निवासी व्यक्ति द्वारा अनिवासी घनिष्ठ/निकट संबंधी/रिश्तेदार को उपहार रुपये में देना - आरबीआई - Reserve Bank of India
निवासी व्यक्ति द्वारा अनिवासी घनिष्ठ/निकट संबंधी/रिश्तेदार को उपहार रुपये में देना
भारिबैंक/2011-12/179 16 सितंबर 2011 विदेशी मुद्रा का व्यापार करने के लिए प्राधिकृत सभी बैंक महोदया/महोदय, निवासी व्यक्ति द्वारा अनिवासी घनिष्ठ/निकट संबंधी/रिश्तेदार को उपहार रुपये में देना प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान 20 दिसंबर 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 24 और 26 सितंबर 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.9 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार निवासी व्यक्तियों द्वारा उपहार एवं दान संबंधी विप्रेषण उदारीकृत विप्रेषण योजना में शामिल थे । 2. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत व्यक्तियों को सुलभ सुविधाओं की समीक्षा करने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि 3 मई 2000 की फेमा अधिसूचना सं. 16/आरबी-2000 का क्षेत्र बढ़ा कर उसमें निवासियों द्वारा उपहार देने तथा मुलाकात के लिए आए अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों के चिकित्सा व्यय का निर्वहन शामिल किया जाए । 3. मौजूदा स्थिति की समीक्षा की गयी है और यह निर्णय लिया गया है कि निवासी व्यक्तियों को कंपनी अधिनियम,1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित अपने घनिष्ठ संबंधी/रिश्तेदार जो अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति हैं, को रुपये में उपहार रेखित(क्रास) चेक/इलेक्ट्रानिक अंतरण की अनुमति दी जाए । ऐसी राशि उक्त अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति के एनआरओ खाते में जमा की जाएगी और ऐसे उपहार की राशि को एनआरओ खाते में जमा करने के लिए पात्र माना जाएगा । उपहार राशि निवासी व्यक्ति को उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत प्रति वित्तीय वर्ष में 200,000 अमरीकी डॉलर की समग्र उच्चतम सीमा के तहत होगी । यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निवासी दान-दाता की होगी कि विप्रेषित उपहार उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत होगा तथा एक वित्तीय वर्ष के दौरान उपहार राशि सहित इस योजना में विप्रेषित राशि उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत विनिर्दिष्ट समग्र सीमा से अधिक नहीं होगी । 4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 तथा 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 16/आरबी-2000 अर्थात भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति से राशियों की प्राप्ति तथा ऐसे व्यक्ति को भुगतान के संबंध में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 5. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 6. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीया, (मीना हेमचंद्र) |