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ओटीसी डेरिवेटिव संविदा का नवीयन

आरबीआई/2013-14/406
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 76/21.04.157/2013-14

09 दिसंबर 2013

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्‍थानीय क्षेत्र के बैंकों को छोड़कर)
अखिल भारतीय मीयादी ऋण देनेवाली एवं पुनर्वित्‍त प्रदान करने वाली संस्‍थाएं

महोदया/महोदय

ओटीसी डेरिवेटिव संविदा का नवीयन

कृपया ‘डेरिवेटिव के संबंध में व्‍यापक दिशानिर्देशों’ पर 20 अप्रैल 2007 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 86/21.04.157/2006-07 और डेरिवेटिव के संबंध में व्‍यापक दिशानिर्देशः संशोधन पर 2 नवंबर 2011 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 44/21.04.157/2011-12 देखें जिसमें ओटीसी डेरिवेटिव संविदा के नवीयन की अनुमति दी गई है। बैंकों से प्राप्‍त संदर्भों को ध्‍यान में रखते हुए नवीयन पर परिचालन संबंधी मार्गदर्शन संलग्‍न है।

भवदीय

(चंदन सिन्‍हा)
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक


ओटीसी डेरिवेटिव संविदा का नवीयन

1. नवीयन

नवीयन ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन के दो प्रतिपक्षकारों के बीच संविदा के बदले में (अंतरणकर्ता1, जो विद्यमान सौदे से स्‍वयं को अलग कर लेता है, और शेष पक्ष2) शेष पक्ष और तृतीय पक्ष (अंतरिती3) के बीच नयी संविदा है। अंतरिती शेष पक्ष के लिए नया प्रतिपक्षकार हो जाता है। नवीयन शेष पक्ष की पूर्व-सहमति4 से ही किया जा सकता है।

2. नवीयन का उद्देश्‍य

बैंकों और विलय/अधिग्रहण द्वारा व्‍यापार/व्‍यापार विविधता के समापन जैसे कार्यों से निपटने के लिए नवीयन का प्रयोग प्रतिपक्षकार एक्‍सपोजर और प्रतिपक्षकार क्रेडिट जोखिम के प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।

3. नवीयन की प्रणाली

3.1 नवीयन के अंतर्गत तीन पक्षों – अंतरणकर्ता, शेष पक्ष और अंतरिती के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्‍ताक्षर किया जाता है, जिसमें अंतरिती शेष पक्ष का सामना करने के लिए संविदा में प्रवेश करता है और अंतरणकर्ता उससे स्‍वयं को अलग कर लेता है। मूल संविदा समाप्‍त हो जाती है और उसे काल्‍पनिक राशि, परिपक्‍वता तिथि इत्‍यादि जैसी समान शर्तों/मापदंडों वाली नयी संविदा से बदला जाता है, जो शेष पार्टी के लिए प्रतिपक्षकार में परिवर्तन को छोड़कर मूल संविदा हो जाती है।

3.2 अंतरणकर्ता और शेष पक्ष एक दूसरे के प्रति मूल लेनदेन के अंतर्गत अपने-अपने दायित्‍वों से मुक्‍त हो जाते हैं और एक दूसरे के प्रति उनके अधिकार रद्द कर दिए जाते हैं। मूल लेनदेन के मामले के समान ये अधिकार और दायित्‍व शेष पक्ष और अंतरिती के मध्‍य नये लेनदेन में फिर से लागू हो जाते हैं।

3.3 नवीयन के परिणामस्‍वरूप अंतरणकर्ता से अंतरिती को डेरिवेटिव संविदा से उत्‍पन्‍न होने वाले प्रतिपक्षकार क्रेडिट जोखिम और बाजार जोखिम का अंतरण होना चाहिए।

3.4 नवीयन लेनदेन के अंतर्गत नवीयन तिथि को विद्यमान बाजार दर पर डेरिवेटिव संविदा के बाजार आधारित मूल्‍यांकन के अनुरूप राशि का विनिमय अंतरणकर्ता और अंतरिती के बीच होना चाहिए, जो लेनदेन के द्वारा वास्‍तव में आर्थिक रूप से प्रभावित होते हैं। बाजार आधारित मूल्‍यांकन का यह विनिमय अग्रिम तौर पर किया जाना चाहिए5। नवीयन लेनदेन के कारण शेष पक्ष के लिए कोई नकद प्रवाह नहीं होना चाहिए।

