बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना - इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती दरों पर आवास का वित्तपोषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना - इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती दरों पर आवास का वित्तपोषण
आरबीआई/2014-15/127 15 जुलाई 2014 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदय बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना - इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती दरों पर आवास का वित्तपोषण दिनांक 10 जुलाई 2014 को प्रस्तुत संघ के बजट 2014-15 में माननीय वित्त मंत्री जी ने घोषित किया किः "131. बुनियादी संरचना क्षेत्र में अपेक्षाकृत बड़े निजी सेक्टर की बृहत्तर भागीदारी को प्रोत्साहन देने के मार्ग में इस क्षेत्र का दीर्घावधिक वित्तपोषण प्रमुख बाधा बना हुआ है। आस्ति पक्ष में, बैंकों को बुनियादी संरचना क्षेत्र के लिए दीर्घावधिक ऋण देने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसकी संरचना में लचीलापन होगा, जिससे संभावित प्रतिकूल आकस्मिकताओं को आत्मसात किया जा सके (जो कभी-कभी 5/25 संरचना के रूप में जाना जाता है)। देनदारी पक्ष में बैंकों को बुनियादी संरचना क्षेत्र को ऋण देने हेतु दीर्घावधिक निधि जुटाने की अनुमति दी जाएगी, जिन पर सीआरआर, एसएलआर और प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र (पीएसएल) जैसे विनियामक पूर्वक्रय कम से कम होंगे।" 2. हमारे 15 जुलाई 2014 के परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 24/21.04.132/2014-15 के द्वारा बैंकों के तुलन पत्र के आस्ति पक्ष में इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए दीर्घावधि ऋणों की लचीली संरचना पर अलग से विचार किया गया है। इस परिपत्र में बैंक के तुलनपत्र के देयता पक्ष में महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर को उधार देने के लिए दीर्घावधि निधियां जुटाने पर चर्चा की गई है। 3. इन्फ्रास्ट्रक्चर के रूप में तकनीकी रूप से परिभाषित क्षेत्र के अलावा किफायती आवास अर्थव्यवस्था का अन्य ऐसा हिस्सा है, जिसके लिए दीर्घावधि निधीयन आवश्यक है और जो अत्यंत महत्वपूर्ण भी है। जनता के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस), निम्न आय समूह (एलआईजी) तथा मध्यम आय समूह (एमआईजी) के लिए मकान/आवास किफायती दर पर उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने सस्ते ऋणों की उपलब्धता के महत्व पर बल दिया है। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक बैंकों को इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा किफायती मकानों के लिए दीर्घावधि ऋणों का वित्तीयन करने के लिए दीर्घावधि संसाधन जुटाने का मार्ग आसान बनाना चाहता है। इससे आर्थिक प्रगति और स्थिरता, दोनों को बढ़ाने में सहायता मिलेगी और साथ ही, आपूर्ति पक्ष में सुधार होगा। 4. इस परिप्रेक्ष्य में कृपया "बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना" विषय पर हमारा 11 जून 2004 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 90/21.01.002/2003-04 देखें, जिसमें बैंकों को न्यूनतम 5 वर्ष परिपक्वता वाले दीर्घावधि बांड (टियर ॥ पूंजी के लिए पात्र बांडों से इतर) उस सीमा तक जारी करनेकी अनुमति दी गई थी, जिस सीमा तक इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में 5 वर्ष से अधिक अवधि की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि का उनका एक्सपोजर है, ताकि बैंकों को अपनी दीर्घावधि प्रतिबद्धताओं के निधीयन के लिए दीर्घावधि संसाधन जुटाने में सुविधा हो और साथ ही, बैंकों को दीर्घतर अवधि की परिपक्वताओं में आस्ति देयता असंतुलन को कम करने में सहायता मिल सके। 5. हालांकि बैंक टियर ॥ पूंजी बांडों के माध्यम से बड़ी मात्रा में संसाधन जुटाते रहे हैं, फिर भी यह पाया गया है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र ऋणों के निधीयन के लिए दीर्घावधि बांड जारी करने में कोई प्रगति नहीं हुई है, जबकि न्यूनतम अवधि और आरक्षित निधि अपेक्षाओं को लागू करने की दृष्टि से दोनों एक समान हैं। 