भारिबैंक/2013-14/222 ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 32 4 सितंबर 2013 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया/ महोदय उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) - स्पष्टीकरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, 14 अगस्त 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.24 की ओर आकृष्ट किया जाता है। इस संबंध में, रिज़र्व बैंक को विभिन्न स्टेक होल्डरों और प्राधिकृत व्यापारी बैंकों से पृच्छाएं (प्रश्न) प्राप्त हो रही हैं। ऐसी सभी पृच्छाएं समेकित की गयी हैं और उत्तरों/स्पष्टीकरणों सहित अनुबंध में दी गयी हैं। 2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें । 3. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीय (सी.डी.श्रीनिवासन) मुख्य महाप्रबंधक
[04.09.2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 32 का अनुबंध] उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के संबंध में स्पष्टीकरण
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पृच्छा (प्रश्न) |
उत्तर/स्पष्टीकरण |
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क्या उदारीकृत विप्रेषण योजना का उपयोग समुद्रपारीय कंपनी के गैर-सूचीबद्ध तथा सूचीबद्ध दोनों प्रकार के शेयरों के अर्जन के लिए किया जा सकता है? |
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम के मौजूदा उपबंधों के अनुसार, उदारीकृत विप्रेषण योजना का उपयोग समुद्रपारीय कंपनी के गैर-सूचीबद्ध तथा सूचीबद्ध दोनों प्रकार के शेयरों के अर्जन के लिए किया जा सकता है। 1 जुलाई 2013 के मास्टर परिपत्र को यथोचित रूप में संशोधित कर दिया गया है। |
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क्या कोई निवासी व्यक्ति, समय-समय पर यथा संशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची III के तहत अन्य सीमाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य/चिकित्सा व्यय का उपयोग उदारीकृत विप्रेषण योजना के अतिरिक्त कर सकता है? |
उदारीकृत विप्रेषण योजना के संबंध में मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी निवासी व्यक्ति द्वारा [विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची III के अंतर्गत सूचीबद्ध मदों में से] केवल दान और उपहार उदारीकृत विप्रेषण योजना की सीमा में समाहित किए गए हैं। शैक्षिक तथा चिकित्सा व्ययों जैसे सभी अन्य प्रयोजनों के लिए, उदारीकृत विप्रेषण योजना और विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची III की सीमाएं क्रमश: अलग-अलग, सुस्पष्ट, पारस्परिक रूप से भिन्न तथा उल्लिखित प्रत्येक सीमा के अतिरिक्त हैं। इस संबंध में, यह नोट किया जाए कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम के मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत निम्नलिखित विप्रेषण, उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत अनुमत 75000 अमरीकी डालर की वार्षिक सीमा के अतिरिक्त किए जा सकते हैं: ए. कोई निवासी व्यक्ति भारत में डाक्टर अथवा विदेश में अस्पताल/डाक्टर से लिए गए अनुमान तक विदेश में चिकित्सा (इलाज) के व्यय के लिए सामान्य अनुमति [भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी अनुमोदन के बगैर - समय-समय पर यथा संशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची III के पैरा 9] के तहत विप्रेषण कर सकता है। बी. कोई निवासी व्यक्ति विदेश में चिकित्सा (इलाज) अथवा जाँच के लिए विदेश जाने वाले रोगी के मेंटिनेन्स व्यय अथवा चिकित्सा (इलाज) / जाँच के लिए विदेश जाने वाले रोगी के साथ अटेंडेंट के रूप में जाने के लिए 25,000 अमरीकी डालर तक के विप्रेषण [भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी अनुमोदन के बगैर - समय-समय पर यथा संशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची III के पैरा 8] कर सकता है। सी. कोई निवासी व्यक्ति अध्ययन के लिए विदेश स्थित संस्थाओं से प्राप्त अनुमानों तक अथवा 100,000 अमरीकी डालर, जो भी उच्चतर हो, [भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी अनुमोदन के बगैर - समय-समय पर यथा संशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची III के पैरा 10] तक के विप्रेषण कर सकता है। यह सीमा इसी प्रयोजन हेतु उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत विप्रेषित की जाने वाली 75,000 अमरीकी डालर की सीमा के अतिरिक्त है । डी. कोई निवासी व्यक्ति समय-समय पर यथा संशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची III के तहत यथा विनिर्दिष्ट सभी अन्य विप्रेषण (दान और उपहार से भिन्न) भी कर सकता है। ई. कोई निवासी व्यक्ति भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक के माध्यम से बिना किसी सीमा के अन्य अनुमत चालू खातेगत लेनदेन [ऐसे लेनदेन जो समय-समय पर यथा संशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 की अनुसूची । के तहत स्पष्टत: निषिद्ध नहीं हैं, अथवा अनुसूचियाँ ॥ तथा III के तहत प्रतिबंधित नहीं हैं] भी कर सकता है बशर्ते प्राधिकृत व्यापारी बैंक लेनदेन की वास्तविकता (सदाशयता) सत्यापित करे (16 मई 2000 के एडीएमए परिपत्र सं. 11 के अनुबंध 1 का पैरा 6)। अत: संशोधित दिशानिर्देश तथा उदारीकृत विप्रेषण योजना की सीमा में कटौती के बावजूद इन दिशानिर्देशों से वास्तविक लेनदेनों पर कोई (प्रतिकूल) असर नहीं पड़ता है। |
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14 अगस्त 2013 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 24 के पैरा 2 (iii) के अनुसार अधिसूचना फेमा. 263/2013-आरबी की तारीख 5 अगस्त है लेकिन वेबसाइट पर उपलब्ध उक्त अधिसूचना की तारीख 5 मार्च 2013 है, इस अधिसूचना की सही तारीख क्या है? |
उक्त अधिसूचना की तारीख 5 मार्च 2013 है लेकिन सरकारी राजपत्र में उसके प्रकाशित होने की तारीख 5 अगस्त 2013 है। इस अधिसूचना के विनियम 1 (ii) के अनुसार, यह अधिसूचना सरकारी राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से लागू होगी, तदनुसार इस अधिसूचना की प्रभावी तारीख 5 अगस्त 2013 है (जबकि अधिसूचना की तारीख 5 मार्च 2013 है)। |
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क्या कोई निवासी व्यक्ति विदेश में अचल संपत्तियों, जो किस्त के आधार पर अर्जित की गयी थी, में निवेश के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत विप्रेषण कर सकता है? |
निवासी व्यक्तियों को पहले की गयी संविदा संबंधी मामलों, अर्थात केवल उन संविदाओं के लिए जो संदर्भित परिपत्र की तारीख अर्थात 14 अगस्त 2013 को अथवा उससे पहले की गयी थीं, के लिए 75000 अमरीकी डालर की वार्षिक सीमा के भीतर अचल संपत्ति अर्जित करने के लिए विप्रेषण करने की अनुमति दी जाती है, बशर्ते प्राधिकृत व्यापारी बैंक लेनदेनों की वास्तविकता (genuineness) के बारे में संतुष्ट हो। प्राधिकृत व्यापारी बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक को ऐसे मामलों की कार्योत्तर रिपोर्ट तत्काल प्रस्तुत करें। |
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