मास्टर परिपत्र - अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएँ - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएँ
भा.रि.बैंक/2025-26/56 16 जून 2025 अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया / महोदय, मास्टर परिपत्र - अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएँ भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर बैंकों को अनुसूचित जातियों (अजा) और अनुसूचित जनजातियों (अजजा) को ऋण सुविधाएं प्रदान करने पर कई दिशानिर्देश/अनुदेश जारी किए हैं। संलग्न मास्टर परिपत्र में रिज़र्व बैंक द्वारा इस विषय पर अब तक जारी किए गए परिपत्रों को समेकित किया गया है, जो इस परिपत्र के अंत में परिशिष्ट में सूचीबद्ध किए गए हैं। भवदीय (आर. गिरिधरन) मास्टर परिपत्र – अनुसूचित जाति (अजा) तथा अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएं अजा/ अजजा को अग्रिम प्रदान करने में वृध्दि के लिए बैंकों को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए : 1. आयोजना की प्रक्रिया 1.1 अग्रणी बैंक योजना के अन्तर्गत गठित जिला स्तरीय परामर्शदात्री समितियों को बैंकों और विकास एजेंसियों के बीच समन्वय का प्रधान तंत्र बने रहना चाहिए। अग्रणी बैंकों द्वारा तैयार की गई जिला ऋण योजनाओं में रोजगार और विकास योजनाओं के साथ ऋण के सहलग्नता को स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए। 1.2 बैंकों को स्वरोजगार सृजन के लिए विभिन्न जिलों में गठित जिला उद्योग केन्द्रों से निकट संपर्क स्थापित करना चाहिए। 1.3 ब्लाक स्तर पर आयोजना प्रक्रिया में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति को कुछ अधिक महत्व दिया जाए। तदनुसार, ऋण आयोजना में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के पक्ष में अधिक महत्व दिया जाए तथा ऐसी विश्वसनीय विशेष योजनाएँ बनाई जाएँ जिससे इन समुदायों के सदस्य तालमेल बिठा सकें ताकि इन योजनाओं में उनकी भागीदारी तथा स्वरोजगार हेतु उन्हें अधिक ऋण उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा सके। बैंकों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन समुदायों के ऋण प्रस्तावों पर अत्यधिक सहानुभूतिपूर्वक और सूझबूझ से विचार करें। 1.4 बैंकों को अपनी ऋण प्रक्रिया और नीतियों की आवधिक समीक्षा करनी चाहिए जिनसे यह देखा जा सके कि ऋण समय पर स्वीकृत किए गए तथा पर्याप्त मात्रा में होने के साथ-साथ उत्पादन उन्मुख हैं तथा साथ ही इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तरोत्तर आय सृजित हो। 1.5 ब्लॉक/ जिला स्तर पर क्रेडिट योजना तैयार करते समय, एससी/ एसटी समुदायों की बड़ी आबादी वाले गांवों/ ऐसे नगरों/ गांवों के विशिष्ट इलाके (बस्तियाँ), जहां इन समुदायों के लोगों का घनत्व अधिक हो, पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। 2. बैंकों की भूमिका 2.1 बैंक स्टाफ को उधारकर्ताओं की मदद फार्म भरने तथा अन्य औपचारिकताएँ पूरी करने में करनी चाहिए ताकि वे आवेदनपत्र प्राप्त करने की तारीख से नियत अवधि में ऋण सुविधा प्राप्त कर सकें। 2.2 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उधारकर्ताओं को ऋण सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु, बैंकों द्वारा तैयार की गई विभिन्न योजनाओं के बारे में उनके बीच विभिन्न माध्यमों, अर्थात ब्रोशर, फील्ड स्टाफ के दौरे आदि, से अधिक जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है ताकि योजनाओं की मुख्य विशेषताओं के साथ-साथ उन्हें प्राप्त होने वाले लाभों के बारे में ऐसे उधारकर्ताओं को पता चल सके। बैंकों को चाहिए कि वे अपनी शाखाओं को सूचित करें कि वे विशेष रूप से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों की ऋण आवश्यकताओं को समझने और उसे ऋण योजना में शामिल करने के लिए बैठकें थोड़े-थोड़े अन्तराल पर आयोजित करते रहें। 2.3 भारतीय रिज़र्व बैंक/ नाबार्ड द्वारा जारी किए गए परिपत्रों के अनुपालन हेतु संबंधित स्टाफ के बीच उसे परिचालित किया जाए। 