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अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने/धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों के दायित्व- धन अंतरण सेवा योजना – पीएमएल नियमावली के अंतर्गत ई - आधार को एक' आधिकारिक वैध दस्तावेज' के रूप में स्वीकार करना

भारिबैंक/2014-15/138
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 10

21 जुलाई 2014

सभी प्राधिकृत व्यक्ति जो धन अंतरण सेवा योजना के अंतर्गत भारतीय एजेंट हैं

महोदया/महोदय,

अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने/धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों के दायित्व- धन अंतरण सेवा योजना – पीएमएल नियमावली के अंतर्गत ई - आधार को एक' आधिकारिक वैध दस्तावेज' के रूप में स्वीकार करना

प्राधिकृत व्यक्तियों, जो धन अंतरण सेवा योजना के अंतर्गत भारतीय एजेंट हैं, का ध्यान उपर्युक्त विषय पर, समय समय पर यथासंशोधित, 27 नवंबर 2009 के हमारे ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 18 (ए.पी. (एफएल/आरएल सीरीज) परिपत्र सं. 05) के अनुबंध-II की ओर आकृष्ट किया जाता है। उल्लिखित परिपत्र के अनुबंध-II में ग्राहक/कों की पहचान करने के लिए आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेजों की सूची दी गई है।

2. भारतीय एजेंटों को सूचित किया जाता है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण – (यूआईडीएआई) द्वारा जारी कागजी आधार कार्ड/पत्र जिसमें नाम, पता और आधार संख्या दी गई हो, को ‘आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज’ के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। यदि ग्राहक द्वारा दिया गया पता और आधार पत्र में दिया गया पता दोनों एक ही हों तो उसे पहचानपत्र एवं पते दोनों के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।

3. पहचान संबंधी धोखाधड़ी, दस्तावेज संबंधी जालसाजी के जोखिम को कम करने और कागज रहित केवाईसी सत्यापन के लिए यूआईडीएआई ने अपनी ई-केवाईसी सेवा शुरू की है। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रख-रखाव) नियमावली, 2005 के अंतर्गत केवाईसी सत्यापन के लिए वैध प्रक्रिया के रूप में ई-केवाईसी सेवा स्वीकार की जाए। साथ ही, ई-केवाईसी प्रक्रिया के परिणाम के रूप में यूआईडीएआई से उपलब्ध कराए गए जन सांख्यिकीय विवरण और फोटोग्राफ वाली सूचना ("जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में होती है और बाद में संदर्भ के लिए उपयोग में लाने हेतु सुलभ रहती है") पीएमएल नियमावली के अंतर्गत आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज माना जाए। इस संबंध में, यह सूचित किया जाता है कि यूआईडीएआई की ई-केवाईसी सेवा का प्रयोग करते समय, व्यक्तिगत उपयोगकर्ता को यूआईडीएआई को स्पष्ट अनुमति देकर प्राधिकृत करना होगा कि बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से भारतीय एजेंट को उसकी पहचान/उसका पता दिया जाए। तत्पश्चात यूआईडीएआई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भारतीय एजेंट को संबंधित व्यक्ति के नाम, आयु, लिंग और फोटोग्राफ संबंधी आंकड़े अंतरित करता है, जिसे केवाईसी सत्यापन के लिए वैध प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। आधार-केवाईसी सेवा पर आधारित यूआईडीएआई ई-केवाईसी सेवा का प्रयोग करने संबंधी परिचालनात्मक अनुदेश मोटे तौर पर अनुबंध में दिए गए हैं।

4. भारतीय एजेंटों को सूचित किया जाता है कि वे ई-केवाईसी के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण को लागू करने के लिए समुचित मूलभूत संरचना का प्रबंध रखें (अनुबंध में यथाविनिर्दिष्ट)।

