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विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा नकदी तथा फ्यूचर और आप्शन (F & O) खंडों में लेनदेनों के लिए संपार्श्विक प्रतिभूतियाँ (कोलैटरल) बनाये रखना

भारिबैंक/2012-13/439
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.90

14 मार्च 2013

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा नकदी तथा फ्यूचर और आप्शन (F & O)
खंडों में लेनदेनों के लिए संपार्श्विक प्रतिभूतियाँ (कोलैटरल) बनाये रखना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशक, उल्लिखित अधिसूचना के विनियम 5 के उप-विनियम 6 तथा 28 जुलाई 2006 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 4 और 12 अप्रैल 2010 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 47 में यथा विनिर्दिष्ट एक्सचेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव संविदाओं संबंधी अपने लेनदेनों के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, यथा अनुमति प्राप्त प्रतिभूतियों को भारत में मान्यता प्राप्त स्टाक एक्स्चेंजों में संपार्श्विक प्रतिभूतियों के रूप में रखने के प्रस्ताव कर सकते हैं।

2. समीक्षा करने पर, भारत सरकार और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के परामर्श से यह निर्णय लिया गया है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों को, पहले ही अनुमति दी गयी संपार्श्विक प्रतिभूतियों के अतिरिक्त, कार्पोरेट बांडों में किए गए अपने निवेशों का उपयोग नकदी खंड में संपार्श्विक प्रतिभूतियों के रूप में करने एवं फ्यूचर्स और आप्शन (F & O) खंड में सरकारी प्रतिभूतियों तथा कार्पोरेट बांडों का संपार्श्विक प्रतिभूतियों के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी जाए। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा इस संबंध में परिचालनात्मक दिशा-निर्देश अलग से जारी किये जाएंगे। प्रस्तावित परिवर्तन प्रभावी होने के कारण अब से, नकदी एवं फ्यूचर्स और आप्शन (F & O) दोनों खंडों में विदेशी संस्थागत निवेशक (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20 की अनुसूची 5 के उपबंधों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा अधिगृहीत) सरकारी प्रतिभूतियों/कार्पोरेट बांडों, नकदी तथा एएए रेटिंग वाली विदेशी सरकारी (sovereign) प्रतिभूतियों का संपार्श्विक प्रतिभूतियों के रूप में प्रस्ताव करने के लिए पात्र होंगे।

3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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