गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के लिए संशोधित विनियामक संरचना - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के लिए संशोधित विनियामक संरचना
भारिबैं/2014-15/299 10 नवम्बर 2014 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (प्राथमिक व्यापारियों को छोड़कर) महोदय, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के लिए संशोधित विनियामक संरचना गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) सेक्टर का अपने आकार, परिचालन, तकनीकि बनावट, नयी वित्तीय सेवाओं तथा उत्पाद में व्यापक विस्तार हुआ है। एनबीएफसी अब वित्तीय क्षेत्र की संस्थाओं के साथ अपने तुलन पत्र के दोनों तरफ से काफी गहराई के साथ जुडी हुई है। वित्तीय संस्था होने के कारण, वे किसी भी अन्य वित्तीय क्षेत्र के भागीदार की तरह प्रतिपक्ष विफलताओं, निधीयन और परिसंपत्ति संकेन्द्रण, ब्याज दर में घटना बढना, चलनिधि और ऋण शोधन क्षमता से संबंधित जोखिम के दायरे में आते हैं। । इसके साथ साथ इस सेक्टर के बीच कुछ ऐसे क्षेत्र भी है जो इस प्रणाली में कोई महत्वपूर्ण जोखिम नहीं रखते हैं । अत: यह महसूस किया गया है कि एनबीएफसी द्वारा वितरण नवोन्मेष (डिलेवरिंग इनोवेषण) तथा अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंतिम माइल कनेक्टिविटी में प्रदर्शित गतिशीलता पर बाधा डाले बिना जोखिम को संबोधित करने की आवश्यकता है। 2. उक्त के परिप्रेक्ष्य में, एनबीएफसी सेक्टर पर लागू समस्त विनियामक संरचना की समीक्षा इस आलोक में की गई, ताकि समय के साथ एनबीएफसी का गतिविधि आधारित विनियमन किया जा सके। इस ओर पहला कदम उठाते हुए विनियामक संरचना में कुछ परिवर्तन किए गए है ताकि ए) जहां कही जोखिम मौजूद है उसपर ध्यान दिया जा सके बी) एनबीएफसी सेक्टर में तथा अन्य वित्तीय संस्थानों की तुलना में विभिन्न विनियमन के कारण उत्पन्न विनियामक कमियों तथा अंतरपणन पर ध्यान दिया जा सके सी) सरल और सुगम विनियमन ताकि एनबीएफसी के बीच सहज अनुपालन की प्रकृति विकसित की जा सके तथा डी) अभिशासन मानकों को और मजबूत बनाया जाये । 3. इस कार्य को करने हेतु, एनबीएफसी क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर गठित कार्य समिति (अध्यक्ष श्रीमती उषा थोराट) तथा लघु उद्योग तथा अल्प आय वाले घरों के लिए व्यापक वित्तीय सेवाएं पर गठित समिति (श्री नचिकेत मोर) द्वारा की गयी कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशों को इसमें शामिल किया गया है। विनियामक संरचना में अब किये गये परिवर्तन का ब्योरा निम्नलिखित है। 4. अपेक्षित न्यूनतम एनओएफ रू 200 लाख 4.1 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झक के अनुसार एनबीएफसी से अपेक्षित है कि एनबीएफसी कारोबार प्रारंभ करने / जारी रखने के लिए बैंक से पंजीकरण प्रमाण पत्र (सीओआर) प्राप्त करें । इस धारा में अपेक्षित न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि (एनओएफ) भी निर्धारित की गयी है। 