डेरिवेटिव पर परिपूर्ण दिशानिर्देश : परिवर्तन - आरबीआई - Reserve Bank of India
डेरिवेटिव पर परिपूर्ण दिशानिर्देश : परिवर्तन
भारिबैं/2011-12/243 2 नवंबर 2011 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय डेरिवेटिव पर परिपूर्ण दिशानिर्देश : परिवर्तन कृपया डेरिवेटिव पर परिपूर्ण दिशानिर्देश के संबंध में 20 अप्रैल 2007 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 86/21.04.157/2006-07 देखें । उपयोगकर्ताओं को डेरिवेटिव उत्पाद ऑफर करने के संबंध में उक्त परिपत्र के पैरा 8.3 में वर्णित उपयुक्तता और औचित्य संबंधी नीति की समीक्षा पिछले चार वर्षों के दौरान दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन में प्राप्त अनुभवों के परिप्रेक्ष्य में की गयी थी और पैराग्राफ 8.3 का संशोधित संस्करण 2 अगस्त 2011 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 27/21.04.157/ 2010-11 के माध्यम से जारी किया गया था । 2. भारतीय विदेशी मुद्रा व्यापारी संघ (एफईडीएआई) तथा अन्य बाजार सहभागियों द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए 20 अप्रैल 2007 के परिपत्र के पैराग्राफ 6 तथा 2 अगस्त 2011 के परिपत्र के परिवर्तित पैराग्राफ 8.3 को संशोधित कर दिया गया है । संशोधित पैराग्राफ अनुबंध में दिये गये हैं । (जो अंश हटाया गया है उसे 3. संशोधित दिशानिर्देश 1 जनवरी 2012 से लागू होंगे । भवदीय (दीपक सिंघल) 6. मार्केट मेकर्स द्वारा डेरिवेटिव लेनदेन करने के लिए स्थूल सिद्धांत
6.1 सामान्य (जेनेरिक) डेरिवेटिव उत्पादों के अलावा मार्केट मेकर्स उपयोगकर्ताओं को संरचित डेरिवेटिव उत्पाद भी प्रदान कर सकते हैं बशर्ते उनके पास कोई डेरिवेटिव लिखत जमानत के रूप में न हो और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इसके लिए उन्हें विशेष रूप से अनुमति दी गई हो । इस परिपत्र1 में निहित दिशानिर्देशों के प्रयोजन के लिए, क. किसी मौजूदा ब्याज दर तथा विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र की प्रतिरक्षा के लिए पृथक आधार पर प्रयुक्त निम्नलिखित डेरिवेटिव लिखतों को सामान्य डेरिवेटिव उत्पाद के रूप में माना जा सकता है
ख. निम्नलिखित डेरिवेटिव उत्पादों को संरचित डेरिवेटिव उत्पाद के रूप में माना जा सकता है :
6.2 मार्केट मेकर निम्नलिखित दृष्टिकोण के आधार पर संरचित उत्पादों सहित सभी डेरिवेटिव लिखतों का उचित मूल्य निर्धारित करने की स्थिति में होना चाहिए : क. उत्पाद बाज़ार दर पर मूल्यांकित (मार्किंग टू मार्केट) हो, यदि उस उत्पाद के लिए नकद (लिक्विड) बाज़ार विद्यमान हो। ख. संरचित उत्पादों के मामले में सामान्य लिखत घटकों को बाज़ार दर पर मूल्यांकित किया जाए। ग. यदि (क) ओर (ख) व्यवहार्य नहीं हैं तो उत्पाद का मूल्य मॉडल के अनुसार हो, बशर्ते :
