मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र निर्गम करने के लिए दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र निर्गम करने के लिए दिशानिर्देश
भारिबैं/2014-15/100 01 जुलाई, 2014 सभी बाजार प्रतिभागी प्रिय महोदय/महोदया, मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र निर्गम करने के लिए दिशानिर्देश वाणिज्यिक पत्र (सीपी), एक वचन पत्र के रूप में निर्गम एक अरक्षित मुद्रा बाजार लिखत है, जिसे 1990 में भारत में आरंभ किया गया था ताकि उच्च श्रेणी के कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को अल्पकालिक उधार के अपने स्रोतों में विविधता लाने और निवेशकों को एक अतिरिक्त लिखत प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके। 2. इस विषय पर सभी मौजूदा दिशानिर्देशों/अनुदेशों/निदेशों को समाविष्ट करते हुए एक मास्टर परिपत्र, बाजार प्रतिभागियों और अन्य संबंधित लोगों के संदर्भ के लिए तैयार किया गया है। यह नोट किया जाए कि इस मास्टर परिपत्र में परिशिष्ट में सूचीबद्ध उन सभी अनुदेशों/दिशानिर्देशों/अधिसूचनाओं को समेकित किया गया है जिनका संबंध सीपी निर्गम संबंधी दिशानिर्देशों से है। इस मास्टर परिपत्र को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर www.mastercirculars.rbi.org.in पर डाला गया है। भवदीया (रेखा वारियर) संलग्न : यथोक्त
वाणिज्यिक पत्र (सीपी) एक वचन पत्र के रूप में निर्गम किया गया एक अरक्षित मुद्रा बाजार लिखत है। सीपी, एक निजी रूप से रखे गए लिखत के रूप में, 1990 में भारत में उच्च श्रेणी के कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को अल्पकालिक उधार के अपने स्रोतों में विविधता लाने और निवेशकों को एक अतिरिक्त लिखत प्रदान करने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। बाद में, प्राथमिक डीलरों (पीडी) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं (एफआई) को भी सीपी निर्गम करने की अनुमति दी गई ताकि वे अपनी अल्पावधिक निधियन आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। सीपी निर्गम करने के लिए दिशानिर्देश, अब तक जारी किए गए सभी संशोधनों को शामिल करते हुए, सुलभ संदर्भ के लिए नीचे दिए गए हैं। 2. सीपी निर्गम करने के लिए पात्रता: ए) कंपनियों, सार्वजनिक वितरण संस्थाओं और वित्तीय संस्थाओं को सीपी के माध्यम से अल्पावधि संसाधन जुटाने की अनुमति है। बी) एक कंपनी सीपी निर्गम करने के लिए पात्र होगी बशर्ते :
3. सीपी का निर्गम - क्रेडिट वृद्धि, सीमाएं, आदि। ए) सीपी का निर्गम, 'स्टैंड अलोन' उत्पाद के रूप में किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सीपी के निर्गमकर्ताओं को अतिरिक्त सुविधा प्रदान करना बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की ओर से किसी भी प्रकार से बाध्यकारी नहीं होगा। बी) बैंक और वित्तीय संस्थाएं, अपने वाणिज्यिक निर्णय के आधार पर, जो उन पर लागू विवेकपूर्ण मानदंडों के अधीन हैं, अपने संबंधित बोर्डों के विशिष्ट अनुमोदन से, सीपी निर्गम के लिए ऋण वृद्धि के माध्यम से स्टैंड-बाय सहायता/ऋण, बैक-स्टॉप सुविधा आदि प्रदान करने का चयन कर सकते हैं। सी) गैर-बैंक संस्थाएं (कॉरपोरेट्स सहित) सीपी निर्गम के लिए ऋण वृद्धि हेतु बिना शर्त और अप्रतिसंहरणीय गारंटी प्रदान कर सकती हैं बशर्ते:
डी) निर्गमकर्ता द्वारा निर्गम की जा सकने वाली सीपी की कुल राशि हर समय उसके निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित सीमा या निर्दिष्ट रेटिंग के लिए सीआरए द्वारा इंगित मात्रा, जो भी कम हो, के भीतर होगी। ई) बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के पास सीपी सहित कंपनी के वित्तपोषण के संसाधन पैटर्न को विधिवत ध्यान में रखते हुए कार्यशील पूंजी सीमा निर्धारित करने की लोचशीलता होगी। एफ़) वित्तीय संस्थाओं द्वारा सीपी का निर्गम, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग द्वारा वित्तीय संस्थाओं के लिए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंडों पर जारी मास्टर परिपत्र में निर्धारित समग्र छत्र सीमा के भीतर होगा, जैसा कि समय-समय पर निर्धारित/अद्यतन किया गया हो। जी) निर्गम किए जाने के लिए प्रस्तावित सीपी की कुल राशि उस तारीख से दो सप्ताह की अवधि के भीतर जुटाई जानी चाहिए जिस दिन निर्गमकर्ता, सदस्यता के लिए निर्गम खोलता है। सीपी एक ही तारीख को या भागों में अलग-अलग तारीखों पर निर्गम किया जा सकता है बशर्ते कि बाद के मामले में, प्रत्येक सीपी की परिपक्वता तिथि समान होगी। एच) सीपी के प्रत्येक निर्गम और सीपी के प्रत्येक नवीकरण को एक नए निर्गम के रूप में माना जाएगा। 4. सीपी में निवेश के लिए पात्रता ए) व्यक्ति, बैंक, अन्य कॉर्पोरेट निकाय (भारत में पंजीकृत या निगमित) और अनिगमित निकाय, अनिवासी भारतीय और विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सीपी में निवेश करने के लिए पात्र होंगे। बी) एफआईआई निम्नलिखित के अधीन सीपी में निवेश करने के लिए पात्र होंगे (i) भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा उनके लिए निर्धारित शर्तें और (ii) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999, विदेशी मुद्रा (जमा) विनियम, 2000 और विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गम) विनियम, 2000 के समय-समय पर यथासंशोधित प्रावधानों का अनुपालन। 5. लिखत का रूप, निर्गम करने और मोचन का तरीका ए) सीपी, एक वचन पत्र के रूप में निर्गम किया जाएगा (जैसा कि इन दिशानिर्देशों की अनुसूची I में निर्दिष्ट है ) और सेबी द्वारा अनुमोदित और पंजीकृत किसी भी निक्षेपागार के माध्यम से भौतिक रूप में या अभौतिकीकृत (डीमटेरियलाइज्ड) रूप में रखा जाएगा, बशर्ते कि सभी आरबीआई विनियमित कंपनियां ऐसी निक्षेपागारों के माध्यम से सीपी में केवल अभौतिकीकृत रूप में ही सौदा कर सकती हैं और रख सकती हैं। बी) सभी आरबीआई-विनियमित संस्थाओं द्वारा नया निवेश केवल डीमटेरियलाइज्ड रूप में होंगे। सी) सीपी, ₹5 लाख के मूल्यवर्ग और उसके गुणकों में निर्गम किया जाएगा। एकल निवेशक द्वारा निवेश की गई राशि ₹5 लाख (अंकित मूल्य) से कम नहीं होनी चाहिए। डी) सीपी अंकित मूल्य पर छूट पर निर्गम किया जाएगा जैसा कि निर्गमकर्ता द्वारा निर्धारित किया जाए। ई) किसी भी निर्गमकर्ता के पास अंडररिटेन या सह-स्वीकृत सीपी का निर्गम नहीं होगा। एफ़) सीपी पर विकल्प (कॉल/पुट) की अनुमति नहीं है। ए) सीपी, निर्गम होने की तारीख से न्यूनतम 7 दिनों और अधिकतम एक वर्ष के बीच परिपक्वता अवधि के लिए निर्गम किया जाएगा। बी) सीपी की परिपक्वता तिथि उस तारीख से आगे नहीं जाएगी जिस तक निर्गमकर्ता की क्रेडिट रेटिंग मान्य है। ए) प्रत्येक निर्गमकर्ता को सीपी निर्गम करने के लिए आईपीए नियुक्त करना होगा। बी) निर्गमकर्ता को संभावित निवेशकों को मानक बाजार अभ्यास के अनुसार अपनी नवीनतम वित्तीय स्थिति का खुलासा करना चाहिए। सी) निवेशक और निर्गमकर्ता के बीच सौदे की पुष्टि के आदान-प्रदान के बाद, निर्गमकर्ता आईपीए के माध्यम से डिपॉजिटरी के साथ निवेशक के डीमैट खाते में सीपी जमा करने की व्यवस्था करेगा। डी) निर्गमकर्ता निवेशक को आईपीए प्रमाणपत्र की एक प्रति इस आशय का देगा कि निर्गमकर्ता का आईपीए के साथ वैध समझौता है और दस्तावेज ठीक हैं (अनुसूची II)। पात्र प्रतिभागियों/निर्गमकर्ताओं को सेबी पंजीकृत सीआरए में से किसी एक से सीपी निर्गम करने के लिए क्रेडिट रेटिंग प्राप्त करनी होगी। सेबी द्वारा निर्धारित रेटिंग, प्रतीक और परिभाषा के अनुसार न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग 'ए3' होगी।