21 अप्रैल 1999 की अधिसूचना गैबैंपवि.132/सीजीएम (वीएसएनएम) – 99 के अनुसार एनबीएफसी का कारोबार प्रारंभ करने के लिए पंजीकरण प्रमाण पत्र मंजूरी हेतु आवेदन करने वाली नई कंपनियों के लिए न्यूनतम ₹ 200 लाख एनओएफ निर्धारित किया गया है। यद्यपि वर्तमान में अपेक्षित न्यूनतम एनओएफ ₹ 200 लाख है, 21 अप्रैल 1999 से पूर्व मौजूद कंपनियों के लिए न्यूनतम एनओएफ ₹ 25 लाख बरकरार रखा गया । वित्तीय क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने तथा तकनीक को अपनाने की आवश्यकता और एनबीएफसी द्वारा प्रस्तावित सेवाओं की विविधताओं में बढोत्तरी के आलोक में, सभी एनबीएफसी द्वारा मार्च 2017 के अंत तक ₹ 200 लाख न्यूनतम एनओएफ निम्नलिखित रोडमैप में प्राप्त करना अनिवार्य होगा
4.2 ऐसी एनबीएफसी जिनका वर्तमान में एनओएफ ₹ 200 लाख से कम है, उन्हें उक्त दोनों वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर सांविधिक लेखा परीक्षकों से संशोधित स्तर की प्राप्ति के संबंध में अभिप्रमाणित अनुपालन प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा। 4.3 निर्धारित समय सीमा के अंदर विनिर्दिष्ट उच्चतम सीमा नहीं प्राप्त कर पाने वाली एनबीएफसी, एनबीएफसी के रूप में पंजीकरण प्रमाण पत्र धारण करने के योग्य नहीं होंगी। ऐसी एनबीएफसी के विरूद्ध पंजीकरण प्रमाण पत्र को निरस्त करने की कार्रवाई बैंक द्वारा प्रारंभ की जाएगी। 5. जमाराशि स्वीकार करना 5.1 मौजूदा एनबीएफसी सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार करना (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के अनुसार, ₹ 25 लाख अथवा उससे अधिक एनओएफ रखने वाली बगैर रेटिंग वाली परिसंपत्ति वित्त कंपनी (एएफसी) जो सभी विवेकपूर्ण मानदंडों का अनुपालन करती हो और न्यूनतम 15 प्रतिशत पूंजी पर्याप्तता अनुपात बनाए रखती हो, उन्हें अपनी एनओएफ का डेढ गुणा अथवा ₹ 10 करोड़ तक जो भी कम हो, सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार करने अथवा नवीनीकरण करने की अनुमति है। रेटिंग प्राप्त एएफसी जो विवेकपूर्ण विनियमनों का अनुपालन करती है उन्हें अपने एनओएफ का चार गुणा तक जमाराशि स्वीकार करने की अनुमति है। 5.2 जमाराशि स्वीकार करने वाली सभी एनबीएफसी (एनबीएफसी-डी) के बीच जमाराशि स्वीकृति विनियमन को समरूप बनाने के लिए तथा सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार करना केवल क्रेडिट रेटिंग प्राप्त एनबीएफसी-डी तक सीमित करने हेतु, मौजूदा बगैर रेटिंग वाली एएफसी को 31 मार्च 2016 तक रेटिंग प्राप्त करनी होगी। जिन एएफसी को 31 मार्च 2016 तक निवेश स्तर रेटिंग प्राप्त नहीं होगी, उन्हें उसके बाद मौजूदा जमाराशि का नवीनीकरण अथवा नई जमाराशि स्वीकार करने की अनुमति नहीं होगी। 31 मार्च 2016 तक की मध्यावधी में, बगैर रेटिंग वाली अथवा उप –निवेश ग्रेड रेटिंग वाली एएफसी केवल मौजूदा जमाराशियों की परिपक्वता पर नवीनीकरण कर सकती है तथा जब तक वे इंवेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग प्राप्त नहीं कर लेती तब तक उन्हें नई जमाराशि स्वीकार करने की अनुमति नहीं होगी। 