यह सुनिश्चित किया जाए कि संरचित उत्पादों में ऐसा कोई डेरिवेटिव न हो जिसकी पृथक आधार पर अनुमति नहीं है। 6.3 सभी अनुमत डेरिवेटिव लेनदेनों, जिसमें आवर्तन, पुनर्विन्यास तथा नवीकरण शामिल है, की संविदा प्रचलित बाज़ार दरों पर होगी । 6.4 डेरिवेटिव एक्सपोज़र से उत्पन्न होने वाले सभी जोखिमों का लेनदेन के स्तर पर तथा पोर्टफोलियो के स्तर पर विश्लेषण और प्रलेखन होना चाहिए। 6.5 डेरिवेटिव गतिविधियों का प्रबंधन समग्र जोखिम प्रबंधन नीति तथा तंत्र का एक अभिन्न अंग होना चाहिए। यह वांछनीय है कि निदेशक बोर्ड तथा वरिष्ठ प्रबंधन की जानेवाली डेरिवेटिव गतिविधियों से जुड़े जोखिमों को समझें । 6.6 मार्केट मेकरों के पास इन दिशानिर्देशों में बताए गए अनुसार ऑफर किए जानेवाले उत्पादों के संदर्भ में उपयोगकर्ताओं की दृष्टि से `उपयुक्तता और औचित्यपूर्णता नीति' हो। 6.7 मार्केट मेकर जहां कहीं आवश्यक समझें वहां उपयोगकर्ताओं द्वारा किए गए डेरिवेटिव लेनदेनों के संदर्भ में दैनिक बाज़ार मूल्य के आधार पर नकद मार्जिन /तरल संपार्श्विक रखें । 8.3 उपयुक्तता और औचित्यपूर्णता नीति इस पैराग्राफ में निहित दिशानिर्देश विदेशी मुद्रा वायदा संविदाओं को छोड़कर सभी अनुमत सामान्य तथा संरचित डेरिवेटिव उत्पादों पर लागू हैं । विदेशी मुद्रा वायदा संविदाओं पर 28 दिसंबर 2010 का परिपत्र एपी (डीआईआर) लागू रहेंगे । 8.3.1 डेरिवेटिव बाज़ार की तेज वृद्धि, विशेषत: स्ट्रक्चर्ड डेरिवेटिव की तेज वृद्धि ने मार्केट मेकर्स द्वारा ग्राहकों (यूजर्स) को दिये जा रहे डेरिवेटिव उत्पादों की `उपयुक्तता' तथा `औचित्य' तथा ग्राहक औचित्य पर ध्यान बढ़ा दिया है । मार्केट-मेकर्स को विशेषत: ग्रांहकों के साथ किए जानेवाले डेरिवेटिव लेनदेन जिम्मेदारी तथा सावधानी पूर्वक करने चाहिए जिससे अन्य बातों के साथ-साथ गलत बिक्री से बचा जा सकेगा । यह अनिवार्य है कि मार्केट मेकर्स सामान्यत: डेरिवेटिव उत्पाद और विशेषत: स्ट्रक्चर्ड उत्पाद केवल उन यूजर्स को दें जो इन लेनदेन में अतर्निहित जोखिम के स्वरूप को समझते हों और इसके साथ ही यह भी कि प्रस्तावित उत्पाद यूजर के व्यवसाय, वित्तीय परिचालनों, कुशलता तथा अत्याधुनिकता, आंतरिक नीतियों तथा जोखिम लेने की प्रवृत्ति से अनुरूप हैं । प्रारंभिक स्तर पर यूजर्स की संविदाओं के अंतर्गत जोखिम तथा भावी बाध्यताओं की कम समझ से संभाव्य विवाद हो सकते हैं तथा उसके परिणामस्वरूप मार्केट-मेकर्स की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंच सकती है । प्रति पार्टी यदि संविदा के अंतर्गत अपनी वित्तीय बाध्यताएं पूर्ण न कर पाए तो मार्केट मेकर्स को ऋण जोखिम का भी सामना करना पड़ सकता है । 8.3.2 यूजर्स को डेरिवेटिव उत्पाद प्रस्तुत करने से पूर्व मार्केट मेकर्स को उत्पादों की `यूजर औचित्य' तथा `उपयुक्तता' के संबंध में उचित सावधानी बरतनी चाहिए । प्रत्येक मार्केट मेकर को डेरिवेटिव व्यवसाय के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित `ग्राहक औचित्य तथा उपयुक्तता नीति' अपनानी चाहिए । 8.3.3 नीति का लक्ष्य विवेकपूर्ण स्वरूप का है : अर्थात् डेरिवेटिव लेनदेन के स्वरूप तथा जोखिम के संबंध में यूजर की अपर्याप्त समझ के कारण जो ऋण, प्रतिष्ठा तथा मुकदमेबाजी जोखिम उठ सकते हैं उनसे मार्केट मेकर को बचाना । सामान्यत: मार्केट मेकर्स को ऐसे यूजर्स
