अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया / विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाते खोलने और उनके रखरखाव के लिए अनुदेशों का ज्ञापन - आरबीआई - Reserve Bank of India
अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया / विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाते खोलने और उनके रखरखाव के लिए अनुदेशों का ज्ञापन
भारिबैंक/2012-13/423 28 फरवरी 2013 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक महोदया/महोदय, अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया / विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाते खोलने और उनके रखरखाव के लिए अनुदेशों का ज्ञापन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंकों का ध्यान, उल्लिखित विषय पर समय-समय पर यथा संशोधित, 6 फरवरी 2008 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 28 [ए.पी.(एफएल/आरएल सीरीज़) परिपत्र सं. 02] की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. मौजूदा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीएएस) के तहत, भारत में सीमापार से आवक विप्रेषण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंकों द्वारा खाड़ी देशों, हांगकांग, सिंगापुर तथा मलेशिया (मलेशिया के लिए केवल स्पीड रेमिटेंस प्रोसिजर के तहत) में स्थित विनिमय गृहों के जरिये प्राप्त किए जाते हैं। उल्लिखित व्यवस्था की व्याप्ति कतिपय अन्य क्षेत्राधिकारों तक बढ़ाने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे सभी देशों में स्थित विनिमय गृहों को केवल स्पीड रेमिटेंस प्रोसिजर के तहत रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीएएस) की सुविधा प्रदान की जाए, जो एफएटीएफ का अनुपालन करते हैं/के अनुकूल हैं। 3. तदनुसार, उल्लिखित परिपत्र के संलग्नक - । के भाग (बी) अनुमत लेनदेनों के तहत मद सं. 7 और 8 को संशोधित किया गया है और उक्त संशोधित मदें निम्नवत पढ़ी जाएं:
4. समय-समय पर यथा संशोधित, 6 फरवरी 2008 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 28 [ए.पी.(एफएल/आरएल सीरीज़) परिपत्र सं. 02] के जरिये जारी सभी अन्य अनुदेश यथावत बने रहेंगे। 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत करायें। 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |