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अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने / धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम,  2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्राधिकृत व्याक्तियों का दायित्व- मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां

भारिबैंक/2010-11/287
ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.18
ए.पी. (एफएल/आरएल सिरीज) परिपत्र सं.01

25 नवंबर 2010

सभी प्राधिकृत व्यक्ति

महोदया/महोदय

अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने / धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम,  2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्राधिकृत व्याक्तियों का दायित्व- मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां

प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियों के बारे में अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मापदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने / धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 पर 27 नवंबर 2009 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 17 (ए.पी. (एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 04) की ओर आकर्षित किया जाता है ।

धन शोधन/आतंकवाद वित्तपोषण का संदेह

2.  प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा आपराधिक घटकों से काले धन शोधन अथवा आतंकवाद वित्तपोषण गतिविधियों के लिए जानबूझकर अथवा अनजाने में अपनायी जानेवाली  विदेशी मुद्रा नोटों / यात्री चेकों की खरीद और /अथवा बिक्री की पद्धति को रोकने की दृष्टि से यह स्पष्ट किया जाता है कि जब कभी धन शोधन अथवा आतंकवाद वित्तपोषण का संदेह होता है अथवा जब अन्य कारक यह विश्वास दिलाते हैं कि ग्राहक, वास्तव में, कम जोखिम का नहीं है, प्राधिकृत व्यक्तियों को मुद्रा परिवर्तन के लेनदेन करने से पहले पूर्णरूपेण यथोचित ग्राहक सावधानी (सीडीडी) बरतनी चाहिए ।

संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) फाइल करना

3. उपर्युक्त में उल्लिखित 27 नवंबर 2009 के परिपत्र के पैराग्राफ 4.3(iv) में निहित अनुदेशों के अनुसार, जिन मामलों में प्राधिकृत व्यक्ति यथोचित ग्राहक सावधानी उपाय लागू नहीं कर सकते हैं, ऐसे मामलों में लेनदेन नहीं किया जाना चाहिए। इसी प्रकार, 27 नवंबर 2009 के परिपत्र के पैराग्राफ 4.4(छ) में निहित अनुदेशों के अनुसार, कंपनी / फर्म /ट्रस्ट और फाउंडेशन जैसी किसी व्यवसाय संस्था/संस्थाओं के साथ संबंध केवल निर्धारित यथोचित दस्तावेज प्राप्त करने तथा उनका सत्यापन करते हुए यथोचित् सावधानी बरतने पर ही स्थापित किये जाने चाहिए। जब व्यवसाय संबंध पहले से मौजूद है और व्यवसाय संबंध में ग्राहक के बारे में यथोचित् सावधानी बरतना संभव नहीं है तो प्राधिकृत व्यक्तियों को व्यवसाय संबंध समाप्त करने चाहिए और वित्तीय आसूचना ईकाई-भारत (एफआइयु-आइएनडी) में संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट करना चाहिए । यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसी स्थितियों में जब प्राधिकृत व्यक्ति को विश्वास हो जाता है कि अब वह ग्राहक(व्यक्तिगत/व्यवसाय संस्था) की सही पहचान के बारे में आश्वस्त नहीं हो पायेगा तो प्राधिकृत व्यक्ति को एफआइयु-आइएनडी में संदेहास्पद लेनदेन रिपोर्ट भी फाइल करनी चाहिए ।

राजनयिक (पोलिटिकली एक्स्पोजड़् पर्सन्स )(पीइपीएस)

4. उपर्युक्त में उल्लिखित 27 नवंबर 2009 के परिपत्र के पैराग्राफ 4.5(iii)  में निहित अनुदेशों के अनुसार, राजनयिकों के साथ लेनदेन करने का निर्णय वरिष्ठ स्तर पर लिया जाना चाहिए और ग्राहक स्वीकृति नीति में उसका उल्लेख स्पष्ट रुप से करना चाहिए । प्राधिकृत व्यक्तियों को ऐसे लेनदेनों की लगातार आधार पर बढ़ायी गयी निगरानी रखनी चाहिए । उसी प्रकार, जब कोई ग्राहक पहले ही व्यवसाय संबंध स्थापित किये जाने पर राजनयिक बनता है तो ऐसे ग्राहकों  के संबंध में ग्राहक यथोचित् बढ़ायी गयी कार्रवाई (सीडीडी) की जानी चाहिए और राजनयिक के साथ व्यवसाय संबंध बनाये रखने का निर्णय काफी वरिष्ठ स्तर पर लिया जाना चाहिए ।यह स्पष्ट किया जाता है कि उपर्युक्त में उल्लिखित 27 नवंबर 2009 के परिपत्र के पैराग्राफ  4.5(iii) में निहित अनुदेश ऐसे व्यक्तिगत लेनदेनों/व्यवसाय संबंध के लिए भी लागू हैं जहाँ कोई राजनयिक अंतिमत: हिताधिकारी स्वामी है। इसके अतिरिक्त, राजनयिकों के मामले में व्यक्तिगत लेनदेनों/व्यवसाय संबंध के बारे में, यह दोहराया जाता है कि प्राधिकृत व्यक्तियों के पास राजनयिकों, ग्राहक जो राजनयिकों के परिवार के सदस्य अथवा नजदीकी रिश्तेदार हैं और ऐसे व्यक्तिगत लेनदेनों/व्यवसाय संबंध जिसके लिए कोई राजनयिक अंतिमत: हिताधिकारी स्वामी है, को पहचानने तथा ग्राहक यथोचित् बढ़ायी गयी कार्रवाई (सीडीडी) करने के लिए उचित निरंतर जोखिम प्रबंध क्रियाविधि  का पालन होना चाहिए ।

प्रधान अधिकारी

5. प्रधान अधिकारी की नियुक्ति तथा जिम्मेदारी के संबंध में उपर्युक्त में उल्लिखित 27 नवंबर 2009 के परिपत्र के पैराग्राफ 4.12 के संदर्भ में, यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रधान अधिकारी की भूमिका और जिम्मेदारी में समय समय पर जारी अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) /धन शोधन निवारण (एएमएल) /आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) पर विनियामक दिशा-निर्देशों के साथ समग्र अनुपालन के संबंध में निरीक्षण करने और उसे सुनिश्चित करने  तथा धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 और समय समय पर यथा संशोधित उसके तहत बनाये गये नियमों तथा विनियमों के तहत दायित्वों का समावेश होना चाहिए ।

6.  ये दिशा-निर्देश यथोचित परिवर्तनों सहित  प्राधिकृत व्यक्तियों के सभी एजेंटों / विशेष विक्रय अधिकार देने वालों (फ्रेंचाइजीस) को भी लागू होंगे और विशेष विक्रय अधिकार लेने वालों ( फ्रेंचाइजर) की स्वयं की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी कि उनके एजेंट/ विशेष विक्रय अधिकार देने वाले (फ्रेंचाइजीस) भी इन दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं।

7.  प्राधिकृत व्यक्ति इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत करा दें ।

8. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1),  और धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम,  2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए),  2002 और समय समय पर यथा संशोधित धन शोधन निवारण (लेनदेनों के स्वरुप और लागत के अभिलेखों का रखरखाव, रखरखाव की प्रक्रिया और पद्धति तथा जानकारी प्रस्तुत करने  के लिए समय  और बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियम, 2005 के तहत जारी किये गये हैं । दिशा-निर्देशों का अनुपालन न  करने से संबंधित अधिनियमों  अथवा उसके तहत बनाये गये नियमों के दंडात्मक प्रावधानों  को लागू किया जाएगा ।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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