RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

109115097

मास्टर निदेश - जोखिम प्रबंध तथा अंतर-बैंक लेनदेन (03 मई, 2024 तक अद्यतित)

इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:

  • 2024-05-03
  • 2023-06-06
  • 2020-09-01
  • 2020-06-01
  • 2020-01-07
  • 2018-04-02
  • 2018-02-28
  • 2017-11-09
  • 2017-10-13
  • 2017-03-21
  • 2017-02-02
  • 2016-07-05

आरबीआई/एफएमआरडी/2016-17/31
एफएमआरडी मास्टर निदेश संख्या.1/2016-17

5 जुलाई, 2016
(03 मई, 2024 तक अद्यतित)
(06 जून, 2023 तक अद्यतित)
(01 सितंबर, 2020 तक अद्यतित)
(01 जून, 2020 तक अद्यतित)
(07 जनवरी, 2020 तक अद्यतित)
(02 अप्रैल, 2018 को तक अद्यतित)
(28 फरवरी, 2018 तक अद्यतित (संशोधित))
(09 नवंबर, 2017 तक अद्यतित)
(13 अक्टूबर, 2017 तक अद्यतित)
(21 मार्च, 2017 तक अद्यतित)
(02 फरवरी, 2017 तक अद्यतित)

सभी प्राधिकृत व्यक्ति

महोदया/ महोदय,

मास्टर निदेश - जोखिम प्रबंध तथा अंतर-बैंक लेनदेन

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 47 की उपधारा (2) के खंड (एच) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, रिज़र्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदा) विनियम, 2000 दिनांक 3 मई, 2000 के अधिसूचना संख्या फेमा 25/आरबी-2000 तथा इसके पश्चात हुए संशोधनों के माध्यम से भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने हेतु विनियम तैयार किए हैं। अधिसूचना सं. फेमा 1/2000-आरबी, अधिसूचना सं. फेमा 3/आरबी-2000 के विनियम 4(2) और उसके पश्चात हुए संशोधनों के प्रावधानों की ओर भी ध्यान आकर्षित  किया जाता है। उपर्युक्त सभी, विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदाओं, समुद्रपारीय कमोडिटी एवं मालभाड़ा हेजिंग, अनिवासी बैंकों के रुपया खातों और अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा लेनदेन आदि को अभिशासित करते हैं।  विनियामक ढांचे में परिवर्तनों को शामिल करने हेतु इन विनियमों में समय-समय पर संशोधन किया जाता है और संशोधन अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित किया जाता है।

2. विनियमों की रूपरेखा के अंतर्गत, रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 11 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है।  इन निदेशों में इस बात के तौर-तरीके निर्धारित किए गए हैं कि प्राधिकृत व्यक्तियों के द्वारा, इन विनियमों को कार्यान्वित करने की दृष्टि से, अपने ग्राहकों/घटकों के साथ विदेशी मुद्रा व्यवसाय किस प्रकार संचालित किया जाना है। इसके अलावा, भारतीय रिज़र्व बैंक, सार्वजनिक हित में और/या  देश की वित्तीय प्रणाली को उसके लाभ के लिए विनियमित करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डबल्यू के तहत विदेशी मुद्रा लेनदेन करने वाली एजेंसियों को निदेश जारी करता है।

3. विदेशी मुद्रा व्युत्पन्नी संविदाओं, समुद्रपारीय कमोडिटी एवं मालभाड़ा हेजिंग, अनिवासी बैंकों के रुपया खातों और अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा लेनदेन आदि के संबंध में जारी अनुदेशों का संकलन इस मास्टर निदेश में  किया गया है। इस मास्टर निदेश का आधार बनने वाली अंतर्निहित अधिसूचनाओं/परिपत्रों की सूची परिशिष्ट-I में दी गई है। 

4. यह उल्लेखनीय है कि, जब कभी आवश्यक हो, रिज़र्व बैंक विनियमों में किसी भी बदलाव या अपने ग्राहकों / घटकों के साथ प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा किए जाने वाले सापेक्ष लेनदेन के तरीके के संबंध में ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्रों के माध्यम से प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करेगा। यहां जारी मास्टर निदेश में उपयुक्त संशोधन साथ ही किया जाएगा।

5. प्राधिकृत व्यक्तियों का तात्पर्य फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक और प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-III के रूप में प्राधिकृत एकल आधार प्राथमिक व्यापारी और एक्सचेंज ट्रेडेड मुद्रा व्युत्पन्नी संविदाओं के प्रयोजन  के लिए,  मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज और मान्यता प्राप्त क्लियरिंग कॉर्पोरेशन होगा।

भवदीया,

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?