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धन अंतरण सेवा योजना – डाइरेक्ट टु अकाउंट (Direct to Account) सुविधा

भारिबैंक/2013-14/511
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 110

4 मार्च 2014

सभी प्राधिकृत व्यक्ति, जो धन अंतरण सेवा योजना के तहत भारतीय एजेंट हैं

महोदया/महोदय,

धन अंतरण सेवा योजना – डाइरेक्ट टु अकाउंट (Direct to Account) सुविधा

सभी प्राधिकृत व्यक्तियों, जो धन अंतरण सेवा योजना (MTTS) के तहत भारतीय एजेंट हैं, का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, धन अंतरण सेवा योजना- संशोधित दिशानिर्देश संबंधी 12 मार्च 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं॰ 89 के संलग्नक II - खण्ड I के पैरा 4.4 (ई) 'लाभार्थियों को भुगतान' की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. विदेशी आवक विप्रेषण लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे जमा होने की सुविधा प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि MTSS के तहत प्राप्त विदेशी आवक विप्रेषण को केवाईसी अनुपालक लाभार्थी के बैंक खाते में इलेक्ट्रॉनिक मोड जैसे- एनईएफटी, आईएमपी, आदि के मार्फत अंतरित करने की अनुमति दी जाए। इस के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन किया जाए।

MTSS के तहत भारतीय एजेंट के रूप में कार्यरत बैंक ('पार्टनर बैंक' के रूप में अभिहित) द्वारा प्राप्त विदेशी आवक विप्रेषणों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से लाभार्थी के खाते में भारतीय एजेंट बैंक से भिन्न किसी अन्य बैंक (`प्राप्तकर्ता बैंक’ के रूप में अभिहित) में रखे गए खाते में निम्नलिखित शर्तों के तहत सीधे जमा किया जा सकता है:

ए. प्राप्तकर्ता बैंक पार्टनर बैंक द्वारा अंतरित राशि को केवल केवाईसी अनुपालक बैंक खातों में ही जमा करेगा।

बी. जो खाते केवाईसी का अनुपालन नहीं करते हैं, ऐसे बैंक खाते में विप्रेषण जमा करने अथवा आहरण की अनुमति देने से पहले, प्राप्तकर्ता बैंक ऐसे खाताधारक/कों के संबंध में केवाईसी/सीडीडी की प्रक्रिया पूरी करेगा।

सी. यह इंगित करने के लिए कि खाते में सीधे जमा होने वाला विप्रेषण, एक विदेशी आवक विप्रेषण है, प्राप्तकर्ता बैंक के लिए पार्टनर बैंक विप्रेषण को उचित रूप में चिह्नित (मार्क) करेगा।

डी॰ पार्टनर बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि प्राप्तकर्ता बैंक को फंड अंतरित करते समय  प्रारंभकर्ता (originator) और लाभार्थी संबंधी सही जानकारी इलेक्ट्रॉनिक संदेश में शामिल हो। यह जानकारी अर्थात ओवरसीज प्रिंसिपल, पार्टनर बैंक और प्राप्तकर्ता बैंक भुगतान श्रृंखला के दौरान सभी विप्रेषण संदेशों में उपलब्ध होनी चाहिए। पार्टनर बैंक द्वारा इलेक्ट्रॉनिक संदेश में एक उचित चेतावनी शामिल की जानी चाहिए यथा "यह एक विदेशी आवक विप्रेषण है और इसे केवाईसी गैर-अनुपालित खाते तथा एनआरई/एनआरओ खाते में जमा न किया जाए"।

ई॰ प्राप्तकर्ता की पहचान और उससे संबंधित अन्य दस्तावेजों को धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियमावली, 2005 के प्रावधानों के अनुसार प्राप्तकर्ता बैंक द्वारा अनुरक्षित रखा जाएगा। MTSS के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय समय पर जारी केवाईसी / एएमएल / सीएफटी दिशानिर्देशों के तहत अन्य सभी अपेक्षाओं/नियमों का पालन पार्टनर बैंक द्वारा किया जाएगा।

एफ॰ प्राप्तकर्ता बैंक पार्टनर बैंक से अतिरिक्त जानकारी प्राप्त कर सकता है और जिस पार्टनर बैंक के माध्यम से विप्रेषण प्राप्त हुआ है उसके ब्योरे देते हुए वह संदिग्ध लेनदेनों को एफआईयू-आयएनडी को रिपोर्ट करेगा।

3. समय समय पर यथा संशोधित 12 मार्च 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं॰ 89 द्वारा जारी अन्य सभी अनुदेश अपरिवर्तित बने रहेंगे।

4. प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं ।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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