निर्गमकर्ता सीपी निर्गम करते समय यह सुनिश्चित करेंगे कि इस प्रकार प्राप्त रेटिंग चालू है और समीक्षा के लिए लंबित नहीं है। ए) सीपी में निवेशक (प्राथमिक ग्राहक), आईपीए के माध्यम से निर्गमकर्ता के खाते में सीपी के रियायती मूल्य का भुगतान करेगा। बी) सीपी को भौतिक रूप में धारण करने वाला निवेशक, परिपक्वता पर, आईपीए के माध्यम से निर्गमकर्ता को भुगतान के लिए लिखत प्रस्तुत करेगा। सी) डिमटेरियलाइज्ड फॉर्म में सीपी धारक को सीपी का मोचन करना होगा और आईपीए के माध्यम से उसे भुगतान प्राप्त होगा। ए) सीपी के लिए मानकीकृत प्रक्रियाएं और दस्तावेजीकरण, अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप, फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआईएमएमडीए) के परामर्श से निर्धारित किए जाते हैं। बी) निर्गमकरता/आईपीए, भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमोदन से, समय-समय पर एफआईएमएमडीए द्वारा जारी परिचालनगत दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। ए) सीपी में सभी ओटीसी ट्रेडों को व्यापार के 15 मिनट के भीतर क्लियरकॉर्प डीलिंग सिस्टम (इंडिया) लिमिटेड (सीडीएसआईएल) के रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को रिपोर्ट किया जाएगा। बी) सीपी में ओटीसी ट्रेडों का निपटान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के क्लियरिंग हाउस, यानी नेशनल सिक्योरिटीज क्लियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएससीसीएल), बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के क्लियरिंग हाउस, यानी इंडियन क्लियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईसीसीएल) और एमसीएक्स-स्टॉक एक्सचेंज के क्लियरिंग हाउस, यानी एमसीएक्स-एसएक्स क्लियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीसीएल) के माध्यम से, एनएससीसीएल, आईसीसीएल और सीसीएल द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट मानदंडों के अनुसार किया जाएगा। सी) सीपी में ओटीसी ट्रेडों के लिए निपटान चक्र या तो टी+0 या टी+1 होगा। ए) निर्गमकर्ता परिपक्वता से पहले निवेशकों को उनके द्वारा निर्गम सीपी को वापस खरीद सकते हैं। बी) सीपी की पुनर्खरीद द्वितीयक बाजार के माध्यम से और प्रचलित बाजार मूल्य पर होगी। सी) सीपी को निर्गम करने की तारीख से न्यूनतम 7 दिनों की अवधि से पहले वापस नहीं खरीदा जाएगा। डी) निर्गमकर्ता, किए गए बायबैक को आईपीए को सूचित करेगा। ई) निदेशक मंडल से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही सीपी की पुनर्खरीद की जानी चाहिए। निर्गमकर्ता, आईपीए और सीआरए के कर्तव्यों और दायित्वों को नीचे निर्धारित किया गया है: I. निर्गमकर्ता निर्गमकर्ता यह सुनिश्चित करेगा कि सीपी निर्गम करने के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों और प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन किया जाता है। II. आईपीए ए) आईपीए यह सुनिश्चित करेगा कि निर्गमकर्ता की आरबीआई द्वारा निर्धारित न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग हो और सीपी निर्गम करने के माध्यम से जुटाई गई राशि, निर्दिष्ट रेटिंग के लिए सीआरए द्वारा इंगित मात्रा के भीतर या उसके निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित के रूप में, जो भी कम हो, राखी जाए। बी) आईपीए प्रमाणित करेगा कि निर्गमकर्ता के साथ उसका वैध समझौता है (अनुसूची II)। सी) आईपीए यह सत्यापित करेगा कि निर्गमकर्ता द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेज, अर्थात, बोर्ड संकल्प की प्रति, अधिकृत निष्पादकों के हस्ताक्षर (जब सीपी भौतिक रूप में निर्गम किया जाता है) सही हैं और इस आशय का प्रमाण पत्र जारी करेगा। डी) आईपीए द्वारा सत्यापित मूल दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां आईपीए की अभिरक्षा में रखी जाएंगी। ई) आईपीए के रूप में कार्य करने वाले सभी अनुसूचित बैंक, सीपी निर्गम करने की तारीख से दो दिनों के भीतर आरबीआई की ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग सिस्टम (ओआरएफएस) मॉड्यूल