8.3.4 ग्राहकों को डेरिवेटिव उत्पाद ऑफर करने के पहले बैंकों को संबंधित कंपनी के बोर्ड से यह संकल्प प्राप्त करना चाहिए जिसमें क) उस कंपनी द्वारा बैंक को निर्धारित सीमा का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया हो । इस सीमा की निगरानी करते हुए बैंक कंपनी द्वारा बैंक के साथ की गई सभी बकाया डेरिवेटिव संविदाओं की पूर्ण सांकेतिक राशि को हिसाब में लेगा । दूसरे शब्दों में, दीर्घ एवं अल्पकालिक स्थितियों की सांकेतिक राशियों को निर्धारित सीमा के अनुपालन के प्रयोजन के लिए समायोजित नहीं किया जाएगा । ख) कंपनी की तरफ से विशेष डेरिवेटिव लेनदेन करने के लिए प्राधिकृत कंपनी के अधिकारियों के नाम तथा पदनाम का उल्लेख किया गया हो । ग) उन लोगों के नाम का उल्लेख किया गया हो जिन्हें बैंक द्वारा लेनदेन की सूचना दी जानी चाहिए । इन कार्मिकों को लेनदेन करने के लिए प्राधिकृत कार्मिकों से अलग होना चाहिए । घ) आईएसडीए तथा इसी प्रकार की करार करने के लिए प्राधिकृत व्यक्तियों के नाम एवं पदनाम का उल्लेख किया गया हो । ङ) विशिष्ट उत्पादों का उल्लेख किया गया हो जिनका लेनदेन संकल्प में पदनामित अधिकारियों द्वारा किया जा सकता है । यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कंपनी द्वारा प्रस्तुत बोर्ड के संकल्प पर लेनदेन करने के लिए प्राधिकृत व्यक्तियों से भिन्न किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर किए गए हों । 8.3.5 यूजर के साथ डेरिवेटिव लेनदेन करते समय (क) यह प्रलेखित करना चाहिए कि मूल्य निर्धारण किस तरह किया गया है तथा आवधिक मूल्यांकन कैसे किया जाएगा । स्ट्रक्चर्ड उत्पादों के मामले में, इस दस्तावेज में उत्पाद के जेनरिक तत्वों का विश्लेषण होना चाहिए ताकि एक ओर उसकी स्वीकार्यता दर्शाई जाए तथा दूसरी ओर उसकी कीमत तथा आवधिक मूल्यांकन सिद्धांत स्पष्ट हों । कोई भी बैंक उस उत्पाद में बाजार निर्माता नहीं बन सकता जिसमें वह स्वतंत्र रूप से मूल्य निर्धारण न कर सके । यह उन सौदों पर भी लागू होगा जो बैक-टु-बैक आधार पर किये जाते हैं । इसी प्रकार भारत में परिचालन करने वाले विदेशी बैंक खास उत्पादों के बाजार निर्माता तभी बन सकते हैं जब भारत में स्थानीय रूप से उन उत्पादों का मूल्य निर्धारण करने की उनके पास क्षमता हो । ऐसे उत्पादों का मूल्य निर्धारण सब समय स्थानीय रूप से दर्शाया जाना चाहिए, खास कर जब भी भारतीय रिज़र्व बैंक इस प्रकार का प्रमाण मांगे । यूजर के साथ निम्नलिखित जानकारी बांटी जाए : i) लेनदेन का वर्णन ख) प्रस्तावित डेरिवेटिव लेनदेन के यूजर पर प्रत्याशित प्रभाव का विश्लेषण करना । ग) यह सुनिश्चित करना कि क्या यूजर के पास डेरिवेटिव लेनदेन करने के लिए उचित प्राधिकार है तथा क्या यूजर के बोर्ड ज्ञापन/नीति, डेरिवेटिव लेनदेन के अनुमोदन के स्तर, निर्णय लेने में तथा उसके द्वारा किए गए डेरिवेटिव कार्यकलापों की निगरानी में वरिष्ठ प्रबंधन के सहभाग के अनुसार डेरिवेटिव के विशिष्ट प्रकारों के प्रयोग पर कोई सीमाएं हैं । घ) यह निर्धारित करें कि क्या प्रस्तावित लेनदेन डेरिवेटिव लेनदेन के संबंध में यूजर की