बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेष राशि न रखने पर दंडात्मक प्रभार लगाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेष राशि न रखने पर दंडात्मक प्रभार लगाना
आरबीआई/2014-15/363 22 दिसंबर 2014 समस्त क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक महोदय / महोदया, बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेष राशि न रखने पर दंडात्मक प्रभार लगाना कृपया "क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में ग्राहक सेवा" पर 12 मई 2014 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.केका.आरआरबी.बीसी.सं.100/03.05.33/2013-14 देखें, जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सूचित किया गया था कि वे अपने ग्राहकों को खाता खोलते समय ही बचत बैंक खाते में अपेक्षित न्यूनतम जमा शेष बनाए रखने तथा न्यूनतम जमा शेष बनाए न रखने पर लगाए जाने वाले प्रभार आदि के बारे में पारदर्शी रूप में सूचित करें। 2. इस संबंध में कृपया 01 अप्रैल 2014 को घोषित पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के भाग 'ख' का 'विकासात्मक और विनियामक नीति' विषयक पैरा 30 देखें, जिसमें ग्राहक संरक्षण के लिए कतिपय उपायों का प्रस्ताव किया गया है। उसमें निहित प्रस्तावों में से एक यह भी था कि बैंकों को ग्राहकों की कठिनाइयों अथवा असावधानी का अनुचित लाभ नहीं उठाना चाहिए। सामान्य बचत बैंक खातों में न्यूनतम शेष राशि न रखे जाने के मामले में दंडात्मक प्रभार लगाने के बजाए बैंकों को इन खातों में उपलब्ध सेवाओं को बुनियादी बचत बैंक जमा खातों में दी जाने वाली सेवाओं तक सीमित करना चाहिए और न्यूनतम शेष राशि के स्तर में सुधार हो जाने पर सेवाओं को पुनः बहाल कर दिया जाना चाहिए। आपका ध्यान बैंकों में ग्राहक सेवा परदामोदरन समिति की सिफारिशों की ओर भी आकर्षित किया जाता है, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ यह सिफारिश की गई है कि "ग्राहकों के खाते में न्यूनतम शेष राशि का उल्लंघन होते ही बैंकों को शेष राशि तथा न्यूनतम शेष बनाए न रखने के लिए लागू दंडात्मक प्रभार के बारे में ग्राहकों को एसएमएस/ई-मेल/पत्र द्वारा तत्काल सूचित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, दंडात्मक प्रभार पाई गई कमी के अनुपात में होना चाहिए।" 3. बैंकों के साथ विस्तृत रूप से परामर्श करने के बाद नीतिगत घोषणा की समीक्षा की गई है। इन विचार-विमर्शों के परिणामस्वरूप तथा दामोदरन समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि बचत बैंक खाते में न्यूनतम शेष राशि बनाए न रखने के लिए प्रभार वसूल करते समय क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अनुबंध में दिए गए अतिरिक्त दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। ये दिशानिर्देश 01 अप्रैल 2015 से प्रभावी होंगे। 4. इन दिशानिर्देशों को बैंक की वेबसाइट पर प्रदर्शित करने के अलावा बैंक के सभी ग्राहकों के ध्यान में लाया जाना चाहिए। 5. सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि इस बीच ग्राहक सूचना को अद्यतन करने के लिए तत्काल कदम उठाएं ताकि दिशानिर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों (एसएमएस/ई-मेल आदि) द्वारा अलर्ट भेजने में सुविधा हो सके। भवदीया, (सुधा दामोदर) बचत बैंक खाते में न्यूनतम शेष राशि बनाए न रखने पर लगाया जाने वाला प्रभार निम्नलिखित अतिरिक्त दिशानिर्देशों के अधीन होगा: (i) बैंक और ग्राहक के बीच सहमति के अनुसार न्यूनतम शेष राशि/औसत न्यूनतम शेष राशि के रख-रखाव में चूक होने पर बैंक को एसएमएस/ई-मेल/पत्र आदि के द्वारा ग्राहक को स्पष्ट रूप से सूचित करना चाहिए कि नोटिस की तारीख से एक माह के भीतर खाते में न्यूनतम शेष राशि बहाल नहीं होने पर दंडात्मक प्रभार लागू होगा। (ii) यदि तर्कसंगत अवधि, जो कमी की सूचना दिए जाने की तारीख से एक माह से कम नहीं होगी, के भीतर न्यूनतम शेष राशि बहाल नहीं हुई तो खाताधारक को सूचित करते हुए दंडात्मक प्रभार की वसूली की जा सकती है। (iii) इस प्रकार लगाए जाने वाले दंडात्मक प्रभारों के संबंध में नीति का निर्धारण बैंक के निदेशक मंडल के अनुमोदन से किया जाना चाहिए। (iv) दंडात्मक प्रभार पाई गई कमी की मात्रा के प्रत्यक्ष अनुपात में होने चाहिए। दूसरे शब्दों में, ये प्रभार वास्तविक रखी गई शेष राशि तथा खाता खोलते समय सहमत न्यूनतम शेष राशि के बीच अंतर की राशि का एक नियत प्रतिशत होना चाहिए। वसूल किये जाने वाले प्रभारों की एक उचित खंड (slab) संरचना को अंतिम रूप दिया जा सकता है। (v) यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे दंडात्मक प्रभार वाजिब हैं तथा सेवाएं प्रदान करने की औसत लागत के अनुरूप हैं। (vi) यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि केवल न्यूनतम शेष राशि बनाए न रखने के लिए प्रभार लगाए जाने के कारण बचत खाते में शेष राशि ऋणात्मक न हो जाए। |