अनिवासी विनिमय गृहों के रुपए / विदेशी मुद्रा वोस्ट्रो (Vostro) खाते खोलना एवं उनका रखरखाव : रुपया आहरण व्यवस्था (RDA) - आरबीआई - Reserve Bank of India
अनिवासी विनिमय गृहों के रुपए / विदेशी मुद्रा वोस्ट्रो (Vostro) खाते खोलना एवं उनका रखरखाव : रुपया आहरण व्यवस्था (RDA)
भा.रि.बैंक/2015-16/386 28 अप्रैल 2016 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक महोदया / महोदय, अनिवासी विनिमय गृहों के रुपए / विदेशी मुद्रा वोस्ट्रो (Vostro) सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 06 फ़रवरी 2016 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.28 [ए.पी.(एफ़एल /आरएल सीरीज़) परिपत्र सं.02] के पैरा (सी) 3 vii एवं अनिवासी विनिमय गृहों द्वारा रुपए /विदेशी मुद्रा वोस्ट्रो (Vostro) खाते खोलने एवं उनके रख-रखाव के विषय पर दिनांक 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश सं॰ 02 के पैराग्राफ-3(एच) एवं 5सी की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसमें शीघ्र विप्रेषण प्रक्रिया (Speed Remittance Procedure) के तहत रुपया आहरण व्यवस्था में अन्य बातों के साथ साथ संपार्श्विक कवर (Collateral Cover) संबंधी यह शर्त थी कि विनिमय गृह, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों के पास तीन दिन के अनुमानित आहरण के समतुल्य राशि, जिस पर बाजार से संबंधित दर पर ब्याज का भुगतान किया सके, को किसी भी परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में नकद जमाराशि (Cash Deposit) के रूप में रखेंगे। विनिमय गृह किसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित बैंक की गारंटी के रूप में भी उक्त संपार्श्विक (Collateral) को रख सकते हैं। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक उक्त संपार्श्विक की पर्याप्तता की समीक्षा नियमित अंतराल पर करें। इस आवश्यकता को 27 नवम्बर, 2009 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 16 [ए.पी. (ऐफ ऐल /आर ऐल सीरीज़) परिपत्र सं.03] द्वारा रियायत दी गयी तथा संपार्श्विक अपेक्षाओं को एक दिन के अनुमानित आहरण (की समतुल्य जमाराशि) तक घटाया गया था। 2. शीघ्र विप्रेषण प्रक्रिया (Speed Remittance Procedure) के तहत विप्रेषण व्यवस्था को और भी सरल एवं सुचारु बनाने तथा विप्रेषणों को किफ़ायती बनाने हेतु यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे विनिमय गृहों (Exchange Houses), जिनके साथ बैंकों ने रुपया आहरण व्यवस्था की है, द्वारा संपार्श्विक या नकदी जमाराशि बनाए रखने की अनिवार्य अपेक्षा को समाप्त कर दिया जाए। प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को ऐसे कारकों के आधार पर संपार्श्विक आवश्यकता, यदि कोई हो, को निर्धारित करने की आज़ादी होगी जैसे - विप्रेषणों का पूर्व-निधियन (pre-funded), विनिमय गृह का ट्रैक रिकॉर्ड, विप्रेषण का आधार सकल (तत्काल) या निवल (फ़ाइल स्थानांतरण) है, आदि। उपर्युक्त कारकों को ध्यान में रखते हुए प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस संबंध में अपनी नीति खुद निर्धारित कर सकते हैं। 3. उपर्युक्त परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश सं. 02 को अद्यतन किया जा रहा है। ऊपर वर्णित परिपत्रों में दिये गए अन्य अनुदेश अपरिवर्तित बने रहेंगे। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबन्धित घटकों को अवगत कराएं । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय, (शेखर भटनागर) |