मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी करने के लिए दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी करने के लिए दिशानिर्देश
आरबीआई/2015-16/56 01 जुलाई 2015 सभी बाजार सहभागी प्रिय महोदय/महोदया, मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी करने के लिए दिशानिर्देश कमर्शियल पेपर (सीपी), एक वचन पत्र के रूप में जारी किया जाने वाला एक ग़ैर-जमानती मुद्रा बाजार लिखत है, जिसे भारत में 1990 में इस उद्देश्य से प्रारंभ किया गया था कि उच्च श्रेणी के कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को अल्पकालिक उधार के अपने स्रोतों में विविधता लाने में सक्षम बनाया जा सके तथा निवेशकों को एक अतिरिक्त लिखत प्रदान किया जा सके। 2. इस विषय पर मौजूदा सभी दिशा-निर्देशों/अनुदेशों/निर्देशों को शामिल करते हुए बाजार सहभागियों और अन्य संबंधितों के लिए एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है। यह नोट किया जाए कि यह मास्टर परिपत्र परिशिष्ट में सूचीबद्ध परिपत्रों में निहित उन सभी अनुदेशों/दिशानिर्देशों/अधिसूचनाओं को समेकित करता है, जो सीपी जारी करने के लिए दिशानिर्देशों से संबंधित हैं। यह मास्टर परिपत्र आरबीआई की वेबसाइट /en/web/rbi/notifications/master-circulars पर उपलब्ध है। भवदीय (आर. सुब्रमण्यम) अनुलग्न: यथोपरि वाणिज्यिक पत्र (सीपी) एक वचन पत्र के रूप में जारी एक ग़ैर-जमानती मुद्रा बाजार लिखत है। वाणिज्यिक पत्र (सीपी), एक निजी तौर पर उपयोग किए जाने वाले लिखत के रूप में, भारत में 1990 में आरंभ इस उद्देश्य से किया गया था कि उच्च श्रेणी के कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को अल्पकालिक उधार के अपने स्रोतों में विविधता लाने में सक्षम बनाया जा सके और निवेशकों के लिए एक अतिरिक्त लिखत प्रदान किया जा सके। इसके बाद, प्राथमिक डीलरों (पीडी) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं (एफआई) को भी सीपी जारी करने की अनुमति दी गई ताकि वे अपनी अल्पकालिक वित्त पोषण आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। अब तक जारी किए गए सभी संशोधनों को शामिल करते हुए सीपी जारी करने के लिए दिशा-निर्देश सुलभ संदर्भ के लिए नीचे दिए गए हैं। अ. कंपनियों, पीडी और वित्तीय संस्थाओं को सीपी के माध्यम से अल्पावधि संसाधन जुटाने की अनुमति दी गई है। ब. कोई कंपनी सीपी जारी करने के लिए पात्र होगी बशर्ते कि :
3. सीपी जारी करना - ऋण वृद्धि, सीमा आदि। (ए) सीपी को 'स्टैंड-एलोन' उत्पाद के रूप में जारी किया जाएगा। इसके अलावा, सीपी के जारीकर्ताओं को स्टैंड-बाय सुविधा प्रदान करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए यह किसी भी तरह से बाध्यकारी नहीं होगा। (बी) बैंक और वित्तीय संस्थाएं, अपने व्यावसायिक निर्णय के आधार पर, उन पर लागू विवेकपूर्ण मानदंडों के अधीन, अपने संबंधित बोर्डों के विशिष्ट अनुमोदन के साथ, एक सीपी जारी करने के लिए ऋण वृद्धि करने के लिए स्टैंड-बाय सहायता/क्रेडिट, बैक-स्टॉप सुविधा आदि प्रदान करने का विकल्प चुन सकती हैं। (सी) गैर-बैंक संस्थाएं (कॉरपोरेट सहित) सीपी जारी करने के लिए क्रेडिट वृद्धि के लिए बिना शर्त और अपरिवर्तनीय गारंटी प्रदान कर सकती हैं बशर्ते कि :
