बैंकों द्वारा दीर्घावधि बॉन्ड जारी करना- इंफ्रास्ट्रक्चर और किफ़ायती आवास के लिए वित्तपोषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों द्वारा दीर्घावधि बॉन्ड जारी करना- इंफ्रास्ट्रक्चर और किफ़ायती आवास के लिए वित्तपोषण
भारिबैं/2019-20/176 17 मार्च 2020 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदया/महोदय, बैंकों द्वारा दीर्घावधि बॉन्ड जारी करना- इंफ्रास्ट्रक्चर और किफ़ायती आवास के लिए वित्तपोषण कृपया इस विषय पर दिनांक 15 जुलाई 2014 का परिपत्र बैपविवि.बीपी.बीसी.सं.25/08.12.014/2014-15 और बाद के परिपत्रों का संदर्भ लें। दिनांक 1 दिसंबर 2016 का परिपत्रबैविवि.बीपी.बीसी.सं.42/08.12.014/2016-17 भी देखें, जिसमें सूचित किया गया था कि‘इन्फ्रास्ट्रक्चर ऋण’ की परिभाषा के प्रयोजन से, बैंक और चुनिंदा अखिल भारतीय मीयादी ऋण और पुनर्वित्त प्रदान करने वाली संस्थाएं अब से आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी राजपत्र अधिसूचना से मार्गदर्शन प्राप्त करें। 2. 15 जुलाई, 2014 के उपर्युक्त परिपत्र के प्रयोजन से, 'इन्फ्रास्ट्रक्चर उप-क्षेत्र' और 'किफायती आवास' को उसके अनुबंध के पैरा 2 (i) और 2 (ii) के तहत परिभाषित किया गया है। 30 मार्च, 2017 की गजट अधिसूचना द्वारा जारी इन्फ्रास्ट्रक्चर उप-क्षेत्रकी समन्वित मास्टर सूची (एचएमएल) में किफ़ायती आवास1 को शामिल किया जा चुका है। इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को कर्ज देने के लिए, बैंकों / एफआई समय-समय पर संशोधित एचएमएल में दी गई किफायती आवासीय परियोजना की परिभाषा मानते रहेंगे। 3. किफायती आवास को एचएमएल के तहत शामिल करने के कारण, अब उपर्युक्त दिनांक 15 जुलाई, 2014 के परिपत्र के अंतर्गत किफायती आवास को ऋण देने की परिभाषा को एचएमएल में दी गई 'इन्फ्रास्ट्रक्चर उप-क्षेत्र' की परिभाषा के साथ संरेखित करने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, दीर्घावधि बॉन्ड जारी करने के प्रयोजन से, निम्नलिखित सूचित किया जाता है:
4. दीर्घावधि बॉन्ड जारी करने और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को ऋण देने संबंधी सभी अन्य अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे। भवदीय, (सौरभ सिन्हा) 1 “किफ़ायती आवास”को वैसी आवासीय परियोजना के रूप में पारिभाषित किया गया है जिसमें तल क्षेत्र अनुपात(एफ़एआर)/ तल स्थान सूचकांक(एफ़एसआई) का कम से कम 50% अधिकतम 60 वर्ग मीटर कार्पेट क्षेत्र@ की आवासीय इकाइयों का हो। @कार्पेट क्षेत्र का अर्थ वही होगा जो रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 की धारा 2 के खंड (के) में इसे दिया गया है। |