मास्टर परिपत्र - बाह्य वाणिज्यिक उधार और व्यापारिक उधार - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - बाह्य वाणिज्यिक उधार और व्यापारिक उधार
आरबीआइ / 2011-12/09 01 जुलाई 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र - बाह्य वाणिज्यिक उधार और व्यापारिक उधार निवासियों द्वारा लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार और व्यापारिक उधार, समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई , 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.3/2000-आरबी, अर्थात् 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उप-धारा 3 के खंड (डी) द्वारा नियंत्रित होते हैं। 2. यह मास्टर परिपत्र "बाह्य वाणिज्यिक उधार और व्यापारिक ऋण " विषय पर सभी वर्तमान अनुदेशों को एक स्थान पर समेकित करता है। इस मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों/ अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गई है। 3. यह मास्टर परिपत्र एक वर्ष की अवधि के लिए ("सनसेट खंड" के साथ) जारी किया जा रहा है। यह परिपत्र 01 जुलाई 2012 को वापस ले लिया जाएगा तथा उसके स्थान पर इस विषय पर अद्यतन मास्टर परिपत्र जारी किया जाएगा। भवदीया , (रश्मि फौजदार) |