पर सीपी निर्गम करने के ब्यौरे की रिपोर्ट करेंगे। एफ़) आईपीए, सीपी के पुनर्भुगतान में चूक के पूर्ण विवरण की रिपोर्ट मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई - 400001 (ईमेल) को इन दिशानिर्देशों की अनुसूची III में दिए गए प्रारूप में करेंगे। जी) आईपीए, निर्गमकर्ता द्वारा किए गए सीपी के बायबैक के सभी मामलों की रिपोर्ट मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई - 400001 (ईमेल) को इन दिशानिर्देशों की अनुसूची IV में दिए गए प्रारूप में भी करेंगे। III. सीआरए ए) सीआरए, पूंजी बाजार लिखतों की रेटिंग करने के लिए सेबी द्वारा सीआरए हेतु निर्धारित आचार संहिता का पालन करेंगे, जो रेटिंग सीपी के लिए लागू होगी। बी) सीआरए के पास निर्गमकर्ता की सुदृढ़ता के बारे में उनकी धारणा के आधार पर रेटिंग की वैधता अवधि निर्धारित करने का विवेक होगा; और वे, रेटिंग के समय, स्पष्ट रूप से उस तारीख को इंगित करेंगे जब रेटिंग समीक्षा के लिए लंबित होगी। सी) सीआरए, नियमित अंतराल पर निर्गमकर्ताओं को दी गई रेटिंग की तुलना में उनके ट्रैक रिकॉर्ड की बारीकी से निगरानी करेंगे और अपने प्रकाशनों और वेबसाइट के माध्यम से रेटिंग में उनके संशोधन को सार्वजनिक करेंगे। 9. कुछ अन्य निदेशों की गैर-प्रयोज्यता गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमाराशियों की स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 में निहित कोई बात इन दिशानिर्देशों के अनुसार किसी एनबीएफसी द्वारा सीपी निर्गम करके जमा स्वीकार करने पर लागू नहीं होगी। 10. दिशा-निर्देशों में प्रयुक्त कुछ शब्दों की परिभाषाएं अनुबंध में दी गई हैं। परिभाषाएँ इन दिशानिर्देशों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो: ए) 'आरबीआई' का अर्थ है- भारतीय रिजर्व बैंक। बी) 'बैंक' का अर्थ है- बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 5 के खंड (सी) में यथापरिभाषित बैंकिंग कंपनी या क्रमशः खंड (डीए), खंड (एनसी) और खंड (एनडी) में यथापरिभाषित "तत्स्थानी नया बैंक", "भारतीय स्टेट बैंक" या "सहायक बैंक", और इसमें उक्त अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 के खंड (सीसीआई) में यथापरिभाषित "सहकारी बैंक" भी शामिल है। सी) 'अनुसूचित बैंक' का अर्थ है- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल बैंक। डी) 'अखिल भारतीय वित्तीय संस्था' (एफआई) का अर्थ है- एक्सपोजर मानदंडों के संबंध में दिनांक 02 जुलाई, 2012 के समय-समय पर यथासंशोधित आरबीआई मास्टर परिपत्र डीबीओडी.सं.डीआईआर.बीसी.3/13.03.00/2012-13 के अनुबंध 3 में दर्शाई गई सूची में निर्दिष्ट अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान। ई) प्राथमिक डीलर (पीडी) का अर्थ है- एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) जो 29 मार्च 1995 के समय-समय पर यथासंशोधित "सरकारी प्रतिभूति बाजार में प्राथमिक डीलर के लिए दिशानिर्देश" के अनुसार पीडी के रूप में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी एक वैध प्राधिकार पत्र रखती है। एफ़) 'कंपनी' का अर्थ है- कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 3 में परिभाषित कंपनी। जी) 'निर्गमकर्ता और भुगतानकर्ता एजेंट (आईपीए)' का अर्थ है- आईपीए के रूप में कार्य करने वाला अनुसूचित बैंक। एच) 'सीआरए' का अर्थ है- भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत क्रेडिट रेटिंग एजेंसी। आई) सीपी का अर्थ है- इस मास्टर परिपत्र में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्गम किए गए वाणिज्यिक पत्र। जे) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में प्रयुक्त किन्तु परिभाषित नहीं किए गए शब्दों और पदों का वही अर्थ होगा जो उक्त अधिनियम में उन्हें सौंपा गया है। समेकित परिपत्रों की सूची
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