2.4 बैंकों को सरकार द्वारा प्रायोजित गरीबी उन्मूलन योजनाओं/ स्वरोजगार कार्यक्रमों के अन्तर्गत ऋण आवेदनपत्रों पर विचार करते समय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के उधारकर्ताओं से जमाराशि की मांग नहीं करनी चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ऋण घटक जारी करते समय, बैंक-देय राशि की पूरी चुकौती होने तक, सब्सिडी राशि को रोक कर नहीं रखा जाता है। प्रारंभिक सब्सिडी न देने से कम वित्तपोषण होगा जिससे आस्ति सृजन/ आय सृजन में बाधा आएगी। 2.5 जनजातीय कार्य मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में क्रमश: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम की स्थापना की गई है। बैंक अपनी शाखाओं / नियंत्रक कार्यालयों को सूचित करें कि वे इन संस्थाओं को अपेक्षित लक्ष्य प्राप्ति के लिए सभी आवश्यक संस्थागत सहायता प्रदान करें। 2.6 अनुसूचित जातियों/ अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य द्वारा प्रायोजित संगठनों को इन संगठनों के लाभार्थियों के लिए सामग्री की खरीद और आपूर्ति और/या उत्पाद के विपणन के विशिष्ट उद्देश्य हेतु स्वीकृत ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए पात्र हैं। 2.7 सरकारी योजनाओं के तहत अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के ऋण आवेदनपत्रों को शाखा स्तर के बजाय अगले उच्चतर स्तर पर अस्वीकृत किया जाना चाहिए तथा अस्वीकृत करने के कारणों का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। 3. अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति विकास निगमों की भूमिका भारत सरकार ने सभी राज्य सरकारों को सूचित किया है कि अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति विकास निगम विश्वसनीय योजनाओं/ प्रस्तावों पर बैंक वित्त के लिए विचार कर सकते हैं। 4. केन्द्र द्वारा प्रायोजित प्रमुख योजनाओं के अन्तर्गत अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों के लिए आरक्षण केन्द्र द्वारा प्रायोजित कई प्रमुख योजनाएँ हैं जिनके अन्तर्गत बैंकों द्वारा ऋण प्रदान किया जाता है तथा सरकारी अभिकरणों (एजेंसियों) के माध्यम से सब्सिडी प्राप्त की जाती है। इन योजनाओं के अन्तर्गत ऋण उपलब्ध कराने संबंधी निगरानी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की जाती है। इनमें से प्रत्येक के अन्तर्गत अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों के लिए पर्याप्त आरक्षण/ छूट उपलब्ध है। 4.1 दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने पूर्व की स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना को पुनर्संरचित करके 1 अप्रैल 2013 से डीएवाई-एनआरएलएम (पहले एनआरएलएम के रूप में जाना जाता था) आरंभ किया है। डीएवाई - एनआरएलएम समाज के असुरक्षित वर्गों का पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करेगा ताकि इन लाभार्थियों का 50 प्रतिशत अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति का होगा। योजना का विवरण समय-समय पर अद्यतन किए गए डीएवाई-एनआरएलएम पर मास्टर परिपत्र में उपलब्ध है। 4.2 विभेदक ब्याज दर (डीआरआई) योजना विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत, बैंक कमज़ोर वर्ग के समुदायों को उत्पादक और लाभकारी कार्यकलापों हेतु 4 प्रतिशत वार्षिक के रियायती ब्याज दर पर रु.15,000/- तक वित्त प्रदान कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति से संबंधित व्यक्ति भी विभेदक ब्याज दर योजना (डीआरआई) का पर्याप्त लाभ उठाते हैं, बैंकों को सूचित किया गया है कि अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के पात्र उधारकर्ताओं को स्वीकृत किए जाने वाले अग्रिम कुल डीआरआई अग्रिमों के 2/5 (40 प्रतिशत) से कम न हो। साथ ही, विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत, जोत का आकार सिंचित भूमि का 1 एकड़ और असिंचित भूमि का 2.5 एकड़ से अधिक न हो, का पात्रता मानदंड अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति पर लागू नहीं है। योजना के अन्तर्गत आय मानदंड पूरा करनेवाले अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्य, प्रति लाभार्थी रु.20,000/- तक का आवास ऋण भी ले सकते हैं जो योजना के अंतर्गत उपलब्ध रु.15,000/- के वैयक्तिक ऋण के अतिरिक्त होगा। 