5.3 पूरे सेक्टर में जमाराशि स्वीकार करने के सीमा को समरूप बनाने के लिये, यह निर्णय लिया गया है कि, रेटिंग प्राप्त एएफसी की जमाराशि स्वीकार करने की सीमा को इस परिपत्र की तारीख से एनओएफ का 4 गुणा से कम करके 1.5 गुणा कर दिया गया है। जबकि संशोधित सीमा से अधिक जमाराशि धारण करने वाली एएफसी को नई जमाराशि स्वीकार करने अथवा मौजूदा जमाराशि की नवीनीकरण की अनुमति तब तक नहीं होगी जब तक वे अपनी जमाराशि के स्तर को नई सीमा तक लेकर नहीं आती, उन्हें मौजूदा जमाराशि को परिपक्वता तक रखने की अनुमति है। यहां यह आवश्यक रूप से उल्लेख किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के समक्ष उपलब्ध डाटा यह दर्शाता है कि, अधिकतर एएफसी पहले से ही संशोधित नियमों का अनुपालन कर रही है तथा बहुत कम एनबीएफसी द्वारा अपने एनओएफ का 1.5 गुणा से अधिक जमाराशि स्वीकार किया गया है। तथा ऐसे मामलों में जहां जमाराशि सीमा से अधिक स्वीकार किया गया है वहां यह अधिक नहीं है अत: यह अपेक्षा की जाती है, कि यह समरूप उपाय बाधाकारी नहीं होगा। 6. प्रणालीगत महत्व 6.1 वर्तमान में, विवेकपूर्ण मानदंडों को लागू करने के लिए एनबीएफसी को तीन समूह में वर्गीकृत किया गया है जैसे, एनबीएफसी-डी, ₹ 100 करोड़ से कम परिसंपत्ति आकार वाली जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली एनबीएफसी तथा ₹ 100 करोड़ तथा उससे अधिक परिसंपत्ति आकार वाली एनबीएफसी-एनडी-एसआई, (12 दिसम्बर 2006 का परिपत्र गैबैंपवि.नीप्र/कंपरि.सं.86/03.02.089/2006-07 द्वारा जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली प्रणालीगत महत्वपूर्ण एनबीएफसी में वर्गीकृत)। वर्तमान विवेकपूर्ण मानदंड मुख्यत: निम्नलिखित पहलूओं को सम्मिलित करता है: ए) आय निर्णाधरण से संबंधित नियम, परिसंपत्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण नियम; बी) जोखिम भारित परिसंपत्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर); तथा सी) ऋण संकेद्रण नियम [ नियम बी) और सी) केवल एनबीएफसी-डी और एनबीएफसी-एनडी-एसआई पर लागू है] 6.2 एनबीएफसी-एनडी के लिए प्रणालीगत महत्व को परिभाषित करने की सीमा रेखा (थ्रेशोल्ड) को एनबीएफसी क्षेत्र में समग्र वृद्धि के आलोक में संशोधित किया गया है। अब से, ₹ 500 करोड़ तथा उससे अधिक परिसंपत्ति, पिछला लेखापरिक्षीत तुलन पत्र के अनुसार, आकार वाली एनबीएफसी-एनडी को एनबीएफसी-एनडी-एसआई माना जाएगा। 6.3 प्रणालीगत महत्वपूर्ण की सीमा रेखा में संशोधन से एनबीएफसी-एनडी निम्नलिखित दो व्यापक श्रेणी में वर्गीकृत होंगे, यथा i. एनबीएफसी-एनडी (₹ 500 करोड़ से कम परिसंपत्ति आकार वाली) तथा 7. विविध एनबीएफसी 7.1 एनबीएफसी जो एक कॉर्पोरेट समूह का हिस्सा हैं अथवा जिसे प्रमोटरों के एक सामान्य वर्ग द्वारा जारी किया गया हैं, उसे एकल स्वरूप में नहीं देखा जाएगा। एक समूह में सभी एनबीएफसी, जमा लेने वाली एनबीएफसी सहित, यदि