3.5 व्‍यापार के अंतरण के लिए अंतरणकर्ता और अंतरिती के बीच प्रभार/शुल्‍क के संबंध में सहमत हो सकता है। शुल्‍क‍ और उनके निपटान संबंधी शर्तें नवीयन समझौते का भाग नहीं हो सकती हैं, क्‍योंकि इन व्‍यवस्‍थाओं से शेष पक्ष पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

3.6 मूल संविदा और अंतर्निहित एक्‍सपोजर से संबंध रखने वाला कोई भी दस्‍तावेज नवीयन समझौते के भाग के रूप में अंतरणकर्ता से अंतरिती को अंतरित किया जाना चाहिए।

4. प्रलेखीकरण

शामिल तीनों पक्ष इस उद्देश्‍य के लिए मानक नवीयन समझौते का प्रयोग कर सकते हैं।

5. अन्‍य शर्तें

5.1 अंतरणकर्ता बैंक एक डेरिवेटिव संविदा का नवीयन केवल तभी कर सकता है, जब उक्‍त संविदा अंतरणकर्ता की बहियों में निम्‍नलिखित न्‍यूनतम अवधि के लिए धारित की गई हो:

  • एक वर्ष तक की मूल परिपक्‍वता वाली संविदा के लिए छः माह, और
  • एक वर्ष से अधिक की मूल परिपक्‍वता वाली संविदा के लिए नौ महीने।

तथापि, यह शर्त उन मामलों में लागू नहीं होंगी जहां अंतरणकर्ता बैंक व्‍यापार का समापन कर रहा हो अथवा परिसमापन के अधीन हो।

5.2 अंतरिती बैंक केवल तभी नवीयन कर सकता है जब शेष पक्ष इसका घटक उधारकर्ता हो।

5.3 अंतरणकर्ता बैंक 'डेरिवेटिव के संबंध में व्‍यापक दिशानिर्देशःसंशोधन' पर दिनांक 2 नवंबर 2011 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 44/21.04.157/2011-12 और 'जोखिम प्रबंधन और अंतर बैंक व्‍यापार' विषय पर विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा जारी मास्‍टर परिपत्र में यथापेक्षित स्‍वतंत्र रूप से आवश्‍यक उचित सावधानी बरतें।


1 लेनदेन में ऐसा पक्ष जो नवीयन द्वारा अंतरिती को शेष पक्ष से संबंधित अपने सभी अधिकार, देयताएं, कर्तव्‍य और दायित्‍व के अंतरण का प्रस्‍ताव रखता हो और शेष पक्ष के प्रति उसका उन्‍मोचन करता हो।

2 लेनदेन में ऐसा पक्ष जिसकी सहमति नवीयन द्वारा अंतरणकर्ता के अंतरण के संबंध में अपेक्षित हो अथवा जिसने इसके लिए सहमति दे दी हो और ऐसे शेष पक्ष के संबंध में अंतरणकर्ता के अधिकारों, देयताओं, कर्तव्‍यों और दायित्‍वों को अंतरिती द्वारा स्‍वीकार कर लिया गया हो।

3 लेनदेन में ऐसा पक्ष जो शेष पक्ष के संबंध में अंतरणकर्ता के सभी अधिकारों, देयताओं, कर्तव्‍यों और देयताओं को नवीयन द्वारा अंतरणकर्ता के अंतरण को स्‍वीकार करने का प्रस्‍ताव रखता हो अथवा स्‍वीकार कर लिया हो।

4 शेष पक्ष को संपूर्ण विवेकाधिकार होगा और वह प्रस्‍तावित नवीयन को नामंजूर कर सकता है। ऐसी नामंजूरी साख, परिचालनगत, लेखांकन अथवा अन्‍य कारण से हो सकती है।

5 अंतरिती अपनी बहियों में अवशिष्‍ट परिपक्‍वता के लिए डेरिवेटिव लेनदेन दर्शाने के उद्देश्‍य से तुलनपत्र प्रयोग प्रभार लगाना चाहेगा जिसके कारण अदा किया गया समुचित प्रतिफल बाजार आधारित मूल्‍यांकन से भिन्‍न हो सकता है।

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