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अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने / धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्राधिकृत व्याक्तियों का दायित्व- जोखिम का आकलन और निगरानी – धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत सीमापार के आवक विप्रेषण

भारिबैंक/2011-12/416
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 87

29 फरवरी 2012

सभी प्राधिकृत व्यक्ति, जो मुद्रा अंतरण सेवा योजना के तहत भारतीय एजेंट हैं

महोदया/महोदय,

अपने ग्राहक को जानिये (केवाइसी) मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) करने / धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्राधिकृत व्याक्तियों का दायित्व- जोखिम का आकलन और निगरानी – धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत सीमापार के आवक विप्रेषण

सभी प्राधिकृत व्यक्तियों, जो धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के अंतर्गत भारतीय एजेंट हैं, [प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंट)] का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 27 नवंबर 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 18 [ए.पी.(एफएल/आरएल सीरीज) परिपत्र सं. 05] के जरिये जारी धन अंतरण सेवा योजना को विनियमित करने वाले धन शोधन निवारण संबंधी दिशानिर्देशों की ओर आकृष्ट किया जाता है ।

2. उल्लिखित परिपत्र के पैरा 5.3 (बी) और (सी) के अनुसार, प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट), जहाँ सीमापार से नियमित आवक विप्रेषण प्राप्त किये जाते हैं/प्राप्त किये जाने अपेक्षित है, प्रत्येक नये ग्राहक की एक प्रोफाइल लेनदेनों के जोखिमों की श्रेणी के आधार पर तैयार करें तथा उच्चतर जोखिम वाले ग्राहकों के संबंध में बढ़े हुए समुचित सावधानी उपाय लागू करें । जिन ग्राहकों के संबंध में उच्चतर समुचित सावधानी बरतनी है, ऐसे ग्राहकों के कुछ निदर्शी उदाहरण भी संदर्भाधीन पैराग्राफ में दिए गए हैं । इसके अलावा, उक्त परिपत्र के पैरा 5.8(ए) की अपेक्षा के अनुसार प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) ऐसे लेनदेनों में अंतर्निहित जोखिमों को ध्यान में रखते हुए जोखिमों के प्रबंधन के लिए नीतियाँ, प्रणालियाँ और प्रक्रियाएँ स्थापित करें ।

3. भारत सरकार ने, भारत में धन शोधन निवारण और आतंकवाद के वित्तपोषण के आकलन, राष्ट्रीय एएमएल/सीएफटी रणनीति और संस्थागत ढाँचे की स्थापना के लिए धन शोधन निवारण/ आतंकवाद के वित्तपोषणगत जोखिम के आकलन पर एक राष्ट्रीय धन शोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषणगत जोखिम के आकलन हेतु समिति गठित की है । धन शोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण संबंधी जोखिमों का आकलन सक्षम प्राधिकारियों और विनियमित कंपनियों दोनों को धन शोधन/आतंकवाद का प्रतिरोध करने के लिए जोखिम आधारित रुख अख्तियार करके आवश्यक उपाय करने में मददगार होता है । यह संसाधनों के न्यायसंगत और प्रभावी आबंटन में मदद करता है तथा एएमएल/सीएफटी तंत्र को जोखिम से उबरने में अधिक सक्षम बनाता है । समिति ने जोखिम आधारित रुख अपनाने, जोखिम के आकलन और ऐसी प्रणाली स्थापित करने की सिफारिश की है जो किए गए आकलन का उपयोग धन शोधन/आतंकवाद का प्रतिरोध करने के लिए प्रभावी कदम उठाने हेतु करेगी । समिति की सिफारिशें भारत सरकार द्वारा अब स्वीकार कर ली गयी हैं और उन्हें लागू करने की जरुरत है ।

4. तदनुसार, प्राधिकृत व्याक्ति (भारतीय एजेंट) 27 नवंबर 2009 के उल्लिखित परिपत्र में वर्णित परिपत्र के पैरा 5 में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं के अतिरिक्त ग्राहक, देश और भूभाग के लिए तथा उत्पादों/सेवाओं/लेनदेनों/डिलिवरी चैनलों के लिए धन शोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण से उत्पन्न हो सकने वाले जोखिमों की पहचान एवं आकलन करने के लिए कदम उठाएं । प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) इस संबंध में अपने बोर्ड द्वारा विधिवत अनुमोदित नीतियाँ, नियंत्रण और प्रक्रियाएं अपनाएं ताकि वे ऊपर वर्णित जोखिम आधारित रुख अपनाकर ऐसे जोखिमों को प्रबंधित तथा कम कर सकें। परिणामत: प्राधिकृत व्यक्तियों (भारतीय एजेंट) से अपेक्षित होगा कि वे मध्यम या उच्च जोखिमगत श्रेणी के अनुसार उत्पाद, सेवाओं और ग्राहकों के बाबत बढ़े हुए उपाय लागू करें ।

5. लेनदेनों की जोखिम आधारित निगरानी के लिए प्राधिकृत व्याक्ति (भारतीय एजेंट) अपने कार्यों के अनुसार जोखिम मानदण्ड निरूपित करें जो स्वयं के जोखिमों के आकलन में उनकी मदद करेंगे ।

6. समय-समय पर यथा संशोधित 27 नवंबर 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 18 [ए.पी. (एफएल/आरएल) सीरीज परिपत्र सं. 05] में अंतर्विष्ट सभी अन्य अनुदेश अपरिवर्तित बने रहेंगे ।

7. धन अंतरण सेवा योजना के तहत ये दिशानिर्देश आवश्यक परिवर्तनों के साथ भारतीय एजेंटों के सभी उप-एजेंटों पर भी लागू होंगे और उप एजेंटों द्वारा इन दिशानिर्देशों का पालन किए जाने को सुनिश्चित करने की पूर्ण जिम्मेदारी प्राधिकृत व्यक्तियों की होगी ।

8. प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें ।

9. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) और धन शोधन निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा यथा संशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, (पीएमएलए), 2002 और समय समय पर यथा संशोधित धन शोधन निवारण (लेनदेनों के स्वरुप और मूल्य संबंधी अभिलेखों के रखरखाव, रखरखाव की प्रक्रिया और पद्धति तथा जानकारी प्रस्तुत करने के लिए समय और बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियम, 2005 के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीया,

(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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