कोई हो, की कुल संपत्ति को यह निर्धारित करने के लिए एकत्रित किया जाएगा कि क्या इस तरह का समेकन उपर्युक्त पैरा 6.3 में विनिर्दिष्ट दो श्रेणियों के परिसंपत्ति आकार के भीतर आता है। इन दो श्रेणियों पर लागू विनियमन समूह के भीतर प्रत्येक एनबीएफसी-एनडी पर लागू होगा। इस प्रयोजन के लिए, सांविधिक लेखा परीक्षक को समूह के सभी एनबीएफसी के परिसंपत्ति आकार प्रमाणित करना आवश्यक होगा। लेकिन, समूह के भीतर एनबीएफसी-डी, यदि कोई हो, को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनिया सार्वजनिक जमा की स्वीकृति (रिजर्व बैंक) दिशानिर्देश 1998, गैर-बैंकिंग वित्तीय (जमा स्वीकारक या धारक) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2007 और अन्य लागू दिशा-निर्देश के तहत विनियमित किया जाएगा। 7.2 शब्द "समूह" की परिभाषा लेखा मानक के अनुसार ही निर्धारित किया जाएगा। "समूह में कंपनियों", का अर्थ निम्नलिखित संबंधों में से किसी भी माध्यम से एक दूसरे से जुड़े दो या दो से अधिक संस्थाओं की व्यवस्था से होगा: • सहायक – पेरेंट (एएस 21 के संदर्भ में परिभाषित), 8. विवेकपूर्ण मानदंड 8.1 विवेकपूर्ण विनियमन के मुख्य उद्देश्यों में से एक, प्रणालीगत जोखिम को संबोधित करना है। अपनी स्वयं की निधि से कार्य करने और सार्वजनिक निधि जमा करने वाली एनबीएफसी से उत्पन्न प्रणालीगत जोखिम को समरूप नहीं माना जा सकता है और इसलिए इन्हें एक ही स्तर के विनियमन के अधीन नहीं रखा जा सकता। इसलिए, एक सिद्धांत के रूप में, सार्वजनिक निधि स्वीकार कर रही एनबीएफसी पर परिष्कृत विवेकपूर्ण नियमों को लागू किया जाएगा और जहाँ भी ग्राहक अंतरापृष्ठ शामिल है वहाँ व्यापार नियम आचरण को लागू किया जाएगा । 8.2 उपरोक्त सिद्धांतों के अनुरूप, ₹ 500 करोड़ से कम की परिसंपत्ति के आकार की एनबीएफसी-एनडी के संबंध में, नियामक दृष्टिकोण निम्नानुसार होगा: (i) यदि वे किसी भी सार्वजनिक निधि जमा नहीं कर रहीं हैं और ग्राहक अंतरापृष्ठ नहीं रखती है, तो उन्हें विवेकपूर्ण नियमों या व्यापार के आचरण के विनियमन अर्थात उचित आचरण संहिता, केवाईसी आदि के अधीन नहीं किया जाएगा। (ii) जिनका ग्राहक अंतरापृष्ठ है और सार्वजनिक निधि जमा नहीं कर रहीं हैं, वे केवल व्यापार के आचरण के विनियमन अर्थात उचित आचरण संहिता, केवाईसी आदि के अधीन होगीं । (iii) जो सार्वजनिक निधि स्वीकार कर रही है लेकिन कोई ग्राहक अंतरापृष्ठ नहीं है, उन्हें सीमित विवेकपूर्ण नियमों के अधीन रखा जाएगा, किन्तु व्यापार नियमों का आचरण लागू नहीं किया जाएगा। (iv) जहां सार्वजनिक निधि स्वीकार करना और ग्राहक अंतरापृष्ठ दोनों मौजूद है, ऐसी कंपनियों को सीमित विवेकपूर्ण नियमों और व्यापार के संचालन नियमों दोनों के अधीन रखा जाएगा। (v) एनबीएफसी यद्यपि वह किसी भी श्रेणी में हो, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45 झक के तहत पंजीकरण अनिवार्य होगा। (vi) उपरोक्त सभी को एक सरलीकृत रिपोर्टिंग प्रणाली के अधीन भी रखा जाएगा जिसके बारे में अलग से सूचित किया जाएगा। 