मास्टर परिपत्र - भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) विवरणी विनिर्देश 1997 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) विवरणी विनिर्देश 1997
भारिबैं.2007-08/4
गैबैंपवि(नीप्र) कंपरि सं. 99 /03.02.01/2007-08
2 जुलाई, 2007
अध्यक्ष/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां(जनता की जमाराशियां स्वीकार करनेवाली) और अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियां
महोदय
मास्टर परिपत्र - भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) विवरणी विनिर्देश 1997
भारतीय रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों/अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों (एनबीएफसी/आरएनबीसी) द्वारा प्रस्तुत की जानेवाली विवरणियों से संबंधित निदेश 30 अप्रैल 1997 को अधिसूचना डीएफसी (सीओसी) सं.108 ईडी(जेआरपी) 97 द्वारा जारी किया। आगे 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.डीएफसी.120/ईडी(जी)-98 और 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.डीएफसी.121/ईडी(जी)-98 क्रमश:अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा चल परिसंपत्तियां रखने के संबंध में जारी की गयीं। उक्त अधिसूचनाएं 30 जून 2007 की स्थिति के अनुसार अद्यतन रूप में नीचे दी जा रही हैं।
भवदीय
(पी.कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर -1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400005
अधिसूचना डीएफ (सीओसी) सं. 108 ईडी(जेआरपी)/97 दिनांक 30 अप्रैल 1997
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा परिसंपत्तियों की प्रतिशतता बनाए रखने से संबंधित अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45 आईबी की उपधारा (2) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक ने विवरणी (रिटर्न) प्रस्तुत करने के लिए फार्मों, उसके तरीकों और उसे प्रस्तुत करने की अवधि के बारे में निम्नानुसार विनिर्दिष्ट किया है-
1. इन विनिर्देशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां)विवरणी विनिर्देश 1997 कहा जाएगा।
ड2. (क) दिनांक 15 मई 1987 की अधिसूचना सं. डीएफसी 55/डीजी(ओ)-87 में निहित अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियां (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1987 के प्रावधानों से नियंत्रित होनेवाली प्रत्येक अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी फार्म डीएनबीएस-3ए के अनुसार हर तिमाही एक विवरणी प्रस्तुत करेगी; और
(ख) ऊपर खंड ‘क’ में उल्लिखित अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी को छोडकर प्रत्येक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी फॉर्म डीएनबीएस-3 के अनुसार हर तिमाही एक विवरणी जमा करेगी।
3. तिमाही विवरणी दो प्रतियों में संबंधित तिमाही के बाद वाले माह के पंद्रह दिनों के भीतर प्रस्तुत की जाएगी।
4. तिमाही विवरणी की विषय-वस्तु कंपनी के प्राधिकृत अधिकारी द्वारा प्रमाणित और हस्ताक्षरित हो कि वह सत्य और सही है।
5. तिमाही विवरणी भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय बैंक के पर्यवेक्षण विभाग (वित्तीय कंपनी विंग) में जमा की जाएगी जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी का पंजीकृत कार्यालय स्थित है।
(जे. आर. प्रभु)
कार्यपालक निदेशक
भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर -1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400005
अधिसूचना सं. डीएफसी. 120/ईडी(जी)-98 दिनांक 31 जनवरी 1998
भारतीय रिज़र्व बेक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45आइ बी की उपधारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और दिनांक 30 अप्रैल 1997 की अधिसूचना सं. डीएफसी (सीओसी) 107 ईडी(जेआरपी)/97 के अधिक्रमण में भारतीय रिज़र्व बैंक एतदद्वारा आज से यह विनिर्देश देता है कि आज से दिनांक 15 मई 1987 की अधिसूचना सं. डीएफसी. 55/डीजी(ओ) -87 में निहित अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियां (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1987 के प्रावधानों से नियंत्रित होनेवाली किसी अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी द्वारा बनायी रखी जानेवाली परिसंपत्तियों की प्रतिशतता दूसरी पूर्व तिमाही के अंतिम कार्य दिवस को कारोबार की समाप्ति पर बकाया जमाराशियों का 10 प्रतिशत होगी।
(एस. गुरुमूर्ति)
कार्यपालक निदेशक
भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर -1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400005
अधिसूचना सं. डीएफसी. 121/ईडी(जी)-98 दिनांक 31 जनवरी, 1998
भारतीय रिज़र्व बैक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45 आइबी की उपधारा (1) के साथ पठित धारा 45 एनसी के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और दिनांक 2 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. डीएफसी.116/डीजी(एसपीटी)-98, के अधिक्रमण में भारतीय रिज़र्व बैंक विचार कर और इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा किया जाना आवश्यक है, एतद्वारा घोषणा करता है कि 15 मई 1987 की अधिसूचना सं. डीएफसी.55/डीजी(ओ)-87 दिनांक में निहित अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियां (रिजर्व बैंक) निदेश, 1987 के प्रावधानों से नियंत्रित होनेवाली अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियों को छोड़कर सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भार-रहित अनुमोदित प्रतिभूतियों में ऐसी राशि के निवेश की अपेक्षा से विमुक्त होंगी जो किसी दिन कारोबार की समाप्ति पर दूसरी पूर्व तिमाही के अंतिम कार्य दिवस को कारोबार की समाप्ति पर बकाया जमाराशियों के 5 प्रतिशत से कम नहीं होगी जैसा कि उक्त अधिनियम की धारा 45 आइबी की उपधारा (1) में अपेक्षित हे, इन शर्तों के अधीन है कि-
- दिनांक 15 मई 1987 की अधिसूचना सं. डीएफसी.55/डीजी(ओ)-87 में निहित अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1987 के प्रावधानों से नियंत्रित किसी अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी को छोडकर प्रत्येक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी भारत में भार-रहित अनुमोदित प्रतिभूतियों में निवेश करेगी या करना जारी रखेगी जिसका निर्धारित मूल्य ऐसी प्रतिभूतियों के वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक नहीं होगा और यह राशि किसी दिन के कारोबार की समाप्ति पर निम्नानुसार होगी-
1ड(i) 1 अप्रैल 1998 को और उस दिन से |
12.5 प्रतिशत से कम न हो |
(ii) 1 अप्रैल 1999 को और उस दिन से |
15 प्रतिशत से कम न हो; और |
(iii) 1 जनवरी, 2000 को और उस दिन से |
अनुमोदित प्रतिभूतियों में दस प्रतिशत से कम न हो और शेष किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में भार-रहित सावधि जमा में, जो कुल मिलाकर दूसरी पूर्व तिमाही के अंतिम कार्य दिवस की समाप्ति पर बकाया |
"जनता की जमाराशि" (जैसा कि गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशि स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैरा 2(1) (xii) में परिभाषित किया गया है) उसके 15 प्रतिशत से कम न हो और; |
(2) धारा 45 आइबी के अन्य सभी प्रावधान यथोचित परिवर्तनों के साथ ऊपर्युक्त आवश्यकता के लिए लागू होंगे तथा "जनता की जमाराशि" अभिव्यक्ति का अर्थ वही होगा जैसा कि उक्त प्रावधान में "जमाराशि" अभिव्यक्ति का अर्थ अपेक्षित है।
(एस. गुरुमूर्ति)
कार्यपालक निदेशक