गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रो फाइनेंस संस्थान (एनबीएससी-एमएफआई)- 02 दिसम्बर 2011 का गैबैंपवि.नीप्र.सं.234/सीजीएम (यूएस)-2011 तथा 08 अप्रैल 2015 का गैबैंविवि.कंपरि.नीप्र.सं. 027/03.10.01/2014-15- समयावधि 24 माह से कम वाले ऋण की ऋण राशि में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रो फाइनेंस संस्थान (एनबीएससी-एमएफआई)- 02 दिसम्बर 2011 का गैबैंपवि.नीप्र.सं.234/सीजीएम (यूएस)-2011 तथा 08 अप्रैल 2015 का गैबैंविवि.कंपरि.नीप्र.सं. 027/03.10.01/2014-15- समयावधि 24 माह से कम वाले ऋण की ऋण राशि में संशोधन
भारिबैं/2015-16/250 नवम्बर 26, 2015 सभी महोदया/महोदय, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रो फाइनेंस संस्थान (एनबीएससी-एमएफआई)- 02 दिसम्बर 2011 का गैबैंपवि.नीप्र.सं.234/सीजीएम (यूएस)-2011 तथा 08 अप्रैल 2015 का गैबैंविवि.कंपरि.नीप्र.सं. 027/03.10.01/2014-15- समयावधि 24 माह से कम वाले ऋण की ऋण राशि में संशोधन उपर्युक्त विषय पर ‘सेक्टर’ से प्राप्त अभ्यावेदनों के आलोक में, यह सूचित किया जाता है कि ऐसे ऋण, जिसकी समयावधि 24 माह से कम नहीं हो, उस ऋण राशि की वर्तमान सीमा ₹ 15,000/- से बढाकर ₹ 30,000/- कर दी गयी है। अब तक की भांति ऋणों के समयपूर्व चुकौती पर अनिवार्यत: कोई दंड नहीं लिया जाएगा। 2. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रो फाइनेंस संस्थान (रिज़र्व बैंक) निदेश 2011, प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि नहीं स्वीकार अथवा धारण नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015 तथा गैर प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय (जमा राशि नहीं स्वीकार करने वाली अथवा धारण नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश 2015 को संशोधित करने वाली दिनांक नवम्बर 26, 2015, की अधिसूचनाएं इसके साथ संलग्न हैं। भवदीय, (सी.डी.श्रीनिवासन) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.गैबैंविवि. 033/मुमप्र(सीडीएस)-2015 नवम्बर 26, 2015 भारतीय रिजर्व बैंक (बैंक) , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए, बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रो फाइनेंस संस्थान (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2011 (02 दिसम्बर 2011 की अधिसूचना गैबैंपवि. नीप्र.सं. 234/सीजीएम(यूएस)-2011) (जिसे इसके बाद निदेश कहा जाएगा), को संशोधित करना आवश्यक है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम , 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञक और 45-ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है यथा- 1. उपर्युक्त निदेश के पैराग्राफ 3 में, उप पैराग्राफ (ii) के खंड (डी) को निम्नलिखित खंड से प्रतिस्थापित किया जाए, यथा,- “(डी) ₹ 30,000 तक की ऋण राशि के लिए ऋण समयावधि 24 माह से कम नहीं होनी चाहिए तथा समयपूर्व चुकौती पर कोई दंड भी नहीं लगाया जाए” (सी डी श्रीनिवासन) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.गैबैंविवि. 034/मुमप्र(सीडीएस)-2015 नवम्बर 26, 2015 भारतीय रिजर्व बैंक (बैंक) , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए, बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से गैर-प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि नहीं स्वीकार करने अथवा नहीं धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015 (27 मार्च 2015 की अधिसूचना सं. गैबैंविवि.008/मुमप्र (सीडीएस) 2015 (इसके बाद इसे निदेश कहा जाएगा) को संशोधित करना आवश्यक है. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञक और 45 ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है यथा- 1. उपर्युक्त निदेश के पैराग्राफ 2 में, उप पैराग्राफ (xiii) के खंड (बी) के प्रयोजन के लिए “अर्हक आस्तियां” की व्याख्या उप खंड iv में किया गया है उसे निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जाए- iv. ₹ 30,000 तक की ऋण राशि के लिए ऋण समयावधि 24 माह से कम नहीं होनी चाहिए तथा समयपूर्व चुकौती पर कोई दंड भी नहीं लगाया जाए” (सी डी श्रीनिवासन) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.गैबैंविवि.035 /मुमप्र(सीडीएस)-2015 नवम्बर 26, 2015 भारतीय रिजर्व बैंक (बैंक), जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए, बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि नहीं स्वीकार करने अथवा नहीं धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़ॅर्व बैंक) निदेश, 2015 (27 मार्च 2015 की अधिसूचना सं. गैबैंविवि.009/मुमप्र(सीडीएस)2015 (इसके बाद इसे निदेश कहा जाएगा) को संशोधित करना आवश्यक है. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञक और 45 ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है यथा- 1. उपर्युक्त निदेश के पैराग्राफ 2 में, उप पैराग्राफ (xiii) के खंड (ii) के प्रयोजन के लिए “अर्हक आस्तियां” की व्याख्या उप खंड iv में किया गया है उसे निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जाए- iv. ₹ 30,000 तक की ऋण राशि के लिए ऋण समयावधि 24 माह से कम नहीं होनी चाहिए तथा समयपूर्व चुकौती पर कोई दंड भी नहीं लगाया जाए” (सी डी श्रीनिवासन) |