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विदेशी करेन्सी परिवर्तनीय बाण्ड (एफसीसीबी) जारी करना

भारतीय रिज़र्व बैंक
(विदेशी मुद्रा विभाग)
केन्द्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 29

11 मार्च 2002

प्रति
विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

प्रिय महोदय, /महोदया

विदेशी करेन्सी परिवर्तनीय बाण्ड (एफसीसीबी) जारी करना

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 की भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा 19/आरबी-2000 के विनियम 18 कं उप-विनियम (2) की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार कोई भारतीय कंपनी अथवा कोई निकाय कंपनी जो संसद की अधिनियम द्वारा स्थापित है, भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति को, भारत सरकार से कोई अनुमोदन प्राप्त करते हुए, विदेशी करेन्सी परिवर्तनीय बाण्ड जारी कर सकता है।

2. पूँजीगत खाता लेनदेनों को उदार करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है कि स्वचलित मार्ग के अंतर्गत विदेशी करेन्सी परिवर्तनीय बाण्डों के निर्गम 50 दशलक्ष अमेरीकी डालर तक रखा जाये। 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 19/आरबी-2000 में संशोधन करनेवाली 7 मार्च 2002 की अधिसूचना सं.फेमा 55/ आरबी-2002 की प्रतिलिपि संलग्न है। तदनुसार कोई भारतीय कंपनी अथवा कोई निकाय कंपनी जो संसद की अधिनियम द्वारा स्थापित है, भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति को स्वचालित मार्ग के अधीन किसी एक वित्तीय वर्ष में सरकार अथवा रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना 50 दशलक्ष मिलियन अमेरीकी डालर तक विदेशी करेन्सी परिवर्तनीय बाण्ड जारी कर सकता है।

3. अधिसूचना की अनुसूची II के पैरा (x) के अनुसार विदेशी करेन्सी परिवर्तनीय बाण्ड के निर्गम के बारे में रिपोर्ट किसी प्राधिकृत व्यापारी के नामोद्दिष्ट शाखा के जरिए रिज़र्व बैंक को किया जाना अपेक्षित है। प्राधिकृत व्यापारी उक्त को रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को ऋण पंजीकरण संख्या प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत करेंगे। रिज़र्व बैंक को प्रस्ताव दस्तावेजों को भेजते समय प्राधिकृत व्यापारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विदेशी करेन्सी परिवर्तनीय बाण्ड अधिसूचना के अनुसार जारी किये गये है।

4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये।

5. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए है।

भवदीय

सतीश कक्कर
मुख्य महाप्रबंधक

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