अनिवासी विनिमय गृहों के रूपया/विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाते खोलना और उन्हें रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
अनिवासी विनिमय गृहों के रूपया/विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाते खोलना और उन्हें रखना
भारिबैं/2011-12/160 29 अगस्त 2011 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, अनिवासी विनिमय गृहों के रूपया/विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाते खोलना और उन्हें रखना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (एडी श्रेणी I) बैंकों का ध्यान अनिवासी विनिमय गृहों के रूपया/विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाते खोलने और उसे बनाये रखने से संबंधित अनुदेशों के ज्ञापन को अंतर्विष्ट करने वाले 06 फरवरी 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) सं. 28 (ए.पी.(एफएल/आरएल सिरीज) परिपत्र सं.02) तथा उसमें हुए अनुवर्ती संशोधनों की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. उल्लिखित परिपत्र के संलग्नक-। के पैरा (ए) (1) के अनुसार, रूपया आहरण व्यवस्था (आरडीएएस) के अंतर्गत, अनुमत प्रयोजनों के लिए आवक विप्रेषण खाडी देशों, हांगकांग तथा सिंगापुर में स्थित विनिमय गृहों के जरिये भारत में प्राप्त किये जाते हैं । उक्त व्यवस्था की व्याप्ति (विस्तार)अन्य अधिकार क्षेत्रों तक बढ़ाने की दृष्टी से, यह निर्णय लिया गया है कि केवल रूपया आहरण व्यवस्था (आरडीएएस) की सुविधा स्पीड विप्रेषण प्रणाली के रूप में मलेशिया स्थित विनिमय गृहों को भी दी जाए । 3. समय समय पर यथा संशोधित उल्लिखित परिपत्र के जरिये जारी अन्य अनुदेश यथावत् रहेंगे । 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 5. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीया, (डॉ.(श्रीमती) सुजाता एलिजाबेथ प्रसाद) |