मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा – अनर्जक परिसंपत्तियां (एनपीए) तथा आस्तियों की पुनर्रचना - आरबीआई - Reserve Bank of India
मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा – अनर्जक परिसंपत्तियां (एनपीए) तथा आस्तियों की पुनर्रचना
आरबीआई/2012-13/304 21 नवंबर 2012 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा – कृपया दिनांक 30 अक्तूबर 2012 को घोषित मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा के ‘अनर्जक परिसंपत्तियां (एनपीए) तथा अग्रिमों की पुनर्रचना’ पर पैरा 93 और 94 (उद्धरण संलग्न) देखेंl 2. ‘सहायक संघीय व्यवस्था/बहु बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत ऋण’ पर दिनांक 19 सितंबर 2008 के हमारे परिपत्र सं. बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 46/08.12.001/2008-09 के द्वारा बैंकों को सूचित किया गया था कि वे उधारकर्ताओं से उनके द्वारा दूसरे बैंकों से पहले ही ली जा चुकी ऋण सुविधाओं के बारे में घोषणा प्राप्त कर के अनेक बैंकों से क्रेडिट सुविधा लेने वाले उधारकर्ताओं के बारे में अपने सूचना भंडार को सशक्त कर लेंl बैंकों को यह भी सूचित किया गया था कि वे कम-से-कम तिमाही अंतराल पर निर्धारित फार्मेट में उधारकर्ताओं के खातों के परिचालन की स्थिति से संबंधित सूचना का अन्य बैंकों के साथ आदान-प्रदान करेंl उक्त परिपत्र में विनिर्दिष्ट फार्मेट भारतीय बैंक संघ से परामर्श करके निर्धारित किया गया थाl सहायक संघीय व्यवस्था/बहु बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत ऋण’ पर दिनांक 08 दिसंबर 2008 के हमारे परिपत्र सं. बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 94/08.12.001/2008-09 द्वारा बैंकों को आगे सूचित किया गया था कि सूचना के आदान-प्रदान में अन्य बातों के साथ-साथ उधारकर्ताओं के डेरिवेटिव लेनदेन तथा अरक्षित (अनहेज़्ड) विदेशी मुद्रा एक्सपोजर भी शामिल होने चाहिएl 3. यह पाया गया है कि कुछ समय से बैंकों की अनर्जक परिसंपत्तियां तथा पुनर्रचित ऋणों में महत्वपूर्ण वृद्धि होती जा रही हैl बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारण बैंकों द्वारा आपस में क्रेडिट, डेरिवेटिव तथा अरक्षित (अनहेज़्ड) करेंसी एक्सपोजरों से संबंधित सूचनाओं का प्रभावी आदान-प्रदान नहीं करना हैl इसके अलावा बैंकों के बीच प्रभावी और सामयिक सूचना का आदान-प्रदान न होने से धोखाधड़ी भी घटित हो सकती हैl 4. अतः हम सूचित करते हैं कि बैंकों को आपस में क्रेडिट, डेरिवेटिव तथा अरक्षित (अनहेज्ड) विदेशी मुद्रा एक्सपोजरों से संबंधित सूचना के आदान-प्रदान करने संबंधी अनुदेशों का कड़ाई से पालन करना चाहिए तथा दिसंबर 2012 के अंत तक सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए प्रभावी प्रणाली स्थापित करनी चाहिएl दिनांक 01 जनवरी 2013 से नए/मौजूदा ग्राहकों को किसी भी प्रकार का नया ऋण/तदर्थ ऋण/ऋण का नवीकरण आवश्यक सूचना का आदान-प्रदान/प्राप्त करने के बाद ही मंजूर किया जाना चाहिएl 5. बैंकों द्वारा उक्त अनुदेशों का अनुपालन न किये जाने की बात को भारतीय रिज़र्व बैंक गंभीरता से लेगा तथा जहां उपयुक्त समझा जाएगा, वहां उन पर कार्रवाई की जा सकती है जिसमें अर्थदंड लगाना शामिल हैl भवदीय (राजेश वर्मा) 30 अक्तूबर 2012 को घोषित मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा से उद्धरण 93. बैंकों के एनपीए और पुनर्संरचित ऋण महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ रहे हैं। बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में गिरावट का एक बड़ा कारण उनमें सूचना के प्रभावी आदान-प्रदान की कमी है बावजूद इसके कि सितंबर और दिसंबर 2008 में ऋण, डेरिवेटिव्स और अरक्षित (अनहेज्ड) विदेशी मुद्रा एक्सपोजर की जानकारी से संबंधित सूचना के साझा किए जाने(शेयर करने) से संबंधित विशिष्ट अनुदेश जारी किए गए हैं । इसलिए, यह सूचित किया जाता है कि:
94. इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश अलग से जारी किए जा रहे है । |