6. उपर्युक्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए और देश में किफायता आवास की आवश्यकता की पूर्ति के लिए समुचित ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए तथा बैंकों द्वारा इन क्षेत्रों को उधार देने के लिए पहले से उपलब्ध दीर्घावधि वित्तीयन संसाधनों के इष्टतम उपयोग को प्रोत्साहन देने हेतु इस विषय पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है ताकि कतिपय विनियामक पूर्वक्रयों को न्यूनतम किया जा सके। तदनुसार, ऊपर उल्लिखित 11 जून 2004 के परिपत्र में दिए गए अनुदेशों को संशोधित किया गया है तथा दीर्घावधि बांड जारी करने के लिए संशोधित दिशानिर्देश इस परिपत्र के अनुबंध में दिए गए हैं। भवदीय (सुदर्शन सेन) बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना- इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती दरों पर आवास का वित्तीयन बैंक (i) इन्फ्रास्ट्रक्चर उप-क्षेत्रों की दीर्घावधि परियोजनाओं, तथा (ii) किफायती मकानों के लिए ऋण देने हेतु संसाधन जुटाने के लिए दीर्घावधि बांड जारी कर सकते हैं, जिनकी न्यूनतम परिपक्वता अवधि सात वर्ष होगी। 2. परिभाषाएं (i) इन्फ्रास्ट्रक्चर उप-क्षेत्र : ' इन्फ्रास्ट्रक्चर को वित्त प्रदान करना - इन्फ्रास्ट्रक्चर ऋण की परिभाषा' पर समय-समय पर अद्यतन किए गए 25 नवंबर 2013 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 66/08.12.014/2013-14 में यथा-परिभाषित। (ii) किफायती आवासः इस परिपत्र के प्रयोजन से किफायती आवास के लिए ऋण को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत पात्र आवास ऋण (कृपया परिशिष्ट देखें, जिसे समय-समय पर अद्यतन किया जाएगा), तथा प्रति परिवार आवासीय इकाई की खरीद/निर्माण के लिए छः महानगरों, अर्थात् मुंबई, नई दिल्ली, चेन्नै, कोलकाता, बेंगलूरु तथा हैदराबाद में स्थित 65 लाख रुपए तक मूल्य के मकानों के लिए 50 लाख रुपए तक तथा अन्य केंद्रों में 50 लाख रुपए तक मूल्य के मकानों के लिए 40 लाख रुपए के वैयक्तिक आवास ऋण के रूप में परिभाषित किया गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक मुद्रास्फीति के कारण किफायती मकानों की परिभाषा की आवधिक समीक्षा करेगा। 3. बांड का प्रकार लिखत पूर्णतः प्रदत्त, प्रतिदेय और गैर-जमानती होगा तथा अन्य गैर-बीमाकृत, गैर-जमानती ऋणदाताओं के समरूप माना जाएगा। 4. निर्गम संबंधी मुद्रा बांड का मूल्य भारतीय रुपए में अंकित किया जाएगा। 5. परिपक्वता अवधि दीर्घावधि बांडों की न्यूनतम परिपक्वता अवधि सात वर्ष होगी। 6. राशि बैंकों द्वारा जारी ऐसे बांडों की मात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा; तथापि विनियामक प्रोत्साहन ऐसे बांडों तक सीमित रहेगा, जिन्हें दीर्घावधि इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं तथा किफायती मकानों के लिए ऋणों के वृद्धिशील वित्तपोषण के लिए प्रयोग किया जा रहा है। अन्य बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से अर्जित किसी वृद्धिशील इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती आवास ऋण को विनियामक प्रोत्साहनों के लिए गणना में शामिल करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक होगा। यह देखते हुए कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती आवास के लिए चालू बकाया ऋण लगातार परिपक्व होंगे (नीचे दिए गए विनियमों में 6 वर्ष की कल्पना की गई है), इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती आवास के लिए पात्र ऋणों की गणना नीचे पैराग्राफ 7 में दी गई अनुसूची और फॉर्मूले के अनुसार की जाएगी। 7. विनियामक प्रोत्साहन के लिए पात्र ऋण :
विनियामक प्रोत्साहन 8. आरक्षित निधि अपेक्षाओं का अनुपालन इन बांडों को निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) की गणना से छूट दी जाएगी और इसलिए ये सीआरआर/एसएलआर अपेक्षाओं के अधीन नहीं होंगे। तथापि, यह छूट ऊपर पैराग्राफ 7 में उल्लिखित पात्र ऋणों की सीमा के अधीन होगी। अतएव, इस परिपत्र के अनुसार दीर्घावधि बांड जारी करने वाले बैंक के लिए डीटीएल की गणना नीचे दिए अनुसार की जाएगी :
9. प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र ऋण संबंधी मानदंडों में छूट पात्र बांडों को नीचे दी गई गणना के अनुसार प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार (पीसीएल) के प्रयोजन से समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) की गणना से भी छूट मिलेगी :
