क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा पारस्परिक निधियों की युनिटों/बीमा आदि उत्पादों का विपणन/वितरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा पारस्परिक निधियों की युनिटों/बीमा आदि उत्पादों का विपणन/वितरण
आरबीआई/2009-10/250 9 दिसंबर 2009 अध्यक्ष प्रिय महोदय, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा पारस्परिक निधियों की युनिटों/ कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 17 मई 2006 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.सं.आरआरबी. बीसी.82/03.05.33/2005-06 देखें जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को कतिपय शर्तों के अधीन एजेंट के रूप में पारस्परिक निधियों की इकाइयों की युनिटों को बेचने का काम करने की अनुमति दी गई है। 2. उसी प्रकार, हमारे दिनांक 12 मई 2005 के परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.बीसी.सं. 99/ 03.05.33(जी)/2004-05 के पैरा 2 के अनुसार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अपनी शाखाओं के नेटवर्क के मार्फत परामर्श के आधार पर जोखिम सहभागिता के बिना कतिपय शर्तों पर बीमा का कारोबार करने की अनुमति दी गई थी। साथ ही, हमारे दिनांक 03 मई 2007 के परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.बीसी.सं. 86/ 03.05.33 (जी)/2006-07 के अनुसार, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को जोखिम सहभागिता के विना उक्त परिपत्र के पैरा 2 में बताई गई शर्तों पर बीमा उत्पादों के वितरण के लिए कार्पोरेट एजेंसी का कारोबार करने की अनुमति दी गई है। 3. ऊपर बताए गए सभी कार्यकलापों में यह संभावना है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अपने ग्राहकों को विभिन्न पारस्परिक निधियों / बीमा कंपनियों के कई प्रतिस्पर्धी उत्पादों के विपणन / खरीदने की सलाह देने का कार्य कर रहे हों। जिन ग्राहकों को ये उत्पाद बेचे जा रहे हैं / खरीदने की सलाह दी जा रही है उनके हित में पारदर्शिता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए अब यह निर्णय लिया गया है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक विभिन्न पारस्परिक निधियों / बीमा कंपनियों से उनके उत्पादों को बेचने / खरीदने की सलाह देने के लिए प्राप्त कमीशन / अन्य शुल्क (किसी भी रूप में), यदि कोई हो तो, का ब्योरा ग्राहकों को बताएं। 4. उक्त अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। 5. कृपया प्राप्ति सूचना हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें। भवदीय (आर.सी.षडंगी) |