8.3 ₹ 500 करोड़ और उससे अधिक परिसंपत्ति आकार वाली सभी एनबीएफसी-एनडी यद्यपि वह सार्वजनिक निधि जमा करती हो अथवा नहीं, उन्हे एनबीएफसी-एनडी-एसआई पर लागू विवेकपूर्ण नियमों का पालन करना होगा। यदि ग्राहक अंतरापृष्ठ मौजूद है, तो उन्हे व्यापार आचरण नियमों का भी पालन करना होगा। नोट: इस परिपत्र के प्रयोजन के लिए, ‘सार्वजनिक निधि (पब्लिक फंड)’ में, सीधे या परोक्ष रूप से सार्वजनिक जमा, वाणिज्यिक पत्र, डिबेंचर, अंतर-कंपनी जमा और बैंक वित्त शामिल है, किंतु जारी करने की तारीख से 5 वर्षों तक की समयावधि के अंदर अनिवार्य रूप से इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय लिखतों को जारी कर जुटाई गई निधि इसमें शामिल नहीं है। 500 करोड़ से कम परिसंपत्ति वाली एनबीएफसी- एनडी पर लागू विवेकपूर्ण विनियमन 8.4 'प्रणालीगत महत्व' को पुनर्परिभाषित करने के फलस्वरूप ₹ 500 करोड़ से कम की संपत्ति के आकार की एनबीएफसी-एनडी को सीआरएआर बनाए रखने और ऋण संकेन्द्रण नियम के अनुपालन की आवश्यकता से छूट है। 8.5 ऐसे सभी एनबीएफसी-एनडी के पूंजी के साथ उनकी परिसंपत्ति विकास को जोड़ने के लिए, 7 का लीवरेज अनुपात प्रारम्भ किया जा रहा है। इस प्रयोजन के लिए, लीवरेज अनुपात को कुल बाहरी देयताएँ / स्वाधिकृत निधियों के रूप में परिभाषित किया गया है। एनबीएफसी-एनडी-एसआई (500 करोड़ से अधिक परिसंपत्ति वाली) तथा सभी एनबीएफसी-डी पर लागू विवेकपूर्ण विनियमन टीयर 1 पूंजी 8.6 वर्तमान में, सभी एनबीएफसी-डी और 100 करोड़ रुपये तथा उससे अधिक परिसंपत्ति के आकार वाली एनबीएफसी-एनडी को 15% की न्यूनतम सीआरएआर रखना आवश्यक हैं। तथापि, टीयर 1 पूंजी 7.5% से कम नहीं हो सकती है। इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (IFCs) के लिए, टीयर 1 पूंजी 10% से कम नहीं हो सकती है। तथापि, सोने के आभूषण के प्रति ऋण देने का मुख्य कारोबार करने वाली एनबीएफसी को प्रभावी 1 अप्रैल 2014 से 12% न्यूनतम टीयर 1 पूंजी बनाए रखना आवश्यक है। 8.7 एनबीएफसी के कारोबार की गतिविधियों को देखते हुए, जो आम तौर पर 'आला (निच)' प्रकृति की है, इस तरह के कारोबार के साथ जुड़े संकेन्द्रण जोखिम और प्रणालीगत महत्व की परिभाषा में बदलाव के कारण ₹ 500 करोड़ तथा उससे अधिक परिसंपत्ति आकार वाली सभी एनबीएफसी-एनडी और सभी एनबीएफसी-डी को न्यूनतम 10% टीयर 1 पूंजी रखना होगा। संशोधित टीयर 1 पूंजी का अनुपालन निम्नानुसार चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा:
परिसंपत्ति वर्गीकरण 8.8 वर्तमान में, ऋण छ: माह या उससे अधिक और किराया पट्टा तथा किराया खरीद किशतें बारह माह और उससे अधिक समय तक अतिदेय होती है, तब उस आस्ति को गैर-निष्पादित आस्ति के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जबकि बैंकों के लिए यह समय 90 दिन है। सामन्जस्य के हित में, एनबीएफसी-एनडी-एसआई और एनबीएफसी-डी के लिए परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों को निम्नानुसार चरणबद्ध तरीके से बैंकों के समान बनाया जा रहा है। 