(डी) किसी जारीकर्ता द्वारा जारी किए जा सकने वाले सीपी की कुल राशि हर समय उसके निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित सीमा के भीतर या निर्दिष्ट रेटिंग के लिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (सीआरए) द्वारा तय मात्रा, जो भी कम हो, के भीतर होगी। (ई) सीपी सहित कंपनी के वित्तपोषण के संसाधन पैटर्न को विधिवत ध्यान में रखते हुए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के पास कार्यशील पूंजी सीमा तय करने की छूट होगी। (एफ़) किसी वित्तीय संस्था द्वारा जारी किया गया सीपी बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित/अद्यतन किए गए वित्तीय संस्थाओं के लिए संसाधन जुटाने के मानदंडों पर मास्टर परिपत्र में निर्धारित समग्र सीमा के भीतर होगा। (जी) जारी किए जाने के लिए प्रस्तावित सीपी की कुल राशि जारीकर्ता द्वारा सब्सक्रिप्शन के लिए इश्यू खोलने की तारीख से दो सप्ताह की अवधि के भीतर प्राप्त की जानी चाहिए। सीपी एक ही तारीख को या अलग-अलग तारीखों पर भागों में जारी किया जा सकता है, बशर्ते कि बाद वाले मामले में, प्रत्येक सीपी की परिपक्वता तिथि समान होगी। (एच) सीपी का हर इश्यू, और सीपी का हर नवीनीकरण, एक नए इश्यू के रूप में माना जाएगा। 4. सीपी में निवेश के लिए पात्रता (ए) व्यक्ति, बैंक, अन्य कॉर्पोरेट निकाय (पंजीकृत या भारत में निगमित) और अनिगमित निकाय, अनिवासी भारतीय और विदेशी संस्थागत निवेशक (एफ आई आई) सीपी में निवेश करने के पात्र होंगे। (बी) एफआईआई सीपी में निवेश करने के पात्र हैं, बशर्ते (i) भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा उनके लिए निर्धारित की जाने वाली शर्तें और (ii) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999, विदेशी मुद्रा (जमा) विनियम, 2000 और विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गम) विनियम, 2000 के उपबंधों, यथासंशोधित, के अनुसार निवेश होना चाहिए। 5. लिखत का रूप, जारी करने का तरीका और मोचन (ए) सीपी एक प्रॉमिसरी नोट के रूप में जारी किया जाएगा (जैसा कि इन दिशानिर्देशों की अनुसूची I में निर्दिष्ट है) और उन्हें भौतिक रूप में या सेबी द्वारा अनुमोदित और पंजीकृत किसी भी डिपॉजिटरी के माध्यम से डीमैट रूप में रखा गया हो, बशर्ते कि आरबीआई विनियमित सभी संस्थाएं ऐसे डिपॉजिटरी के माध्यम से केवल अभौतिकीकृत रूप में सीपी में लेनदेन करें और उसे धारित करें। (बी) आरबीआई विनियमित सभी संस्थाओं द्वारा शुरुआती निवेश केवल अभौतिक रूप में होगा। (सी) सीपी 5 लाख रुपये और उसके गुणक मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा। एकल निवेशक द्वारा निवेश की गई राशि रुपये 5 लाख (अंकित मूल्य) से कम नहीं होनी चाहिए। (डी) सीपी जारीकर्ता द्वारा निर्धारित अंकित मूल्य में छूट पर जारी किया जाएगा। (ई) किसी भी जारीकर्ता द्वारा हामीदारीकृत अथवा सह-स्वीकृत वाणिज्यिक पत्र का निर्गमन नहीं किया जाएगा (एफ़) सीपी पर ऑपसन (कॉल/पुट) की अनुमति नहीं है। (ए) सीपी जारी होने की तारीख से कम से कम 7 दिनों और अधिकतम एक वर्ष तक की परिपक्वता अवधि के लिए जारी किया जाएगा। (बी) सीपी की परिपक्वता तिथि उस तिथि से आगे नहीं बढ़ेगी जब तक जारीकर्ता की क्रेडिट रेटिंग वैध है। (ए) हर जारीकर्ता को सीपी जारी करने के लिए एक आईपीए नियुक्त करना चाहिए। (बी) जारीकर्ता को मानक बाजार परंपरा के अनुसार संभावित निवेशकों को अपनी नवीनतम वित्तीय स्थिति का प्रकटीकरण करना चाहिए। (सी) निवेशक और जारीकर्ता के बीच सौदे की पुष्टि के आदान-प्रदान के बाद, जारीकर्ता आईपीए के माध्यम से डिपॉजिटरी के साथ निवेशक के डीमैट खाते में सीपी जमा करने की व्यवस्था करेगा। (डी) जारीकर्ता निवेशक को इस आशय के आईपीए प्रमाण पत्र की एक प्रति देगा कि जारीकर्ता का आईपीए के साथ एक वैध करार है और दस्तावेज सही हैं (अनुसूची II)। पात्र सहभागी/जारीकर्ता सेबी में पंजीकृत सीआरए में से किसी एक से सीपी जारी करने के लिए क्रेडिट रेटिंग प्राप्त करेंगे। सेबी द्वारा निर्धारित रेटिंग प्रतीक और परिभाषा के अनुसार न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग 'ए3' होगी। जारीकर्ता सीपी जारी करते समय यह सुनिश्चित करेंगे कि प्राप्त की गई रेटिंग अद्यतन है और वह समीक्षाधीन नहीं है। (ए) सीपी में निवेशक (प्राथमिक ग्राहक) आईपीए