डेरिवेटिव खंड में लेनदेन हेतु विदेशी संस्थागतनिवेशकों द्वारा जमानत (कोलैटरल) का अनुरक्षण - आरबीआई - Reserve Bank of India
डेरिवेटिव खंड में लेनदेन हेतु विदेशी संस्थागतनिवेशकों द्वारा जमानत (कोलैटरल) का अनुरक्षण
आरबीआइ/2006-07/92 जुलाई 28, 2006 सेवा में महोदया/महोदय, डेरिवेटिव खंड में लेनदेन हेतु विदेशी संस्थागत प्राधिकृत व्यापारी बैंकों - श्रेणी I का ध्यान जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं.फेमा 120/आरबी-2004 द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 और समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000 द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000कीओरआकर्षितकियाजाताहै। 2. भारत सरकार और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के परामर्श से यह निर्णय लिया गया है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों को अनुमति दी जाए कि वे डेरिवेटिव खंड में अपने लेनदेनों के लिए भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों को जमानत (कोलैटरल) के रूप में एएए रेटिंगवाले विदेशी सर्वोत्तम प्रतिभूतियों के प्रस्ताव दें। इस संबंध में परिचालनात्मक मार्गदर्शी सिद्धांत सेबी द्वारा अलग से जारी किए जाएंगे। इसके बाद भारत स्थित मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 के तहत यथावश्यक विशिष्ट अनुमोदनों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, केन्द्रीय कार्यालय, मुंबई 400001 से संपर्क करें। 3. मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जाएंगे। 4. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है। भवदीय (सलीम गंगाधरन) |