8.9 किराया पट्टा और किराया खरीद परिसंपत्ति; एनपीए बन जाएगी : i. यदि वे 31 मार्च 2016 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए 9 महीने (वर्तमान में 12 महीने) के लिए अतिदेय हो जाते हैं; 8.10 किराया पट्टा और किराया खरीद परिसंपत्ति के अलावा अन्य परिसंपत्ति एनपीए बन जाएगी : i. यदि वे 31 मार्च 2016 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए 5 महीने के लिए अतिदेय हो जाते हैं; 8.11 सभी ऋण और किराया-खरीद और पट्टा परिसंपत्ति के लिए अवमानक परिसंपत्ति का मतलब होगा : i. ऐसी परिसंपत्ति जिसे 31 मार्च 2016 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए अधिकतम 16 माह (वर्तमान में 18 माह) की अवधि के लिए एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया हो; 8.12 सभी ऋण और किराया-खरीद और पट्टा परिसंपत्ति के लिए संदिग्ध परिसंपत्ति का मतलब होगा: i. एक परिसंपत्ति जो 31 मार्च 2016 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए 16 महीने (वर्तमान में 18 महीने) से अधिक अवधि के लिए अवमानक बनी हुई है; 8.13 तथापि, मौजूदा ऋण के लिए, एक बार चुकौती अनुसूची का समायोजन, जो पुनर्गठन नहीं होगा, की अनुमति है । मानक परिसंपत्ति के लिए प्रावधानीकरण 8.14 वर्तमान में, प्रत्येक एनबीएफसी को बकाया मानक परिसंपत्ति का 0.25% प्रावधान करना आवश्यक है। उसकी समीक्षा कर, एनबीएफसी-एनडी-एसआई और सभी एनबीएफसी-डी के लिए मानक परिसंपत्ति के लिए प्रावधान को बढाकर 0.40% कर दिया गया है । संशोधित नियम का अनुपालन निम्नानुसार चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा:
एएफ़सी के लिए क्रेडिट / निवेश संकेद्रण मानदंड 8.15 एनबीएफसी क्षेत्र के अंतर्गत नियमों में सामन्जस्य लाने के व्यापक उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में, एएफ़सी के लिए क्रेडिट संकेन्द्रण मानदंडों को अब अन्य एनबीएफसी के साथ समत्व में लाया जा रहा है। यह पहले से ही मंजूर ऋणों को छोड़कर सभी नए ऋणों के लिए तत्काल प्रभाव से लागू होगा। सभी मौजूदा अतिरिक्त एक्सपोजर को परिपक्वता होने तक रखने की अनुमति दी जाएगी। 9. एनबीएफसी के लिए कार्पोरेट गवर्नेंस और प्रकटीकरण मानदंड 9.1 बेहतर कॉर्पोरेट गवर्नेंस व्यवहार को अपनाने की जरूरत अनवरत नियामक और हितधारक (स्टेकधारक) का ध्यान आकर्षित करती है। इस संबंध में कार्पोरेट गवर्नेंस पर पिछले परिपत्रों 12 दिसम्बर 2005 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं. 61/02.82/2005-06, 08 मई 2007 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं. 94/03.10.042/2006-07 और 11 जुलाई 2007 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.104/03.10.042/2007-08 के अनुक्रम में, कार्पोरेट गवर्नेंस के दिशा निर्देशों में निम्नानुसार संशोधन किया जाता है। 