभाग, बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक और पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड, प्रधान कार्यालय, मुंबई को सूचित किया जाना चाहिए। vii) दावे की वरिष्ठता: पीडीआई में निवेशकों के दावे इस प्रकार होंगे: क) इक्विटी शेयरों में निवेशकों के दावों के लिए वरिष्ठता; तथा ख) अन्य सभी लेनदारों के दावों के अधीनस्थ viii) बट्टा: पीडीआई पूंजीगत पर्याप्तता उद्देश्यों के लिए वृद्धिशील बट्टे के अधीन नहीं होगा क्योंकि ये स्थायी हैं। ix) अन्य शर्तें: क) पीडीआई पूरी तरह से भुगतान -योग्य, प्रतिभूति रहित, और किसी भी प्रतिबंधात्मक शर्त से मुक्त होना चाहिए। ख) आरआरबी को लिखतों को जारी करने के संबंध में सेबी / अन्य विनियामक प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों, यदि कोई हो, का अनुपालन करना चाहिये। 2. रिज़र्व आवश्यकताओं का अनुपालन पीडीआई के माध्यम से एक बैंक द्वारा जुटाई गई कुल राशि को आरक्षित आवश्यकताओं के उद्देश्य से निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना के लिए देयता के रूप में नहीं माना जाएगा और, इस रूप में सीआरआर / एसएलआर आवश्यकताओं को पूरा करने की आवश्यकता नहीं होगी। 3. रिपोर्टिंग आवश्यकताएं पीडीआई जारी करने वाले आरआरबी मुख्य महाप्रबंधक, पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड, प्रधान कार्यालय, मुंबई को दिए गए ऋण का विवरण देते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे, जिसमें उपर्युक्त पैरा 1 में विनिर्दिष्ट जारी करने की शर्तों के साथ, विषय के पूरा होने पर प्रस्ताव दस्तावेज की एक प्रति भी शामिल होगी। 4. पीडीआई में निवेश i) आरआरबी, आरआरबी सहित अन्य बैंकों द्वारा जारी पीडीआई में निवेश नहीं करेगा। ii) आरआरबी खुदरा निवेशकों / एफपीआई / एनआरआई को पीडीआई जारी नहीं करेंगे। 5. पीडीआई को प्रदत्त अग्रिम आरआरबी को उनके द्वारा जारी पीडीआई की प्रतिभूति हेतु अग्रिम नहीं देना चाहिए। 6. तुलन पत्र में वर्गीकरण आरआरबी – ‘अनुसूची 4 - उधारियां’ के तहत तुलन -पत्र में पीडीआई को जारी करने के द्वारा जुटाई गई राशि को दर्शा सकते हैं। |