अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धनशोधन निवारण मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धनशोधन निवारण मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व
आरबीआइ/2010-11/126 22 जुलाई 2010 अध्यक्ष सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक महोदय अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धनशोधन निवारण मानक / कृपया अपने ग्राहक को जानिए मानदंड /धनशोधन निवारण मानक / आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व पर 18 जून 2009 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.सं.13611 /03.05.28-ए / 2008-09 तथा दिनांक 18 फरवरी 2005 का परिपत्र ग्राआऋवि.आरआरबी.बीसी.सं. 81/03.05.33(इ)/2004-05 देखें । वित्तीय कार्रवाई दल (एफएटीएफ) की सिफारिशों को लागू नहीं करने वाले अथवा अपर्याप्त रूप से लागू करने वाले देश 2. 18 जुलाई 2009 के उपर्युक्त परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.सं. 13611/03.05.28-ए/2008-09 के पैराग्राफ सं. 3 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सूचित किया गया है कि वे एफएटीएफ वक्तव्य में शामिल किए गए क्षेत्रों में धनशोधन निवारण /आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध संबंधी मानदंडों में कमियों के कारण होने वाले जोखिम को ध्यान में रखें । बैंकों को आगे यह सूचित किया जाता है कि एफएटीएफ सिफारिशों को लागू न करने वाले अथवा अपर्याप्त रुप से लागू करने वाले देशों की पहचान करने के लिए बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर परिचालित किए जाने वाले एफएटीएफ वक्तव्यों के साथ-साथ सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध सूचना /जानकारी पर भी विचार करना चाहिए । यह स्पष्ट किया जाता है कि बैंकों को एफएटीएफ सिफारिशों को लागू न करने वाले अथवा अपर्याप्त रूप से लागू करने वाले देशों तथा एफएटीएफ वक्तव्यों में शामिल किए गए क्षेत्रों की हस्तियों (विधिक हस्तियों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं सहित) के साथ कारोबारी संबंधों तथा लेनदेन पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए । 3. 18 फरवरी 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.आरआरबी.बीसी.सं.81/03.05.33(इ)/2004-05 के साथ संलग्न "अपने ग्राहक को जानिए" मानदंड तथा धनशोधन निवारण उपायों पर दिशानिर्देशों के पैराग्राफ 4 के अनुसार ‘अपने ग्राहक को जानिए’ संबंधी कारगर क्रियाविधियों का अनिवार्य तत्व है निरंतर निगरानी । यह सूचित किया जाता है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एफएटीएफ वक्तव्यों में शामिल किए गए क्षेत्रों तथा एफएटीएफ की सिफारिशों को लागू न करने वाले अथवा अपर्याप्त रुप से लागू करने वाले देशों की हस्तियों (विधिक हस्ति तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं सहित) के साथ लेनदेन की पृष्ठभूमि तथा प्रयोजन की जांच करनी चाहिए । साथ ही, यदि लेनदेन का कोई प्रकट आर्थिक अथवा विधिक प्रयोजन नहीं है तो ऐसे लेनदेन की पृष्ठभूमि तथा प्रयोजन की जहां तक संभव हो, जांच की जानी चाहिए तथा इसके निष्कर्ष को लिखित रूप में सभी दस्तावेजों सहित रखा जाए और अनुरोध प्राप्त होने पर उन्हें रिज़र्व बैंक/अन्य संबंधित प्राधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए । शेल बैंक 4. 18 फरवरी 2005 के हमारे उपर्युक्त परिपत्र के साथ संलग्न "अपने ग्राहक को जानिए" मानदंड तथा धनशोधन निवारण उपायों पर दिशा-निर्देशों के अनुबंध I में निहित अनुदेशों के अनुसार बैंकों को उन रिस्पॉन्डेंट विदेशी वित्तीय संस्थाओं के साथ संबंध स्थापित करते समय सतर्क रहना चाहिए जो शेल बैंकों को अपने खातों का उपयोग करने की अनुमति देते हैं । यह स्पष्ट किया जाता है कि बैंकों को शेल बैंकों के साथ संबंध स्थापित नहीं करने चाहिए और किसी विदेशी संस्था के साथ संपर्ककर्ता (कॉरेस्पॉन्डेंट) संबंध स्थापित करने से पहले बैंकों को स्वयं को इस बात से संतुष्ट कराने के लिए उचित उपाय करने चाहिए कि विदेशी रिस्पॉन्डेंट संस्था शेल बैंकों को अपने खातों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देती है । 5. ये दिशानिर्देश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क के अंतर्गत जारी किए गए हैं । इनका कोई भी उल्लंघन होने पर अथवा अनुपालन न करने पर बैंककारी विनियमन अधिनियम के अंतर्गत दंड दिया जा सकता है । भवदीय ( बी.पी.विजयेद्र ) |