मास्टर परिपत्र – संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकारने/ धारण करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC-ND-SI) के लिए विविध अनुदेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र – संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकारने/ धारण करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC-ND-SI) के लिए विविध अनुदेश
भारिबैं/2015-16/28 1 जुलाई 2015 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसी) महोदय/महोदया, मास्टर परिपत्र – संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकारने/ सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने उल्लिखित विषय पर 30 जून 2015 तक जारी सभी अनुदेशों को समेकित किया है। यह नोट किया जाए कि परिशिष्ट में सूचीबद्ध अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट सभी अनुदेश, जहाँ तक वे इस विषय से संबंधित हैं, मास्टर परिपत्र में समेकित एवं अद्यतन कर दिये गये हैं। मास्टर परिपत्र बैंक की वेब साइट (www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है। भवदीय, (सी डी श्रीनिवासन) 1. संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का वित्तीय विनियमन तथा बैंकों से उनका संबंध भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय क्षेत्र में विनियामक अभिसरण और विनियामक अंतरपणन स्तर से संबंधित मुद्दों की जांच हेतु एक आंतरिक समूह दल गठित किया था. आंतरिक समूह दल की सिफारिशों पर आधारित तथा प्राप्त फीडबैक के आधार पर कार्यान्वयन हेतु 12 दिसंबर, 2006 को अंतिम दिशा निर्देशों जारी किए गए. 1विनियामक संरचना में संशोधन बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के कार्यों के विभिन्न पहलुओं के लिए भिन्न-भिन्न विनियामक अपेक्षाओं से उठने वाले प्रश्नों के परिप्रेक्ष्य में तथा प्रस्तावित संशोधन के लिए व्यापक सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विनियामक संरचना में निम्नलिखित संशोधन किए जा रहे हैं:- ए. संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)-एनडी-एसआई के लिए विनियामक ढांचा (i) एनबीएफसी-एनडी-एसआई का निर्धारण सभी एनबीएफसी-एनडी जिनकी परिसंपत्तियाँ अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार ₹100 करोड़ या अधिक हैं, उन्हें संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण एनबीएफसी-एनडी माना जाएगा। (ii) एनबीएफसी-एनडी-एसआई के लिए पूंजी पर्याप्तता अनुपात एनबीएफसी-एनडी-एसआई जोखिम भारित परिसंपत्तियों की तुलना में न्यूनतम पूंजी (CRAR) का 10% अनुपात बनाए रखेंगी। इसे बाद में परिवर्तित2 कर 31 मार्च 2010 को 12% तथा 31 मार्च 2011 के 15% कर दिया गया। (iii) एनबीएफसी-एनडी-एसआई के लिए एकल/ग्रूप जोखिम एनबीएफसी-एनडी-एसआई के लिए जोखिम मानदण्ड निर्धारित किए गए थे। इसके अलावा, एनबीएफसी-एनडी-एसआई को सूचित किया गया था कि वे एकल/ग्रुप के संबंध में जोखिम संबंधी नीति बनाएं। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जनता की निधियों तक पहुंच न रखने वाली एनबीएफसी-एनडी-एसआई जोखिम सीमा की भावना के अनुरूप उचित छूट के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन कर सकती हैं। बी. परिसंपत्ति वित्त कंपनियों के लिए अतिरिक्त एकल जोखिम मानदण्ड (vi) 3हटाया गया। सी. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की गतिविधियों का स्वत: अनुमोदित मार्ग से विस्तार (v) स्वत: अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत स्थापित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को केवल उन्हीं 184 गतिविधियों को करने की अनुमति होगी जो स्वत: अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत अनुमत हैं। उनसे भिन्न किसी अन्य गतिविधि को करने से पहले उहें विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड का अनुमोदन लेने की जरूरत होगी। इसी प्रकार यदि किसी कंपनी को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति के अंतर्गत (जैसे साफ्टवेयर) किसी क्षेत्र विशेष में प्रवेश की अनुमति मिली है और बाद में वह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र में काम करना चाहती है तो उसे लागू न्यूनतम पूंजीकरण मानदण्डों और अन्य विनियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करना होगा। डी. प्रभावी तारीख और संक्रांति इस बात को ध्यान में रखते हुए कि हो सकता है कि कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ नए संशोधित