9.2 उल्लिखित परिपत्रों के अनुसार, 20 करोड़ रुपये और उससे अधिक जमा राशि वाली एनबीएफसी-डी और ₹ 50 करोड़ और अधिक परिसंपत्ति आकार वाली एनबीएफसी-एनडी को एक लेखा परीक्षा समिति का गठन करना आवश्यक हैं; ₹ 20 करोड़ और अधिक जमा वाली एनबीएफसी-डी और ₹ 100 करोड़ की परिसंपत्ति आकार वाली एनबीएफसी-एनडी को, नामांकन समिति जो प्रस्तावित /मौजूदा निदेशकों के 'उचित और पर्याप्त’ (फिट एंड प्रॉपर) श्रेणी सुनिश्चित करे और जोखिम प्रबंधन समिति का गठन करने पर विचार करने को कहा गया है। इसके अलावा, ₹ 50 करोड़ और अधिक जमा राशि वाली एनबीएफसी-डी को सूचित किया गया था कि यह वांछनीय है कि वे कंपनी लेखा परीक्षा के लिए नियुक्त लेखा फर्मों के भागीदारों का प्रत्येक तीन वर्ष में आवर्तन (रोटेशन) करें । बोर्ड समितियां 9.3 सामन्जस्य लाने के लिए, बोर्ड की तीन समितियों के गठन और भागीदारों के आवर्तन (रोटेशन) के संबंध में निर्देश को सभी एनबीएफसी-एनडी-एसआई और सभी एनबीएफसी-डी पर लागू कर दिया गया है। अन्य सभी एनबीएफसी को इस तरह की प्रक्रिया के अनुसरण के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, यदि उनके द्वारा पहले से इसका पालन किया जा रहा है। 9.4 इसके अलावा, सभी एनबीएफसी-एनडी-एसआई और सभी एनबीएफसी-डी की लेखा परीक्षा समिति यह सुनिश्चित करे कि कंपनी अपने परिचालनगत जोखिम का आकलन करने के लिए, आंतरिक प्रणालियों और प्रक्रियाओं का सूचना प्रणाली लेखापरीक्षण दो साल में कम से कम एक बार कराये । निदेशकों के लिए उचित और पर्याप्त मानदंड 9.5 वित्तीय क्षेत्र में एनबीएफसी के बढ़ते एकीकरण और उनके बढ़ते प्रणालीगत महत्व के साथ यह महत्वपूर्ण हो गया है कि कंपनियों के संचालन के लिए जिम्मेदार निदेशक और शेयरधारक योग्य होने के अलावा, उचित और पर्याप्त भी हो । इसे देखते हुए प्रभावी 31 मार्च 2015 से निम्न अतिरिक्त आवश्यकताएं सभी एनबीएफसी-डी और सभी एनबीएफसी-एनडी -एसआई पर लागू होगी। i. एनबीएफसी यह सुनिश्चित करें कि निदेशकों की नियुक्ति के समय में एक सतत आधार पर उचित और पर्याप्त मापदंड का पता लगाने के लिए उपयुक्त नीति अपनाई गई हो। उचित और पर्याप्त मापदंड पर नीति अनुबंध 1 में निहित दिशा निर्देशों की आधार पर होना चाहिए। वित्तीय विवरणी में प्रकटीकरण - नोट्स टू अकाउंट 9.6 29 मार्च 2003 का परिपत्र गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.25/02.02/2002-03 तथा 01 अगस्त 2008 का परिपत्र गैबैंपवि (नीप्र)कंपरि.सं.125/03.05.002/2008-09 के तहत ध्यान आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार ₹ 100 करोड़ और उससे अधिक की परिसंपत्ति आकार वाली एनबीएफसी को 31 मार्च 2009 को समाप्त वर्ष से अपने तुलन पत्र में क्रमशः सीआरएआर, अचल संपत्ती क्षेत्र (प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों) से संबंधित जोखिम (एक्सपोजर) और परिसंपत्तियों और देनदारियों की परिपक्वता पैटर्न के संबंध में अतिरिक्त प्रकटीकरण करना होगा। उक्त प्रकटीकरण अब एनबीएफसी-एनडी-एसआई (यथा पुन:परिभाषित) तथा सभी एनबीएफसी-डी पर लागू होगा। तथापि अन्य एनबीएफसी जो पहले से ही उक्त प्रकटीकरण कर रही है उन्हें विवेकपूर्ण व्यवहार के तहत इसे जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। 