के माध्यम से जारीकर्ता के खाते में सीपी के बट्टागत मूल्य का भुगतान करेगा। (बी) भौतिक रूप में सीपी रखने वाला निवेशक, परिपक्वता पर, आईपीए के माध्यम से जारीकर्ता को भुगतान के लिए लिखत प्रस्तुत करेगा। (सी) अभौतिकीकृत रूप में सीपी के धारक को सीपी को मोचन (रिडीम) कराना होगा और आईपीए के माध्यम से भुगतान प्राप्त करना होगा। (ए) सीपी के लिए मानकीकृत प्रक्रियाएं और दस्तावेज अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (फिम्डा) के परामर्श से निर्धारित किए गए हैं। (बी) जारीकर्ता/आईपीए आरबीआई के अनुमोदन से फिम्डा द्वारा जारी परिचालन संबंधी दिशानिर्देशों का समय-समय पर पालन करेंगे। (ए) सीपी में सभी ओटीसी सौदों को सौदा करने के 15 मिनट के भीतर क्लियरकॉर्प डीलिंग सिस्टम (इंडिया) लिमिटेड (सीडीएसआईएल) के रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट किया जाएगा। (बी) सीपी में ओटीसी सौदों का निपटान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएससी) के समाशोधन गृह, यानी नेशनल सिक्योरिटीज क्लियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएससीसीएल), बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के समाशोधन गृह, यानी इंडियन क्लियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईसीसीएल) और एमसीएक्स स्टॉक एक्सचेंज का समाशोधन गृह, यानी, एमसीएक्स-एसएक्स क्लियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीसीएल), समय-समय पर एनएससीसीएल, आईसीसीएल और सीसीएल द्वारा निर्दिष्ट मानदंडों के अनुसार के माध्यम से किया जाएगा। (सी) सीपी में में ओटीसी सौदों के लिए निपटान चक्र या तो टी+0 या फिर टी+1 होगा। (ए) जारीकर्ता परिपक्वता से पहले निवेशकों के लिए जारी किए गए सीपी को वापस खरीद सकते हैं। (बी) सीपी की वापसी खरीद द्वितीयक बाजार के माध्यम से और प्रचलित बाजार मूल्य पर की जाएगी। (सी) जारी होने की तारीख से न्यूनतम 7 दिनों की अवधि से पहले सीपी को वापस नहीं खरीदा जाएगा। (डी) जारीकर्ता की गयी वापसी खरीद के बारे में आईपीए को सूचित करेगा। (ई) निदेशक मंडल से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद सीपी की वापसी खरीद की जानी चाहिए। जारीकर्ता, आईपीए और सीआरए के कर्तव्य और दायित्व नीचे निर्धारित किए गए हैं: I. जारीकर्ता जारीकर्ता यह सुनिश्चित करेगा कि सीपी जारी करने के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों और प्रक्रियाओं का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। II. आईपीए (ए) आईपीए यह सुनिश्चित करेगा कि जारीकर्ता के पास आरबीआई द्वारा निर्धारित न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग है और सीपी जारी करने के माध्यम से जुटाई गई राशि निर्दिष्ट रेटिंग के लिए सीआरए द्वारा इंगित मात्रा या उसके निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित, जो भी कम हो, के भीतर है। (बी) आईपीए यह प्रमाणित करेगा कि उसका जारीकर्ता के साथ वैध करार है (अनुसूची II)। (सी) आईपीए यह सत्यापित करेगा कि जारीकर्ता द्वारा जमा किए गए सभी दस्तावेज, जैसे निदेशक मंडल के संकल्प की प्रति, अधिकृत निष्पादकों के हस्ताक्षर (जब सीपी भौतिक रूप में जारी किया जाता है) उचित रूप में हैं और इस आशय का एक प्रमाण पत्र जारी करेगा। (डी) आईपीए द्वारा सत्यापित मूल दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां आईपीए की अभिरक्षा में रखी जाएंगी। (ई) सभी अनुसूचित बैंक, आईपीए के रूप में कार्य करते हुए, सीपी जारी करने की तारीख से दो दिनों के भीतर आरबीआई के ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग सिस्टम (ओआरएफएस) मॉड्यूल पर सीपी जारी करने के विवरण की रिपोर्ट करेंगे। (एफ़) आईपीए, सीपी की चुकौती में चूक होने