दो निवासी कंपनियों के बीच हुए समझौते के तहत गैर-निधि आधारित सुविधाओं के लिए अनिवासी गारंटी - आरबीआई - Reserve Bank of India
दो निवासी कंपनियों के बीच हुए समझौते के तहत गैर-निधि आधारित सुविधाओं के लिए अनिवासी गारंटी
भारिबैंक/2012-13/179 29 अगस्त 2012 सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, दो निवासी कंपनियों के बीच हुए समझौते के तहत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंकों का ध्यान 26 सितंबर 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 29/2000-आरबी अर्थात गारंटी के आह्वान पर भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति को भुगतान, 30 मार्च 2001 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 28 और 1 अगस्त 2005 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है जो बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित हैं। 2. भारत में निवासी दो व्यक्तियों के बीच भारतीय रुपए में उधार लेने और उधार देने के कार्य विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के उपबंधों को आकृष्ट नहीं करते हैं। ऐसे मामले, जहां रुपए में ऋण भारत से बाहर के किसी निवासी व्यक्ति की गारंटी पर दिए जाते हैं, वहां विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेन तब तक शामिल नहीं होता है जब तक कि गारंटी का आह्वान नहीं किया जाता है और अनिवासी गारंटीदाता से गारंटी की राशि अदा करने की अपेक्षा नहीं की जाती है। रिज़र्व बैंक ने 26 सितंबर 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 29/2000-आरबी के मार्फत भारत में निवासी व्यक्ति, जो कर्ज लेने वाला प्रधान व्यक्ति है (debtor), को गारंटी के अंतर्गत दायित्व वहन करने वाले भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति को भुगतान करने के लिए आम अनुमति दी है । 3. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि, आम अनुमति के तहत, अनिवासी गारंटी सुविधा जो भारत में निवासी दो व्यक्तियों के बीच हुए समझौते के लिए उपलब्ध है को गैर-निधि आधारित सुविधाओं (साखपत्र/गारंटी/वचन-पत्र/चुकौती आश्वासन पत्र) के लिए बढ़ा दिया जाए। गारंटी के अंतर्गत अनिवासी गारंटीदाता द्वारा दायित्व की अदायगी और उसके बाद प्रधान कर्ज लेने वाले द्वारा दायित्व की अदायगी के तरीके अब तक की भाँति 30 मार्च 2001 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 28 में दिए गए निर्देशानुसार जारी रहेंगे। 4. यह भी निर्णय लिया गया है कि इस प्रकार जारी और आह्वान की गयी गारंटियों के आँकड़े एकत्र करने के लिए एक रिपोर्टिंग फॉर्मेट प्रारंभ किया जाए। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों से अपेक्षित है कि वे प्रत्येक तिमाही के लिए इस बाबत अपनी सभी शाखाओं के आँकड़ों को संलग्न अनुबंध में दिए गए फॉर्मेट में समेकित करके मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, बाह्य वाणिज्यिक प्रभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय भवन, 11वीं मंज़िल, फोर्ट मुंबई 400001 को इस प्रकार भेजें कि वे अनुवर्ती माह की 10 तारीख तक (एमएस एक्सेल फाइल में ई-मेल से भी भेजें) विभाग को प्राप्त हो जाएं । 5. इस संबंध में प्राप्त अनुभव के आधार पर उचित समय पर नीति की समीक्षा की जाएगी । 6. इस नीति में किए गए संशोधन इस परिपत्र की तारीख से लागू होंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें । 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (रश्मि फौज़दार) |