9.7 तथापि मौजूदा प्रकटीकरण व्यापकता से काफी दूर है। बाजार के प्रति सूचना बढ़ाने और हितधारक (स्टेकहोल्डर) का विश्वास बनाए रखने के लिए और अधिक पारदर्शिता की आवश्यक हैं। अत: यह निर्णय लिया गया है कि उक्त प्रकटीकरण के अलावा, सभी एनबीएफसी-एनडी -एसआई (यथा पुन: परिभाषित) और सभी एनबीएफसी-डी को, प्रभावी 31 मार्च 2015 से, अपने वार्षिक वित्तीय ब्योरों में निम्नलिखित अतिरिक्त प्रकटीकरण करना होगा: i. अन्य वित्तीय क्षेत्र के नियामकों से प्राप्त पंजीकरण / लाइसेंस / प्राधिकार; 10 परोक्ष रिपोर्टिंग संशोधित नियमों के आलोक में, ₹ 500 करोड़ से कम संपत्ति वाली एनबीएफसी-एनडी, जिनमें इंवेस्टमेंट कंपनियाँ शामिल है, को केवल एक सरलीकृत वार्षिक विवरणी प्रस्तुत करना होगा, जिसका ब्योरा अलग से सूचित किया जाएगा। उस समय तक, वे मौजूदा विवरणी की प्रस्तुति जारी रखें। एनबीएफसी -एनडी-एसआई (यथा पुनःपरिभाषित) और एनबीएफसी-डी, मौजूदा विवरणियों की प्रस्तुति जारी रखें। 11 छूट 11.1 वित्तीय संकट की जल्द पहचान, समाधान के लिए उठाये गए त्वरित कदम और उधारदाताओं के लिए उचित वसूली : अर्थव्यवस्था में दबावग्रस्त परिसंपत्ति पुनः सशक्त करने के लिए संरचना पर 21 मार्च 2014 का परिपत्र में 'अधिसूचित एनबीएफसी' को अब से इस प्रकार परिभाषित किया जाएगा ए) 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक परिसंपत्ति रखने वाली एनबीएफसी, बी) एनबीएफसी-डी, और सी) सभी एनबीएफसी-फैक्टर्स । 11.2 इस परिपत्र के माध्यम से किया गया संशोधन एनबीएफसी-एमएफआइ पर भी लागू होंगें, सिवाय वे प्रावधान जो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी माइक्रो फाइनेंस संस्थाए (रिजर्व बैंक) निदेश, 2011, के प्रावधानों के विपरीत हैं । 11.3 मुख्य रूप से सोने के आभूषण के प्रति ऋण देने के कारोबार में संलिप्त एनबीएफसी के लिए न्यूनतम टीयर 1 पूंजी की आवश्यकता वर्तमान में अपरिवर्तित रहेगी। सामन्जस्य के लिए इसकी समीक्षा बाद में की जाएगी। 11.4 उक्त संशोधन पंजीकृत कोर निवेश कंपनी पर भी लागू होंगें, सिवाय वे प्रावधान जो कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) दिशानिदेश, 2011 के प्रावधानों के विपरीत हैं । अन्य कानूनों का लागू होना वर्जित नहीं है। 12. इन निर्देशों के प्रावधान किसी भी अन्य प्रभावी कानून, नियम, विनियम या निर्देशों के प्रावधानों की अवमानना में न होकर अतिरिक्त होंगे। 13 भारतीय रिजर्व बैंक, किसी भी कठिनाई को दूर करने के लिए या किसी अन्य न्यायपूर्ण और पर्याप्त कारण होने पर, किसी एनबीएफसी या एनबीएफसी के वर्ग को आम तौर पर या किसी विनिर्दिष्ट अवधि के लिए इन निर्देशों के सभी या किसी भी प्रावधानों से, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगाई गई शर्तों के अधीन, छूट दे सकता है। 14 इस संबंध में अधिसूचना जारी की जा रही है। भवदीया, (ए मंगलागिरि) |