विनियामक संरचना के कतिपय तत्वों का अनुपालन करने में संप्रति समर्थ न हों, इनके अनुपालन के लिए मार्च 2007 के अंत तक की अवधि संक्रांति काल के रूप में दी गई थी। तदनुसार, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को संशोधित संरचना के सभी तत्वों/बातों का अनुपालन 1 अप्रैल 2007 से सुनिश्चित करना था। यदि किसी एनबीएफसी-एनडी-एसआई को अनुपालन के लिए मुहलत (अधिक समय) की जरूरत रही हो तो उसे 31 जनवरी 2007 को कार्यालय कारोबार की समाप्ति से पूर्व गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग को उक्त अवधि में अनुपालन न कर पाने के कारणों का उल्लेख करते हुए और जिस अवधि में सभी बातों का अनुपालन कर सकती थी का ब्योरा देते हुए आवेदन करना था। ई. कतिपय वर्गों के लिए लागू होना इस परिपत्र में अंतर्विष्ट मार्गदर्शी सिद्धांत संबंधित पैराग्राफों में किए गए विनिर्देशानुसार गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू होंगे, केवल निम्नलिखित वर्गों को छोड़कर- i) अवशिष्ट गैर बैंकिंक कंपनियां (आरएनबीसी) तथा प्राथमिक डिलर्स (पीडी) के लिए अलग नियमों का प्रावधान है. ii) कंपनी अधिनियम की धारा 617 में परिभाषित सरकार के स्वामित्ववाली कंपनियाँ जो भारती रिज़र्व बैंक के पास गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के रूप में पंजीकृत हैं, वे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व ब़ैंक) निदेश, 1998 के कतिपय उपबंधों से संप्रति छूट प्राप्त हैं। यह प्रस्ताव है कि जमा स्वीकार करनेवाली एवं प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण सरकारी स्वामित्व वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपिनयों को उक्त निदेश के अंतर्गत लाया जाए जो मौजूदा मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुरूप होगा जिसमें इस परिपत्र में शामिल मार्गदर्शी सिद्धांत शामिल हैं। हालांकि, किस तारीख से वे इस विनियामक संरचना का पूरी तरह अनुपालन करेंगी, इसका निर्णय बाद में होगा। इन कंपनियों से अपेक्षित था कि वे सरकार से परामर्श करके गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए अमल में आने वाले मार्गदर्शी सिद्धांतों के विभिन्न तत्वों/मानकों के अनुपालन के लिए योजना बनाएं और उसे रिज़र्व बैंक के गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग को 31 मार्च 2007 तक प्रस्तुत करें5। 2. संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकारने/ न धारण करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी-एनडी-एसआई) के लिए पर्यवेक्षी संरचना 6संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकरने वाली एनबीएफसी हेतु विनियामक संरचना के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए ऐसी कंपनियों को सूचित किया जाता है कि वे पूंजीगत निधियों, जोखिम-परिसंपत्ति अनुपात, आदि से संबंधित 31 मार्च को समाप्त प्रत्येक वर्ष के लिए एनबीएस-7 में वार्षिक विवरण प्रस्तुत करने की प्रणाली लागू करें। ऐसी पहली विवरणी 31 मार्च 2007 को समाप्त वर्ष के लिए प्रस्तुत की जाए। प्रत्येक वर्ष, वित्तीय वर्ष की समाप्ति के अनुवर्ती 3 माह के भीतर इस विवरणी को प्रस्तुत किया जाए। ऐसी विवरणियाँ इलेक्ट्रानिक रूप में प्रस्तुत की जाएं और इसके लिए एनबीएफसी-एनडी-एसआई इस विभाग के केंद्रीय कार्यालय के सूचना प्रोद्योगिकी प्रभाग से "यूजर आईडी" और "पासवर्ड" के लिए संपर्क करें ताकि वे वेब से विवरणी प्रस्तुत कर सकें। अधिकृत अधिकारी द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित विवरणी की एक हार्ड कापी गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत की जाए जिसके अधिकार-क्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आाता है। 3. संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए पूंजी पर्याप्तता, तरलता (liquidity) और प्रकटीकरण मानदण्डों के संबंध में दिशानिर्देश (मार्गदर्शी सिद्धांत) 7इस विनियामक संरचना के संबंध में अप्रैल 2007 से हुए अनुभव की समीक्षा करने पर यह महसूस किया गया कि पूंजी पर्याप्तता अपेक्षाओं में वृद्धि की जाए और तरलता प्रबंधन तथा रिपोर्टिंग के साथ-साथ प्रकटीकरण मानदण्डों के संबंध में मार्गदर्शी सिद्धांत लागू किए जाएं। तदनुसार, संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण, जमाराशियाँ न स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के उल्लिखित पहलुओं से संबंधित मार्गदर्शी सिद्धांतों का प्रारूप जनता से अभिमत प्राप्त करने के लिए बैंक की वेबसाइट पर 2 जून 2008 को रखा गया था। इन मार्गदर्शी सिद्धांतों को अंतिम रूप दिया गया था और वे "गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशियाँ न स्वीकार या धारण करने वाली) कंपनियाँ वेवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007" के नाम से जारी किए गए थे। 