पर, मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई-400001 को इन दिशानिर्देशों की अनुसूची III दिए गए प्रारूप में तुरंत रिपोर्ट (ईमेल) करेगा। (जी) आईपीए जारीकर्ता द्वारा किए गए सीपी के बायबैक के सभी लेनदेनों की रिपोर्ट मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई-400001 को इन दिशानिर्देशों की अनुसूची IV में दिए गए प्रारूप में (ईमेल) करेगा। III. सीआरए (ए) सीआरए, पूंजी बाजार लिखतों की रेटिंग करने के लिए सीआरए के लिए सेबी द्वारा निर्धारित आचार संहिता का पालन करेंगे, जो सीपी की रेटिंग के लिए लागू होगा। (बी) सीआरए के पास जारीकर्ता की शक्ति अनुसार अपनी धारणा के आधार पर रेटिंग करने की वैधता अवधि निर्धारित करने का विवेकाधिकार होगा; और वे रेटिंग के समय, स्पष्ट रूप से उस तारीख को इंगित करेंगे जब रेटिंग की समीक्षा की जानी है। (सी) सीआरए नियमित अंतराल पर जारीकर्ताओं को उनके ट्रैक रिकॉर्ड की तुलना में सौंपी गई रेटिंग की बारीकी से निगरानी करेंगे और रेटिंग में अपने संशोधन को अपने प्रकाशनों और वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक करेंगे। 9. कुछ अन्य निदेशों का लागू न होना इन दिशानिर्देशों के अनुसार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सार्वजनिक जमा स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के प्रावधान किसी भी एनबीएफसी द्वारा सीपी जारी करके जमा स्वीकार करने हेतु लागू नहीं किए जाएंगे। 10. दिशानिर्देशों में प्रयुक्त कुछ शर्तों की परिभाषाएँ अनुबंध में दी गई हैं परिभाषाएं इन दिशानिर्देशों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो : (ए) 'आरबीआई' का मतलब भारतीय रिज़र्व बैंक है। (बी) बैंकों का अर्थ बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 5 के खंड (सी) में परिभाषित बैंकिंग कंपनी या "प्रतिनिधि नया बैंक", "भारतीय स्टेट बैंक" या "सहायक बैंक" है, जैसा कि क्रमशः खंड (डीए), खंड (एनसी) और खंड (एनडी) में परिभाषित किया गया है और इसमें उक्त अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 के खंड (सीसीआई) में परिभाषित एक "सहकारी बैंक" भी शामिल है। (सी) 'अनुसूचित बैंक' का अर्थ आरबीआई अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल बैंक है। (डी) 'अखिल भारतीय वित्तीय संस्था' (एफआई) का अर्थ है, एक अखिल भारतीय वित्तीय संस्था जिसका उल्लेख समय-समय पर संशोधित एक्सपोजर मानदंडों पर आधारित आरबीआई के दिनांक 02 जुलाई 2012 के मास्टर परिपत्र डीबीओडी.सं.निदे.बीसी.3/13.03.00/2012-13 के अनुबंध 3 में दी गई सूची में किया गया है। (ई) 'प्राथमिक डीलर (पीडी)' का अर्थ एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है, जिसके पास दिनांक 29 मार्च 1995 को रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर संशोधित और जारी "सरकारी प्रतिभूति बाजार में प्राथमिक डीलर के लिए दिशानिर्देश" के प्रावधानों के अनुसार पीडी के रूप में एक वैध प्राधिकार पत्र हो। (एफ़) 'कंपनी' का अर्थ कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 3 में परिभाषित कंपनी है। (जी) 'जारीकर्ता और भुगतान एजेंट (आईपीए)' का अर्थ आईपीए के रूप में कार्य करने वाला एक अनुसूचित बैंक है। (एच) 'सीआरए' का मतलब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है। (आई) 'सीपी' का अर्थ इस मास्टर परिपत्र में दिशानिर्देशों के अनुसार जारी वाणिज्यिक पत्र है। (जे) जिन शब्दों और अभिव्यक्तियों का यहाँ उपयोग किया गया है लेकिन उन्हें यहां परिभाषित नहीं किया गया है और जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में परिभाषित किया गया है, उनका वही अर्थ होगा जो उन्हें उक्त अधिनियम में दिया गया है। समेकित परिपत्रों की सूची
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