5. इसके अतिरिक्त, यह स्पष्ट किया जाता है कि भारतीय एजेंट यूआईडीएआई की वेबसाइट से डाउनलोड किए गए ई-आधार को निम्नलिखित शर्तों के अधीन आधिकारिक वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार कर सकते हैं:

ए) यदि भावी ग्राहक केवल अपनी आधार संख्या जानता/जानती है, तो भारतीय एजेंट भावी ग्राहक के ई-आधार पत्र को यूआईडीएआई पोर्टल से सीधे मुद्रित कर सकता है; या उपर्युक्त पैरा 3 में दिए अनुसार ई-केवायसी प्रक्रिया अपना सकता है।

बी) यदि भावी ग्राहक के पास ई-आधार की कहीं और से डाउनलोड की गयी प्रति है तो भारतीय एजेंट, ई-आधार पत्र को यूआईडीएआई पोर्टल से सीधे मुद्रित कर सकता है; या उपर्युक्त पैरा 3 में दिए गए अनुसार ई-केवाईसी प्रक्रिया अपना सकता है; या यूआईडीएआई की सरल प्रमाणीकरण सेवा के माध्यम से निवासी की पहचान और पते की पुष्टि कर सकता है।

6. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) और यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2002 और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(बी॰पी॰कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

ई-केवाईसी के लिए अपनाई जाने वाली परिचालनात्मक कार्यविधि

यूआईडीएआई की ई-केवाईसी सेवा भारतीय एजेंट द्वारा एक सुरक्षित नेटवर्क के माध्यम से प्रयोग/ विकसित की जानी है। यूआईडीएआई की ई-केवाईसी सेवा का प्रयोग करने के इच्छुक भारतीय एजेंट से अपेक्षित है कि वह यूआईडीएआई के साथ करार पर हस्ताक्षर करे। इस संबंध में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निम्नानुसार है:

1. ई-केवाईसी सेवा तक पहुंचने/का लाभ लेने के लिए भारतीय एजेंट को यूआईडीएआई के साथ केवाईसी यूजर एजेंसी करार पर हस्ताक्षर करना होगा।

2. विभिन्न डिलीवरी चैनलों हेतु ई-केवाईसी सेवा का प्रयोग करने के लिए भारतीय एजेंटों को अपेक्षित हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर लगाने होंगे। ये यूआईडीएआई मानक के अनुसार मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन संस्थान (एसटीक्यूसी), इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रमाणित बायोमेट्रिक स्कैनर ग्राहक सेवा केंद्र (CSP) में होने चाहिए। प्रमाणीकृत बायोमेट्रिक स्कैनर की सूची http://www.stqc.gov.in वेबसाइट पर उपलब्ध है।

3. यूआईडीएआई द्वारा निर्धारित एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) प्रोटोकोल के अनुसार विभिन्न सीएसपीज़(धन अंतरण सेवा योजना के तहत उप एजेंटों सहित) पर ई-केवाईसी का प्रयोग संभव बनाने के लिए सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन विकसित करना होगा। इस उद्देश्य के लिए यूआईडीएआई द्वारा दिए गए विस्तृत दिशानिर्देशों के अनुसार भारतीय एजेंट को अपने सॉफ्टवेयर विकसित करने होंगे। इसलिए, एक भारतीय एजेंट का सॉफ्टवेयर दूसरे भारतीय एजेंट के सॉफ्टवेयर से भिन्न हो सकता है।

4. भारतीय एजेंट के साथ ई-केवाईसी डाटा साझा करने के लिए, ग्राहक प्राधिकार प्राप्त करने संबंधी कार्यविधि यूआईडीएआई को स्पष्ट करें। समय-समय पर यूआईडीएआई द्वारा किए गए निर्धारण के अनुसार प्राधिकार कागजी रूप में (विदेशी आवक विप्रेषण प्राप्त करने हेतु भारतीय एजेंट / भारतीय उप-एजेंट के साथ आधार डाटा साझा करने के लिए यूआईडीएआई को प्राधिकृत करने वाली लिखित स्पष्ट अनुमति के रूप में)/इलेक्ट्रानिक रूप में हो सकता है।