4. पूंजीपर्याप्ता तरलता प्रबंधन (एएमएल) –प्रस्तुतिकरण प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को तीनो एएमएल विवरणियां यथा एएमएल1, एएमएल2, तथा एएमएल3 को प्रस्तु करने की आवश्यकता है. अल्पावधि गतिशील तरलता की विवरणी (एनबीएस – एएमएल1) की प्रस्तुति की अवधि मासिक तथा संरचनात्मक तरलता की विवरणी (एनबीएस – एएमएल2) की प्रस्तुति की अवधि अर्ध वार्षिक है. ब्याज दर संवेदनशीलता संबंधी विवरणी (एनबीएस – एएमएल3) अर्ध वार्षिक आधार पर प्रस्तुत किया जाए. 8एएमएल विवरणी (I II तथा III) का फार्मेट बैंक के वेब साइट (https://cosmos.rbi.org.in) पर उपलब्ध है. 5. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजनार्थ पूंजी बढ़ाने के विकल्पों में बढ़ोत्तरी संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC-NDSI) द्वारा उनके कारोबार बढ़ाने एवं विनियामक अपेक्षाओं को पूरा करने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि वे परिपत्र में अंतर्विष्ट मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुरूप, बेमियादी ऋण लिखत (PDI) जारी करके अपनी पूंजीगत निधियों में बढ़ोत्तरी कर सकती हैं। ऐसे बेमियादी ऋण लिखत (PDI), कंपनी के पिछले लेखा वर्ष के 31 मार्च को उसकी कुल टियर I पूंजी के 15% की सीमा तक टियर I पूंजी में शामिल किए जाने के योग्य/पात्र होंगे। 6. 9गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की रेटिंग गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ कमर्शियल पेपर, डिबेंचर आदि जैसे वित्तीय उत्पाद भी जारी करती हैं जिनकी रेटिंग रेटिंग एजेंसियों द्वारा निर्धारित की जाती है। ऐसे उत्पादों को दी गई रेटिंग रेटिंग एजेंसियों द्वारा बताए गए विभिन्न कारणों से बदल सकती है। अस्तु यह निर्णय लिया गया है कि (जमाराशियाँ स्वीकारने वाली या न स्वीकारने वाली) सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जिनकी परिसंपत्तियाँ ₹100 करोड़ रुपए या अधिक हैं अपने ऐसे वित्तीय उत्पादों की रेटिंग के न्यूनीकरण/ उच्चीकरण की तारीख से 15 दिनों के भीतर लिखित रूप में ऐसी जानकारी रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को देंगी जिनके अधिकार क्षेत्र में उनका पंजीकृत कार्यालय कार्यरत है। 7. 10संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC-ND-SI) का दर्जा देने संबंधी मानक जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी की परिसंपत्तियाँ तुलनपत्र की तारीख को ₹100 करोड़ रुपए से कम हो सकती हैं किन्तु बाद में कारोबार विस्तार योजना/प्लान सहित अनेकानेक कारणों से अगले तुलनपत्र की तारीख से पूर्व उनमें वृद्धि हो सकती है। इस बारे में यह स्पष्ट किया जाता है कि एक बार जब किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी की परिसंपत्तियाँ ₹ 100 करोड़ रुपए या अधिक हो जाएंगी वैसे ही वह कंपनी यथोक्त संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संबंध में लागू विनियामक अपेक्षाओं के दायरे में आ जाएगी, भले ही अंतिम तुलनपत्र की तारीख को उसकी ऐसी परिसपत्तियाँ कम ही क्यों न रही हों। अस्तु यह सूचित किया जाता है कि जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली ऐसी सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जैसे ही ₹100 करोड़ रुपए या अधिक परिसंपत्तियों के स्तर को प्राप्त कर लेती हैं वैसे ही, ऐसा स्तर प्राप्त करने की तारीख पर विचार किए बिना, वे संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संबंध में लागू विनियामक अपेक्षाओं का अनुपालन करेंगी। यह भी देखने में आया है कि गतिशील माहौल में अस्थायी उतार-चढ़ाव के कारण, न कि वास्तव में, किसी माह विशेष के दौरान किसी कंपनी की परिसंपत्तियाँ ₹ 100 करोड़ से कम हो जाएं। ऐसे मामले में यह स्पष्ट किया जाता है कि कंपनी महत्त्वपूर्ण वित्तीय पैरामीटरों पर मासिक विवरणी भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करती रहेगी तथा संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संबंध में लागू मौजूदा निदेशों का अनुपालन करती रहेगी जब तक कि उसका आगामी लेखापरीक्षित तुलन रिज़र्व बैंक के प्रस्तुत न हो जाए एवं इस संबंध में रिज़र्व बैंक से विशिष्ट छूट के लिए अनुमति न मिल जाए। 