दो निवासी कंपनियों के बीच हुए समझौते के तहत गैर-निधि आधारित सुविधाओं के लिए अनिवासी गारंटी - आरबीआई - Reserve Bank of India
दो निवासी कंपनियों के बीच हुए समझौते के तहत गैर-निधि आधारित सुविधाओं के लिए अनिवासी गारंटी
भारिबैंक/2014-15/387 6 जनवरी 2015 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया/महोदय दो निवासी कंपनियों के बीच हुए समझौते के तहत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 29 अगस्त 2012 के ए॰पी॰(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं॰ 20 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार गैर-निधि आधारित सुविधाओं के लिए अनिवासी गारंटी जैसे कि साखपत्र/गारंटी/वचन-पत्र/चुकौती आश्वासन पत्र भारत में निवासी दो व्यक्तियों के बीच हुये समझौते के मार्फत, आम अनुमति मार्ग के तहत, अनुमत हैं। 2. यह स्पष्ट किया जाता है कि उक्त परिपत्र के उपबंधों के तहत, निवासी जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सहायक कंपनिया हैं, अपने विदेशी मुद्रा जोखिम को भी अपने अनिवासी समूह की एंटीटी की गारंटी के आधार पर भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के साथ किए गए अनुमेय डेरीवेटिव समझौते के माध्यम से हेज कर सकते हैं। गारंटी के अंतर्गत अनिवासी गारंटीदाता द्वारा दायित्व की अदायगी और उसके बाद प्रधान कर्ज लेने वाले द्वारा दायित्व की अदायगी के तरीके, अब तक की भाँति, 30 मार्च 2001 के ए॰पी॰ (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं॰ 28 में अंतर्विष्ट उपबंधों के अनुसार विनिमित होते रहेंगे। 3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ ग्राहकों को अवगत कराएं । 4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीय, (बी॰पी॰कानूनगो) |