नीतियों तथा क्रियाविधियों से अनुरूप हैं क्योंकि वे मार्केट मेकर को पता होती हैं । ङ) यह सुनिश्चित करें कि संविदा की शर्तें स्पष्ट हैं और मूल्यांकन करें कि क्या यूजर संविदा की शर्तें समझने के लिए तथा संविदा के अंतर्गत अपनी बाध्यताओं को पूर्ण करने के लिए सक्षम है । च) जहां मार्केट-मेकर को ऐसा लगता है कि कोई प्रस्तावित डेरिवेटिव लेनदेन ग्राहक के लिए उचित नहीं है वहां मार्केट-मेकर को ग्राहक को अपनी राय से अवगत कराना चाहिए । यदि ग्राहक फिर भी आगे बढ़ना चाहता है तो मार्केट मेकर को अपना विश्लेषण तथा ग्राहक के साथ हुई चर्चाओं को अपनी फाइलों में प्रलेखित करना चाहिए ताकि लेनदेन से ग्राहक का नुकसान होने की स्थिति में मुकदमे की संभाव्यता कम हो । ऐसे लेनदेन के लिए मार्केट-मेकर तथा यूजर दोनों के स्तर पर अनुमोदन अगले उच्चतर प्राधिकारी के स्तर पर लिया जाना चाहिए । छ) यह सुनिश्चित करें कि संविदा की शर्तें सुलिखित हैं, जिनमें रिस्क डिस्क्लोजर विवरण के रूप में ग्राहक को प्रस्तावित लेनदेन में अंतर्निहित जोखिम के बारे में बताया गया है । रिस्क डिस्क्लोजर विवरण में एक विस्तृत सिनॉरियो एनालिसिस (दोनों सकारात्मक तथा नकारात्मक) तथा अंडरलाइंग मार्केट वेरियेबल्स जैसे ब्याज दर तथा मुद्रा दर आदि के विभिन्न संयोजनों के अंतर्गत मात्रात्मक आधार पर पेआउट्स, सिन्रियो एनालिसिस के लिए पूर्वानुमान तथा काउंटर पार्टी से इस आशय की लिखित प्राप्ति सूचना प्राप्त करना कि उन्होंने रिस्क डिस्क्लोजर विवरण को पढ़ा तथा समझा है, होना चाहिए । ज) गलतफहमियों की संभावना से बचने के लिए मार्केट-मेकर तथा यूजर के बीच के सभी महत्वपूर्ण संप्रेषण लिखित होना चाहिए अथवा बैठक की टिप्पणों में रिकार्ड किया जाना चाहिए । (झ) यह सुनिश्चित करें कि लेनदेन प्रचलित बाज़ार दरों पर किए जाते हैं तथा उन लेनदेन से बचें जिनके परिणामस्वरूप लाभ अथवा हानि की तेजी/आस्थगन हो । (ञ) ग्राहक विवादों तथा शिकायतों के निपटान के लिए आंतरिक क्रियाविधियां स्थापित की जानी ट) बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे स्ट्रक्चर्ड डेरिवेटिव उत्पाद में कारोबार के लिए इच्छुक कंपनियों से बोर्ड संकल्प प्राप्त करेंजिनमें निम्नलिखित बातें कही गयी हों: i) कंपनी के पास एक जोखिम प्रबंध नीति है जो उसके बोर्ड द्वारा अनुमोदित है तथा जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं :
(ठ) बाजार निर्माताओं को ऐसे यूजर्स के साथ डेरिवेटिव लेनदेन तब तक नहीं करने चाहिए जब तक कि वे बोर्ड का या समकक्ष मंच का एक संकल्प दें जिसमें यह कहा गया हो कि उनके पास बोर्ड अनुमोदित जोखिम प्रबंध नीति है जिसमें ऊपर उल्लिखित ब्यौरे हैं । 8.3.6 यह भी नोट किया जाए कि `ग्राहक औचित्य तथा उपयुक्तता' समीक्षा की जिम्मेदारी मार्केट मेकर की है । बैंकों को अपने अनुपालन अधिकारी से यह अपेक्षा करनी चाहिए कि वह बैंक के निदेशक मंडल को एक मासिक रिपोर्ट दे जिसमें 1इस परिपत्र का अभिप्राय 20 अप्रैल 2007 के परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.86/21.04.157/2006-07 से है। |