8. 11कारपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में तैयार वायदा संविदा भारतीय रिज़र्व बैंक के आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग द्वारा जारी 8 जनवरी 2010 के 'कारपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में रेपो लेनदेन (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2010 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 617 में यथापरिभाषित सरकारी कंपनियों से इतर) कारपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में रेपो लेनदेनों के लिए पात्र हैं। आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग ने रेपो/रिवर्स रेपो लेनदेनों के लिए एक समान लेखाकरण के बारे में 23 मार्च 2010 को संशोधित दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। ऐसे रेपो लेनदेनों में भाग लेने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग द्वारा जारी निदेश एवं लेखाकरण संबंधी दिशानिर्देशों का अनुपालन करेंगी। इस संबंध में कतिपय स्पष्टीकरण नीचे दिए जा रहे हैं: (i) जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जिनकी परिसंपत्तियां ₹ 100 करोड़ या अधिक हैं। (ii) ऐसे लेनदेनों के लिए संपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में रखी परिसंपत्तियों के बारे में ऋण जोखिम हेतु जोखिम भार के साथ-साथ काउंटर पार्टी के लिए जोखिम भार वह होगा जो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (जमाराशियाँ न स्वीकारने या धारण न करने वाली) विवेकपूर्ण मानदण्ड निदेश, 2007, समय-समय पर यथासंशोधित, में जारीकर्ता/काउंटर पार्टी के लिए लागू है। सी. खातेंगत शेष -राशि का वर्गीकरण (iii) रेपो, रिवर्स रेपो खाते, आदि जैसे विभिन्न खातोंगत शेष-राशि का वर्गीकरण, बैंकों की भांति, संबंधित अनुसूचियों में किया जाएगा। ऐसे रेपो लेनदेनों से संबंधित अन्य सभी मामलों में जमाराशियाँ न स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग द्वारा जारी निदेश तथा लेखाकरण-दिशानिर्देशों अर्थात क्रमश: 8 जनवरी 2010 के 'कारपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में रेपो लेनदेन (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2010' तथा 23 मार्च 2010 के रेपो/रिवर्स रेपो लेनदेनों के लिए एक समान लेखाकरण के बारे में संशोधित दिशानिर्देशों का अनुपालन करेंगी। 9. 12करेंसी आप्शंस में भाग लेना भारतीय रिज़र्व बैंक ने मान्यताप्राप्त स्टाक/नए एक्स्चेंजों में करेंसी आप्शंस में व्यापार (ट्रेड) करने के संबंध में बैंकों को 30 जुलाई 2010 को दिशानिर्देश जारी किए थे। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि इस मामले में भारतीय रिज़र्व (विदेशी मुद्रा विभाग) द्वारा जारी दिशानिर्देशों के तहत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ अपने अंतर्भूत विदेशी मुद्रा संबंधी जोखिमों की हेजिंग के लिए ही, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा मान्यताप्राप्त करेंसी आपशंस के लिए पदनामित एक्स्चेंजों में ग्राहकों के रूप में भाग ले सकती हैं। इस संबंध में किए गए लेन-देनों के बारे में उनके द्वारा तुलनपत्र में उचित प्रकटीकरण किए जाएं। परिपत्रों की सूची
1 12 दिसम्बर 2006 का गैबैंपवि.नीप्र/कंपरि.सं.86/03.02.089/2006-07 2 26 मई 2009 की अधिसूचना सं.206 तथा 24 अप्रैल 2009 का का कंपरि 138 द्वार संशोधित 3 10 नवम्बर 2014 का गैबैंविवि(नीप्र)कंपरि.सं.002/03.10.001/2014-15 के द्वारा जारी दिशानिदेश। 4 12 मई 2008 के प्रेस नोट द्वारा परिवर्तन 5 विवरण हेतु 12 दिसम्बर 2006 के डीएनबीएस.पीडी/सीसी 86/03.02.089/2006-07 का संदर्भ लें. 6 (संपूर्ण जानकारी हेतु 27 अप्रैल 2007 के डीएनबीएस.पीडी/सीसी सं: 93/03.05.002/2006-07 का संदर्भ लें) 7 (1 अगस्त 2008 का अधिसूचना सं: डीएंबीएस 200/सीजीएम (पीके)-2008) 8 22 अप्रैल 2010 का परिपत्र.नीप्र.कंपरि.सं.169/22.05.02/2009-10 9 4 फरवरी 2009 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.134/03.10.001/2008-2009 10 4 जून 2009 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.141/03.10.001/2008-09 11 11 अगस्त 2010 का गैबैंपवि.नीप्र/कंपरि.सं.196/03.05.002/2010-11 12 16 सितम्बर 2010 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.199/03.10.001/2010-11 फूट नोट: मूल परिपत्र/अधिसूचना में जब और जैसे परिवर्तन होगा मास्टर परिपत्र में संदर्भित कंपनी अधिनियम, 1956 में भी परिवर्तन होगा। |