नोट – यह पाया गया है कि कुछ बैंक उक्त के अनुसार बैंक ऋण रिपोर्ट करते समय कॉर्पोरेट/प्रधान कार्यालय स्तर पर विवेकपूर्ण राइट-ऑफ घटा रहे हैं। ऐसे मामलों में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस प्रकार राइट-ऑफ किए गए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र और अन्य सभी उप-क्षेत्रों को बैंक ऋणों को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र तथा उप-क्षेत्र उपलब्धियों में से भी श्रेणी-वार घटा दिया जाता है। सभी प्रकार के ऋण, निवेश या अन्य कोई मदें, जिन्हें प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य/उप-लक्ष्य उपलब्धियों के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र माना गया है, को समायोजित निवल बैंक ऋण का भी एक भाग माना जाएगा। अन्य अपेक्षाएं 10. विकल्प बांड सादे वनिला फॉर्म में कॉल या पुट ऑप्शन के बिना निर्गत किए जाने चाहिए। 11. ब्याज दर बांड निश्चित या अस्थिर ब्याज दरों पर निर्गत किए जा सकते हैं। अस्थिर ब्याज दर बाजार द्वारा निर्धारित बेंचमार्क दरों से सहबद्ध होनी चाहिए। 12. निर्गम का तरीका बांड सार्वजनिक निर्गम के माध्यम से या प्राईवेट प्लेसमेंट के आधार पर निर्गत किए जाने चाहिए तथा ऐसा करते समय सेबी के दिशानिर्देशों/मानदंडों (अनिवार्य रेटिंग और लिस्टिंग सहित) का पूर्णतः अनुपालन किया जाना चाहिए। 13. परस्पर-धारिता बैंकों के बीच ऐसे बांडों की परस्पर धारिता की अनुमति नहीं दी जाएगी। 14. निक्षेप बीमा के लिए पात्रता ये बांड निक्षेप बीमा के लिए पात्र नहीं होंगे। 15. विनियामक/सांविधिक अनुपालन दीर्घावधि बांड जारी करने वाले बैंकों से अपेक्षित होगा कि वे सभी संगत सांविधिक तथा विनियामक अपेक्षाओं का अनुपालन करें। 16. फेमा अपेक्षाएं बैंक फेमा अपेक्षाओं, यदि लागू हों, का पालन करेंगे। 17. रिपोर्टिंग अपेक्षाएं दीर्घावधि बांड जारी करने वाले बैंक निर्गम का काम पूर्ण होते ही तुरंत प्रस्ताव संबंधी दस्तावेज सहित भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे जिसमें जारी किए गए बांडों का विवरण, जैसे जुटाई गई राशि, लिखत की परिपक्वता, ब्याज दर आदि का विवरण होगा। 18. समीक्षा भारतीय रिज़र्व बैंक इन अनुदेशों की आवधिक रूप से समीक्षा करेगा, विशेषतः सीआरआर/एसएलआर से छूट के प्रयोजन से डीटीएल की गणना तथा पीसीएल के प्रयोजन से एएनबीसी की गणना से संबंधित अनुदेशों की। प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण के लिए पात्र आवास ऋण (i) प्रति परिवार आवासीय इकाई खरीदने/निर्माण करने के लिए 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले महानगरीय केंद्रों में 25 लाख रुपये तथा अन्य केंद्रों में 15 लाख रुपये का वैयक्तिक ऋण। इसमें बैंक के अपने कर्मचारियों को दिए गए ऋण शामिल नहीं होंगे। (ii) परिवारों की क्षतिग्रस्त आवासीय इकाइयों की मरम्मत के लिए ऋण – ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 2 लाख रुपये तक तथा शहरी और महानगरीय क्षेत्रेां में 5 लाख रुपये तक। (iii) झुग्गी झोपडियों को हटाने और झुग्गी झोपडियों के निवासियों के पुनर्वास के लिए किसी सरकारी एजेंसी को बैंक ऋण 10 लाख रुपए प्रति झुग्गी की अधिकतम सीमा के अधीन। (iv) केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और निम्न आय वर्ग के लिए मकान निर्माण, जिसकी कुल लागत 10 लाख रुपये प्रति आवासीय इकाई से अधिक न हो, के प्रयोजन से विशेष आवासीय परियोजनाओं के लिए बैंकों द्वारा मंजूर किए गए ऋण। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और निम्न आय वर्ग की पहचान करने के प्रयोजन से स्थान पर ध्यान दिए बिना परिवार की वार्षिक आय 1,20,000 रुपये निर्धारित की गई है। (v) गंदी बस्तियों को हटाने और झुग्गी-वासियों के पुनर्वास के लिए वैयक्तिक आवास की खरीद/निर्माण/पुनर्निर्माण के प्रयोजन से आगे उधार देने के लिए एनएचबी द्वारा उनके पुनर्वित्त के लिए अनुमोदित आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को बैंक ऋण, प्रति उधारकर्ता को 10 लाख रुपये की सकल ऋण सीमा के अधीन, बशर्ते कि अंतिम उधारकर्ता को लगाई गई सर्व-समाविष्ट ब्याज दर ऋणदाता बैंक के आवास ऋण की निम्नतम उधार दर+दो प्रतिशत प्रतिवर्ष से अधिक न हो। प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र ऋणों के अधीन एचएफसी को ऋण निरंतर आधार पर बैंक के कुल प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋणों के पांच प्रतिशत तक सीमित किया गया है। बैंक ऋणों की परिपक्वता अवधि का एचएफसी द्वारा दिए गए ऋणों की औसत परिपक्वता के साथ अंत होना चाहिए। बैंकों को अंतर्निहित संविभाग का उधारकर्तावार ब्योरा रखना चाहिए। 1 सात वर्ष से अधिक की मूल परिपक्वता वाले ऋण तथा भारतीय रिज़र्व बैंक और अन्य अनुमोदित वित्तीय संस्थाओं के पास पुनर्भुनाए गए बिलों की निवल राशि। |