उत्तर दिनांकित चेक (पीडीसी) को अपनाना/ समीकृत मासिक किश्त (ईएमआई) चेक को इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा (ईसीएस) (डेबिट) के अंतर्गत लाया जाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
उत्तर दिनांकित चेक (पीडीसी) को अपनाना/ समीकृत मासिक किश्त (ईएमआई) चेक को इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा (ईसीएस) (डेबिट) के अंतर्गत लाया जाना
भारिबैं/2013-14/359 06 नवम्बर 2013 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदय, उत्तर दिनांकित चेक (पीडीसी) को अपनाना/ समीकृत मासिक किश्त (ईएमआई) चेक को इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा (ईसीएस) (डेबिट) के अंतर्गत लाया जाना कृपया 20 दिसम्बर 2012 का हमारे परिपत्र गैबैंपवि.नीप्र/कंपरि.सं.316/03.10.001/2012-13 का अवलोकन करें जिसमें सभी एनबीएफसी को सूचित किया गया था कि अपने ग्राहकों से ईएमआई भुगतान के लिए प्राप्त गैर सीटीएस 2010 मानक चेको का सीटीएस -2010 मानक का अनुवर्तन करने वाले चेकों से प्रतिस्थापना 31 मार्च 2013 तक सुनिश्चित करें। 2. कृपया हमारे भुगतान और निपटाह विभाग द्वारा जारी परिपत्र (16 जुलाई 2013 का परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.सीएचडी.नं. 133/04.07.05/2013-14) का भी संदर्भ ले जिसमें यह कहा गया है कि सीटीएस-2010 मानक का अनुवर्तन नहीं करने वाले चेकों को 1 जनवरी 2014 से स्वीकार तो किया जाएगा किंतु उनको समाशोधित कम निरंतर अंतराल में किया जाएगा (30 अप्रैल 2014 से सप्ताह में तीन बार तक, 31 अक्तूबर 2014 से सप्ताह में दो बार तक तथा 1 नवम्बर 2014 के बाद से सप्ताह में केवल एक बार तक समाशोधन किया जाएगा) 3. उक्त के आलोक में तथा गैर-सीटीएस 2010 चेकों के समारोधन में विलम्ब से बचने कए लिए, सभी एनबीएफसी को सूचित किया जाता है कि ए) केवल सीटीएस-2010 मानकों चेकों की स्वीकृति को अपनाया जाए। बी) ऐसे स्थानों पर जहां ईसीएस/आरईसी (डेबिट) की सुविधा उपलब्ध है वहां उत्तर दिनांकित चेक(पीडीसी)/ समीकृत मासिक किश्त(ईएमआई) चेक का ( नई सीटीएस-2010 अथवा पुराने प्रारूप दोनो स्थिति में) नई /अतिरिक्त चेक स्वीकार नहीं किया जाए। ऐसे स्थानों पर मौजूदा पीडीसी/ईएमआई चेकों को नया ईसीएस (डेबिट) आदेश पत्र लेते हुए ईसीएस/आरईसीएस में परिवर्तित किया जाए। इस कार्य को 31 दिसम्बर 2013 तक पूरा किया जाए। 4. भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 25 के अधीन उपलब्ध सुरक्षा को देखा जाए तो आदाता (लाभार्थी) को वही अधिकार और प्रतिकार उपलब्ध कराता है जो पराक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 के अंतर्गत अपर्याप्त निधि के कारण इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण की अवीकृति के लिए उपलब्ध है, अत: एनबीएफसी को ग्राहकों के ईसीएस(डेबिट) आदेश पत्र के अतिरिक्त, यदि कोई होतो, अतिरिक्त चेक लेने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे स्थान जहां ईसीएस/ आरईसीएस की सुविधा उपलब्ध नहीं है वहां सीटीएस-2010 मानक को पूरा करने वाला प्रारूप का चेक लिया जाए। 5. उक्त निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का अधिनियम 2) की धारा 45झक तथा 45ट के तहत जारी किया गया है। भवदीय (एन.एस.विश्वनाथन) |