आरबीआई/2013-14/141 डीपीएसएस.सीओ.सीएचडी.सं. /133/04.07.05/2013-14 16 जुलाई 2013 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / शहरी सहकारी बैंक/ राज्य सहकारी बैंक / जिला केंद्रीय सहकारी बैंक/ स्थानीय क्षेत्र के बैंक सहित सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदय/महोदया चेक फॉर्मों में सुरक्षा संबंधी विशेषताओं का संवर्धन और मानकीकरण / सीटीएस 2010 मानकों को अपनाना कृपया दिनांक 18 मार्च 2013 के हमारे परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.सीएचडी.सं. 1622/04.07.05/2012-13 में निहित निर्देशों को देखें जिसमें अवशिष्ट गैर –सीटीएस-2010 मानक चेकों को वापस लेने के लिए समय सीमा को बढ़ाकर 31 जुलाई 2013 कर दिया गया था और जून 2013 में इसकी समीक्षा की जानी थी। बैंकों को यह भी निर्देश दिये गए थे कि वे सीटीएस 2010 मानकों को अपनाने के संबंध में हुई प्रगति के बारे में हमें मासिक आधार पर सूचित करें। 2. इस दिशा में बैंकों द्वारा की गई प्रगति और स्थिति की समीक्षा करने पर यह पाया गया कि हालांकि, बैंकों ने नए सीटीएस 2010 मानक चेक जारी करना आरंभ कर दिया है किन्तु अभी भी छवि आधारित समाशोधन में काफी बड़ी मात्रा में गैर-सीटीएस 2010 मानक चेक प्रस्तुत किए जा रहे हैं। तदनुसार, अवशिष्ट गैर-सीटीएस 2010 मानक चेकों के समाशोधन के लिए निम्नलिखित व्यवस्था की गई है:
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दिनांक 1 जनवरी 2014 से तीन सीटीएस केन्द्रों (मुंबई, चेन्नई और नई दिल्ली) में इस तरह के अवशिष्ट गैर-सीटीएस 2010 लिखतों (पीडीसी और ईएमआई चेकों सहित) के लिए अलग समाशोधन सत्र आरंभ किए जाएंगे। आरंभ में पृथक समाशोधन सत्र 30 अप्रैल 2014 तक सप्ताह में तीन बार (सोमवार, बुधवार और शुक्रवार) चलाए जाएंगे। उसके पश्चात ऐसे पृथक समाशोधन सत्रों की संख्या को घटाकर 31 अक्तूबर 2014 तक सप्ताह में दो बार (सोमवार और शुक्रवार) कर दिया जाएगा और उसके पश्चात 1 नवंबर 2014 से सप्ताह में एक बार (प्रत्येक सोमवार) कर दिया जाएगा। यदि गैर-सीटीएस 2010 लिखतों के लिए निर्धारित दिन, परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 के अंतर्गत किसी अवकाश के दिन आता है तब ऐसी परिस्थितियों में प्रस्तुतीकरण सत्र पिछले कार्य दिवस में आयोजित किया जाएगा। इस संबंध में परिचालनात्मक दिशानिर्देश सीटीएस केन्द्रों द्वारा अलग से जारी किए जाएंगे।
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गैर-सीटीएस 2010 मानक लिखतों के लिए विशेष सत्र के आरंभ होने के पश्चात नियमित रूप से किए जा रहे सीटीएस समाशोधन में प्रस्तुत किए गए गैर-सीटीएस 2010 लिखतों को, यदि कोई हों को अदाकर्ता बैंक, कारण कोड “37-प्रेजेंट इन प्रोपर ज़ोन” के अंतर्गत वापस कर देंगे। इस तरह से वापस किए गए लिखतों को संग्रहणकर्ता बैंक द्वारा तुरंत ही अगले गैर-सीटीएस 2010 लिखतों के लिए विशिष्ट समाशोधन सत्र में, दिनांक 7 मई 2013 के आरबीआई परिपत्र सं. डीपीएसएस सीओ सीएचडी.सं. 2030/03.06.01/2012-2013 में निहित निर्देशों के अनुरूप पुन: प्रस्तुत करना होगा।
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बैंकों को अपने ग्राहकों को इस संबंध में जानकारी प्रदान करनी चाहिए कि, गैर-सीटीएस 2010 मानक लिखतों को समाशोधित करने के लिए प्रस्तावित व्यवस्था को देखते हुए इस प्रकार के लिखतों के समाशोधन में विलंब होगा। इस परिवर्तन को देखते हुए बैंकों को अपनी चेक संग्रहण नीति (सीसीपी) में भी संशोधन करना होगा। बैंकों को इस नई व्यवस्था के कारण उत्पन्न होने वाली शिकायतों, यदि कोई हों, के लिए यथोचित व्यवस्था करनी होगी।
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जब तक सीपीसी चल रहे हैं तब तक बैंक ऐसे गैर-सीटीएस 2010 लिखतों को एक्सप्रेस चेक समाशोधन प्रणाली (ईसीसीएस) केन्द्रों और एमआईसीआर सीपीसी में प्रस्तुत कर सकते हैं ।
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इस अवधि के दौरान (अर्थात 31 दिसंबर, 2013 तक) मौजूदा समाशोधन व्यवस्था जारी रहेगा और सभी चेक जारी करने वाले बैंकों को यह निर्देश दिया जाता है कि वे प्रचलन में गैर सीटीएस -2010 मानक चेक वापस लेने के लिए प्रयास करें।
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यह भी सूचित किया जाता है कि सभी समाशोधन सत्रों में तीन सीटीएस केन्द्रों में बैंकों द्वारा प्रस्तुत किए गए गैर सीटीएस -2010 लिखतों के संबंध में संसाधित लिखतों की मात्रा की भी निगरानी की जाएगी। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन करने वाले अदाकर्ता बैंकों (और प्रस्तुतकर्ता बैंक जहां आवश्यक हो) पर भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत दंड लगाने पर भी विचार किया जा सकता है।
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इस परिपत्र में संदर्भित हमारे दिनांक 18 मार्च 2013 के परिपत्र के पैराग्राफ 1 (क), 1(ख), 1(ग) में जारी किए गए अन्य सभी दिशानिर्देश अपरिवर्तित रहेंगे और बैंक इन निर्देशों का पालन करना जारी रखेंगे।
3. उपर्युक्त निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के तहत जारी किए जा रहे हैं। 4. कृपया इस परिपत्र की प्राप्ति की सूचना दें। भवदीय (विजय चुग) मुख्य महाप्रबंधक |