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निवासी व्यक्तियों के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना - 2,00,000 अमरीकी डालर की सीमा घटाकर 75,000 अमरीकी डालर की गयी

भारिबैंक/2013-14/181
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.24

14 अगस्त 2013

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय,

निवासी व्यक्तियों के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना -
2,00,000 अमरीकी डालर की सीमा घटाकर 75,000 अमरीकी डालर की गयी 

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान निवासी व्यक्तियों के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना संबंधी दिशानिर्देशों की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. इस योजना की समीक्षा करने पर अब यह निर्णय लिया गया है कि मौजूदा योजना के अंतर्गत प्रति वित्तीय वर्ष 2,00,000 अमरीकी डालर की वर्तमान सीमा को तत्काल प्रभाव से घटाकर 75,000 अमरीकी डालर प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल से मार्च) किया जाए। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस योजना के अंतर्गत अनुमत चालू अथवा पूंजी खातेगत लेनदेनों अथवा दोनों के लिए संयुक्त रूप में प्रति वित्तीय वर्ष अब 75,000 अमरीकी डालर की सीमा तक के विप्रेषणों की अनुमति प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा, उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत विप्रेषणों के संबंध में निम्नलिखित परिवर्तन/ स्पष्टीकरण तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

(i) भारत से बाहर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में किसी अचल संपत्ति के अर्जन के लिए इस योजना का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इसलिए, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक अब से उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत भारत से बाहर अचल संपत्ति के अर्जन के लिए किसी भी विप्रेषण की अनुमति प्रदान न करें।

(ii) मार्जिन ट्रेडिंग, लाटरी आदि जैसी किसी प्रतिबंधित अथवा गैर-कानूनी गतिविधि के लिए, अब तक की भांति, इस योजना का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

(iii) निवासी व्यक्तियों को अपनी सद्भावी कारोबारी गतिविधियों के लिए 5 अगस्त 2013 से भारत से बाहर उक्त 75,000 अमरीकी डालर की सीमा में और 5 अगस्त 2013 की अधिसूचना सं.फेमा.263/ आरबी-2013 में विनिर्दिष्ट शर्तों के तहत जेवी/डब्ल्यूओएस स्थापित करने की अनुमति दी गयी है।

3. इसके अलावा, 16 सितंबर 2011 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 17 एवं 18 के अनुसार निवासी व्यक्तियों को अपने अनिवासी नज़दीकी रिश्तेदारों को रुपए में उपहार देने और अनिवासी नज़दीकी रिश्तेदारों को रुपए में ऋण देने की सीमा तदनुसार संशोधित होकर प्रति वित्तीय वर्ष 75,000 अमरीकी डालर हो गयी है।

4. 4 फरवरी 2004 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 64, 20 दिसंबर 2006 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 24, 8 मई 2007 के ए.पी.  (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 51, 4 अप्रैल 2008 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 36, 16 सितंबर 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 17 और 18 (दोनों) और 23 मई 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 106 की शेष सभी शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी ।

5. 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा.120/आरबी-2004 [विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2004] में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किये जा रहे हैं।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें ।

7.  इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं।

भवदीय,

( सी.डी. श्रीनिवासन )
मुख्य महाप्रबंधक

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