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सेवा आयातकों की ओर से बैंक गारंटी जारी करना

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केद्रीय कार्यालय
मुंबई-400001

भारिबैंक/2009-10/176
ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.11

5 अक्तूबर 2009

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक

महोदय/महोदया

सेवा आयातकों की ओर से बैंक गारंटी जारी करना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्रा.व्या.श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान,समय समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 8/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) विनियमावली, 2000 के विनियम 4 की ओर आकर्षित किया जाता हैं । उसके विनियम 4(3)(iv) ड 4 जनवरी 2007 की अधिसूचना सं.फेमा 151/2007-आरबी द्वारा यथा संशोधित और 17 नवंबर 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 13 के अनुसार, बैंकों को उपर्युक्त परिपत्र में निर्धारित शर्तों के अधीन 100,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य तक की राशि के लिए निवासी ग्राहक, जो सेवा आयातक है,की ओर से अनिवासी सेवा प्रदाता के पक्ष में गारंटी जारी करने की अनुमति दी गयी है ।

2. सेवाओं के आयात के लिए प्रक्रिया को और सरल बनाने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है (सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी अथवा भारत सरकार/राज्य सरकारों के किसी विभाग/उपक्रम के मामलों को छोड़कर) कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों द्वारा गारंटी जारी करने की सीमा 100,000 अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 500,000 अमरीकी डॉलर तक कर दी जाए । तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को अब, निवासी ग्राहक की ओर से जो कि सेवा आयातक है ,अनिवासी सेवा प्रदाता के पक्ष में 500,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य  राशि की बैंक गारंटी जारी करने की अनुमति प्रदान की जाती है बशर्ते;
    
(क) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक लेनदेन की वास्तविकता से संतुष्ट हो ;
  
(ख) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक सामान्यतया सेवाओं के आयात के दस्तावेजी सबूत प्रस्तुत करना सुनिश्चित करता हो ;और

(ग) गारंटी किसी निवासी और अनिवासी के बीच करार से उत्पन्न होने वाली प्रत्यक्ष संविदागत देयता की जमानत हो ।

3. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी अथवा भारत सरकार/राज्य सरकारों के किसी विभाग/ उपक्रम के मामले में,100,000 अमरीकी डॉलर (एक सौ हजार अमरीकी डॉलर) अथवा उसकी समतुल्य राशि से अधिक राशि के लिए गारंटी जारी करने के लिए वित्त मंत्रालय, भारत सरकार से अनुमोदन प्राप्त करना अपेक्षित होगा ।

4. 17 नवंबर 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.13 में विनिर्दिष्ट सभी अन्य शर्तें यथावत् रहेंगी ।

5. विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं ।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों को और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें ।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 (1999का42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है ।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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