बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) - क्रियाविधि को सरल बनाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) - क्रियाविधि को सरल बनाना
भारिबैंक/2011-12/373 30 जनवरी 2012 सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया/विदेशी मुद्रा वॉस्ट्रो खाते प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । (प्रा.व्या. श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया/विदेशी मुद्रा वॉस्ट्रो खाते खोलने तथा बनाये रखने के लिए अनुदेशों के ज्ञापन से संबंधित 6 फरवरी 2008 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 28 [ (ए.पी. (एफएल/आरएल सीरीज़) परिपत्र सं. 02) ] के संलग्नक-। के पैराग्राफ सं. (ए) (1) और (ए) (3) (ix) तथा उसमें हुए अनुवर्ती संशोधनों की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया वॉस्ट्रो खाते खोलने तथा बनाये रखने के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक है । 2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंकों को परिचालनात्मक अधिक स्वतंत्रता देने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि अनिवासी विनिमय गृहों के साथ बैंकों द्वारा की जानेवाली रुपया आहरण व्यवस्थाओं (आरडीएस) के तहत उनके भारत में प्रत्येक रुपया वॉस्ट्रो खाता खोलने तथा बनाये रखने के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की शर्त को हटाया जाए । तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक जब खाड़ी देशों, हाँग काँग, सिंगापुर तथा मलेशिया के अनिवासी विनिमय गृहों के साथ उपर्युक्त व्यवस्था पहली बार स्थापित करना चाहें तो रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त करें । उसके बाद, वे विनिर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अधीन रुपया आहरण व्यवस्थाएं (आरडीएस) स्थापित करें तथा रिज़र्व बैंक को तत्काल सूचित करें । 3. रुपया आहरण व्यवस्थाओं (आरडीएस) की कुल संख्या 20 पहुंचने पर, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक अपनी आंतरिक कार्यप्रणाली संतोषजनक रूप से कार्य करने की बात सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत बाह्य लेखा-परीक्षा करवाएं । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंकों का बोर्ड, संतोषजनक रिपोर्ट के आधार पर ऐसी और व्यवस्थाओं को प्राधिकृत कर सकते हैं । इस विषय में बोर्ड के संकल्प के साथ बोर्ड नोट की प्रति रिज़र्व बैंक के पास फाइल करें तथा नयी व्यवस्थाओं के बारे में पैराग्राफ 2 में दर्शाये गये अनुसार रिज़र्व बैंक को सूचित करें । 4. समय समय पर यथा संशोधित 6 फरवरी 2008 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 28 (ए.पी.(एफएल/आरएल सीरीज़)परिपत्र सं. 02) में निहित सभी अन्य अनुदेश यथावत बने रहेंगे । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें । 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (मीना हेमचंद्र) |