अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - धनशोधन निवारण नियमावली के अंतर्गत ई-आधार को ‘आधिकारिक वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - धनशोधन निवारण नियमावली के अंतर्गत ई-आधार को ‘आधिकारिक वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किए जाने के लिए मान्यता देना – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
आरबीआई/2013-14/514 6 मार्च 2014 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - धनशोधन निवारण नियमावली के अंतर्गत ई-आधार को ‘आधिकारिक वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किए जाने के लिए मान्यता देना – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक कृपया 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/ धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए),2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व से संबंधित दिनांक 1 जुलाई 2013 का मास्टर परिपत्र शबैंवि. बीपीडी. (पीसीबी). एमसी. सं.16/12.05.001/2013-14 के पैरा 2.6 (बी) देखें जिसमें कहा गया है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण – (यूआईडीएआई) द्वारा जारी पत्र जिसमें नाम, पता और आधार संख्या दी गई हो, को ‘आधिकारिक वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किया जा सकता है । साथ ही, मास्टर परिपत्र के पैरा 2.5 (ix) के अनुसार बैंकों को यह सूचित किया गया है कि आधार पर आधारित खाते खोलते समय यदि खाताधारक द्वारा उपलब्ध कराया गया पता, आधार पत्र पर दिए गए पते के समान है, तो उसे पहचान और पता, दोनों को प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है । 2. 17 सितंबर 2013 का हमारा परिपत्र सं शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं.15/14.01.062/2013-14 का संदर्भ लें जिसके माध्यम से यह निर्णय लिया गया था कि धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रख-रखाव) नियमावली, 2005 के अंतर्गत केवाईसी सत्यापन के लिए वैध प्रक्रिया के रूप में ई-केवाईसी सेवा स्वीकार की जाए । साथ ही, यह सूचित किया गया है कि ई-केवाईसी प्रक्रिया के परिणाम के रूप में यूआईडीएआई से उपलब्ध कराए गए जन सांख्यिकीय विवरण और फोटोग्राफ वाली सूचना (जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में होती है और उत्तरवर्ती संदर्भ के लिए उपयोग हेतु सुलभ है) पीएमएल नियमावली के अंतर्गत आधिकारिक से वैध दस्तावेज माना जाए । 3. इस संदर्भ में शहरी सहकारी बैंकों को यह स्पष्टीकृत किया जाता है कि यूआईडीएआई के वेबसाईट से डाउनलोड किया गया ई-आधार को निम्न शर्तों के अधीन ‘आधिकारिक वैध दस्तावेज’ माना जाए ।
4. मूर्त आधार कार्ड/ डाक के माध्यम से प्राप्त यूआईडीएआई द्वारा जारी पत्र, जिसमें नाम, पता और आधार संख्या दी गई है और अनुच्छेद सं 2 में उल्लिखित परिपत्र में बताए ई-केवाईसी प्रणाली को ‘आधिकारिक वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किये जाते रहेंगे । 5. शहरी सहकारी बैंक उपर्युक्त अनुदेशों को ध्यान में रखते हुए अपनी केवाईसी नीति संशोधित करें और उक्त का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें । भवदीय, (पी के अरोड़ा) |