किफायती आवास और बुनियादी संरचना के वित्तपोषण के लिए बैंकों द्वारा दीर्घावधि बाण्ड जारी किया जाना- पारस्परिक धारिता - आरबीआई - Reserve Bank of India
किफायती आवास और बुनियादी संरचना के वित्तपोषण के लिए बैंकों द्वारा दीर्घावधि बाण्ड जारी किया जाना- पारस्परिक धारिता
आरबीआई/2014-15/618 1 जून 2015 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदय, किफायती आवास और बुनियादी संरचना के वित्तपोषण के लिए बैंकों कृपया 15 जुलाई 2014 का हमारा परिपत्र बैपविवि.बीपी.बीसी.सं.25/08.12.014/2014-15 देखें, जिसमें बैंकों को कतिपय विनियामक पूर्वापेक्षाओं में छूट देते हुए उनके द्वारा बुनियादी संरचना और किफायती आवास के वित्तपोषण के लिए दीर्घावधि बाण्ड जारी करने की अनुमति दी गई थी। इसके अलावा ऐसे बांडों में खुदरा निवेशकों को तरलता उपलब्ध कराए जाने को ध्यान में रखते हुए हमने 27 नवंबर 2014 के अपने परिपत्र बैपविवि.बीपी.बीसी.सं.50/08.12.014/2014-15 द्वारा बैंकों को उनके द्वारा जारी किए जाने वाले ऐसे दीर्घावधि बांडों के बदले वैयक्तिकों को ऋण दिए जाने की अनुमति भी दी थी। 2. 15 जुलाई 2014 परिपत्र के पैरा 13 के अनुसार, इस समय बैंकों को आपस में ऐसे बांडों की पारस्परिक धारिता बनाए रखने की अनुमति नहीं है। हमें इस आशय के अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं जिनके अनुसार पारस्परिक धारिता पर ऐसा प्रतिबंध इन बांडों की तरलता और विपणननीयता में बाधा डालता है, क्योंकि ऋण लिखत बाजार में बैंक एक महत्वपूर्ण सहभागी होते हैं । 3. समीक्षा किए जाने पर, यह निर्णय लिया गया है कि अब से बैंक 15 जुलाई 2014 के उपर्युक्त परिपत्र के प्रावधानों के तहत अन्य बैंकों द्वारा जारी दीर्घावधि बांडों में निवेश कर सकते हैं। तथापि, सीआरआर तथा एसएलआर अपेक्षाओं तथा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार में विनियामक छूट की अनुमति का प्राथमिक उद्देश्य बुनियादी संरचना और किफायती आवास के वित्तपोषण हेतु दीर्घावधि बाण्ड जारी किए जाने को बढ़ावा देना है। इस उद्देश्य को बनाए रखने और अनुमत विनियामक छूट की दोहरी गणना से बचने के लिए ऐसे निवेश निम्नलिखित शर्तों के अधीन होंगे :
6. 15 जुलाई 2014 के परिपत्र बैपविवि.बीपी.बीसी.सं.25/08.12.014/2014-15 तथा 27 नवंबर 2014 के परिपत्र बैपविवि.बीपी.बीसी.सं.50/08.12.014/2014-15 में दिए गए अन्य नियम तथा शर्तें यथावत रहेंगी। इसके अलावा, रिजर्व बैंक के इस संबंध में मौजूदा विवेकपूर्ण मानदंड ऐसे निर्गमनों तथा निवेशों पर लागू होंगे । भवदीय, (सुदर्शन सेन) |