5. अनुसूचित जातियों के लिए ऋण वृद्धि गारंटी योजना (सीईजीएसएससी) अनुसूचित जाति (एससी) के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सदस्य उधारदाता संस्थानों (एमएलआई) को क्रेडिट वृद्धि गारंटी प्रदान करके, जो कि इन उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे, सीईजीएसएससी का आरंभ दिनांक 6 मई 2015 को किया गया था। अनुसूचित जाति के उद्यमियों के वित्तपोषण हेतु एमएलआई के पक्ष में गारंटी कवर जारी करने के लिए आईएफसीआई लिमिटेड को इस योजना के तहत नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। ऐसे वैयक्तिक एससी उद्यमियों/पंजीकृत कंपनियों और सोसायटी/पंजीकृत भागीदारी फर्मों/एकल स्वामित्व फर्मों को जिसके पास पिछले 6 महीनों से प्रबंधन नियंत्रण हो तथा अनुसूचित जाति उद्यमियों / प्रमोटरों/ सदस्यों द्वारा 51% से अधिक शेयरधारिता रखा गया हो, एमएलआई द्वारा प्रदान किए गए ऋणों के बदले आईएफसीआई लिमिटेड से गारंटी हेतु पात्र होंगे। सीईजीएसएससी के तहत गारंटी कवर की राशि न्यूनतम₹0.15 करोड़ और अधिकतम₹5.00 करोड़ के बीच होगी। गारंटी की अवधि अधिकतम 7 वर्ष या चुकौती की अवधि, जो भी पहले हो, तक होगी। 6. निगरानी और समीक्षा 6.1 अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति लाभार्थियों को उपलब्ध कराए गए ऋण पर निगरानी रखने के लिए प्रधान कार्यालय में एक विशेष कक्ष की स्थापना की जाए। भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के अतिरिक्त, कक्ष शाखाओं से संबंधित जानकारी/ आंकड़ों का संग्रहण, उनका समेकन और भारतीय रिज़र्व बैंक तथा सरकार को अपेक्षित विवरणियों के प्रस्तुतीकरण के लिए भी उत्तरदायी होगा। 6.2 बैंकों के प्रधान कार्यालयों द्वारा शाखाओं से प्राप्त विवरणियां और अन्य आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति को दिये गये ऋण की आवधिक समीक्षा की जानी चाहिए। दिनांक 14 मई 2015 के परिपत्र बैंपवि.सं.बीसी.93/29.67.001/2014-15के अनुसार “वित्तीय समावेशन” की संकल्पना के अंतर्गत समीक्षा के लिए बैंक के बोर्ड को अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति को दिए गए ऋण में वर्ष दर वर्ष आधार पर किसी मुख्य कमी या अंतराल की सूचना दी जानी चाहिए। 6.3 बैंकों को अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति को अधिक ऋण उपलब्ध कराने संबंधी उपायों की तिमाही आधार पर समीक्षा करनी चाहिए। समीक्षा में अन्य बातों के साथ-साथ प्रधान कार्यालय/नियंत्रक कार्यालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के क्षेत्र दौरों के समय इन समुदायों को प्रत्यक्षतः अथवा राज्य स्तरीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति निगमों के माध्यम से उधार देने में हुई प्रगति पर भी विचार किया जाना चाहिए। 6.4 राज्य स्तरीय बैंकर समिति संयोजक बैंक को अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग के प्रतिनिधि को राज्य स्तरीय बैंकर समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए आमंत्रित करना चाहिए। साथ ही, संयोजक बैंक राज्य स्तरीय बैंकर समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसएफडीसी) तथा राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एससीडीसी) के प्रतिनिधियों को भी बुला सकते हैं। 7. रिपोर्टिंग संबंधी अपेक्षाएँ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को दिए गए अग्रिमों के आंकड़े, समय-समय पर अद्यतन किए गए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार पर मास्टर निदेश में निर्धारित किए गए अनुसार, नियत समय-सीमा के भीतर रिपोर्ट किए जाने चाहिए। अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों ऋण सुविधाएँ
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