5. प्रक्रिया प्रवाह का नमूना निम्नानुसार हैः

ए. ग्राहक 12 अंक वाली अपनी आधार संख्या और स्पष्ट सहमति के साथ भारतीय एजेंट के सीएसपी में आता है और आधार पत्र पर आधारित ई-केवाईसी से विदेशी आवक विप्रेषण लेने के लिए अनुरोध करता है।

बी. सीएसपी चलाने/का प्रबंधन करने वाला भारतीय एजेंट का प्रतिनिधि भारतीय एजेंट के ई-केवाईसी एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर में उक्त संख्या की प्रविष्टि करता है।

सी. ग्राहक यूआईडीएआई के अनुपालक बायोमेट्रिक रीडर के माध्यम से अपने बायोमेट्रिक्स की प्रविष्टि करता है (उदाहरणार्थ बायोमेट्रिक रीडर पर उंगली के निशान)।

डी. सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन आधार संख्या को बायोमेट्रिक डाटा के साथ ग्रहण करता है, इस डाटा को इन्क्रिप्ट करता है और यूआईडीएआई के केंद्रीय पहचान डाटा रिपोसिटरी (सीआईडीआर) को भेजता है।

ई. आधार केवाईसी सेवा, ग्राहक संबंधी डाटा को प्रमाणित करती है। यदि आधार संख्या बॉयोमेट्रिक्स के साथ मेल नहीं खाती है, तो यूआईडीएआई सर्वर से त्रुटि के प्रकार (यूआईडीएआई द्वारा यथानिर्धारित) के आधार पर, त्रुटि की सूचना विभिन्न कारण कोड के साथ आती है।

एफ. यदि आधार संख्या बायोमेट्रिक्स से मेल खाती है, तो यूआईडीएआई से डिजिटल हस्ताक्षर के साथ और इन्क्रिप्ट जन सांख्यिकीय सूचना [नाम, जन्म- वर्ष/तिथि, लिंग, पता, फोन नंबर और ई-मेल (यदि उपलब्ध हो)] और फोटोग्राफ के साथ प्रति-उत्तर के रूप में आती है। यह सूचना भारतीय एजेंट के ई-केवाईसी एप्लिकेशन द्वारा ग्रहण कर ली जाती है और आवश्यकतानुसार संसाधित होती है।

जी. भारतीय एजेंट का सर्वर संबंधित स्थलों पर संगत जनसांख्यिकीय डाटा और फोटोग्राफ को स्वतः भर देता है। इसमें ई-केवाईसी का संपूर्ण ऑडिट परीक्षण(audit trail) अर्थात सूचना का स्रोत, डिजिटल हस्ताक्षर, संदर्भ संख्या, मूल अनुरोध हेतु सृजित संख्या, अनुरोध पूरा करने के लिए प्रयुक्त उपकरण के लिए मशीन आईडी, संदेश मार्ग (message routing) संबंधी संपूर्ण परीक्षण के साथ दिनांक और तिथि मुहर सहित, यूआईडीएआई इन्क्रिप्ट तिथि और समय संबंधी मुहर, भारतीय एजेंट द्वारा डिक्रिप्शन तिथि और समय संबंधी मुहर, इत्यादि का रिकार्ड भी रहता है।

एच. ग्राहक के फोटोग्राफ और जन सांख्यिकीय आंकड़े संदर्भ के लिए सीएसपी के कंप्यूटर स्क्रीन पर संदर्भ के लिए देखे जा सकते हैं।

आई. अन्य जरूरी अपेक्षाओं को पूरा करने की शर्त के तहत, ग्राहक धन अंतरण सेवा योजना के अंतर्गत विदेशी आवक विप्रेषण प्राप्त कर सकता है।

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