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भारतीय निक्षेपागार रसीदें (IDRs) जारी करना – सीमित दुतरफा प्रतिमोच्यता (Limited two way fungibilty)

भारिबैंक/2012-13/178
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 19

28 अगस्त 2012

सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

भारतीय निक्षेपागार रसीदें (IDRs) जारी करना –
सीमित दुतरफा प्रतिमोच्यता (Limited two way fungibilty)

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंकों का ध्यान 22 जुलाई 2009 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.5 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार भारत से बाहर की निवासी पात्र कंपनियों को भारतीय निक्षेपागार रसीदें (IDRs) जारी करने के बाबत दिशानिर्देश विनिर्दिष्ट किए गए हैं ।

2. अब यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय निक्षेपागार रसीदों (IDRs) के लिए सीमित दुतरफा प्रतिमोच्यता (एडीआर/जीडीआर के लिए उपलब्ध सीमित दुतरफा प्रतिमोच्यता के समान) की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के तहत दी जाए:

  1. भारतीय निक्षेपागार रसीदों का अंतर्निहित ईक्विटी शेयरों में परिवर्तन 22 जुलाई 2009 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 के पैरा 6 और 7 में दी गयी शर्तों से विनियमित होगा।

  2. 22 जुलाई 2009 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 के उपबंधों के अनुसार नई भारतीय निक्षेपागार रसीदें जारी करना जारी रहेगा ।

  3. भारतीय निक्षेपागार रसीदें फिर से केवल उस सीमा तक जारी की जा सकेंगी जहाँ तक वे मोचित हुई हैं/अंतर्निहित शेयरों में परिवर्तित हुई हैं और बेची गयी हैं ।

  4. पात्र विदेशी कंपनियों द्वारा भारतीय बाज़ारों में भारतीय निक्षेपागार रसीदें जारी करके पूँजी जुटाने के लिए पाँच बिलियन अमरीकी डालर की समग्र उच्चतम सीमा होगी। यह उच्चतम सीमा कर्ज प्रतिभूतियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश करने के संबंध में लगायी गयी उच्चतम सीमा के समान होगी और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा इसकी निगरानी की जाएगी।

तदनुसार, 22 जुलाई 2009 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 का पैरा 5 उपर्युक्तानुसार संशोधित हो गया है।

3. भारतीय निक्षेपागार रसीदों का जारी होना, मोचन और प्रतिमोच्यता, समय समय पर यथा संशोधित, सेबी (पूँजी जारी करना और प्रकटीकरण अपेक्षाएं) विनियमावली, 2009 के साथ-साथ इस सबंध में सरकार, सेबी और भारतीय रिज़र्व बैंक दवारा, समय समय पर, जारी अन्य संबंधित दिशानिर्देशों के अधीन होगा ।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

5. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000) (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी) में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं ।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
मुख्य महाप्रबंधक

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