बैंकों द्वारा चालू खाता खोला जाना – अनुशासन की आवश्यकता - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों द्वारा चालू खाता खोला जाना – अनुशासन की आवश्यकता
आरबीआई/2015-2016/112 02 जुलाई 2015 अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक महोदय, बैंकों द्वारा चालू खाता खोला जाना – अनुशासन की आवश्यकता कृपया 15 मई 2004 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.सं.एलईजी.बीसी.84/09.07.005/2003-04 देखें जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे अत्यंत सतर्कता के साथ यह सुनिश्चित करें कि उनकी शाखाएं ऐसी संस्थाओं का चालू खाता न खोलें जो ऋणदाता बैंकों से विनिर्दिष्ट रूप से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त किए बिना ही बैंकिंग प्रणाली से (निधि-आधारित या गैर-निधि आधारित) ऋण सुविधाएं ले रही हैं। इसके अलावा, 04 अगस्त 2004 के परिपत्र बैंपविवि.सं.एलईजी.बीसी.22/09.07.005/2004-2005 के अनुसार यदि मौजूदा बैंकरों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है तो बैंक एक पखवाड़े की न्यूनतम प्रतीक्षा अवधि के बाद संभावित ग्राहकों का चालू खाता खोल सकते हैं। तथापि, हमें बैंकों के विरूद्ध शिकायतें मिल रही हैं कि वे हमारे पूर्वोक्त परिपत्रों में विनिर्दिष्ट सम्यक सतर्कता का पालन किए बिना ही चालू खाता खोल रहे हैं। 2. इस संबंध में हम “वित्तीय दबावों की शीघ्र पहचान, समाधान के लिए त्वरित कदम और ऋणदाताओं के लिए उचित वसूली: अर्थव्यवस्था में दबावग्रस्त आस्तियों को सशक्त करने के लिए ढांचा” पर 30 जनवरी 2014 को जारी भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं। इन दिशानिर्देशों के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी उधारकर्ताओं के ऋण एक्सपोजर से संबंधित डाटा के एकत्रीकरण, संग्रहण और प्रसार के लिए बड़े ऋणों से संबंधित सूचना का केंद्रीय निधान (CRILC) स्थापित किया है। बैंकों/वित्तीय संस्थाओं से अपेक्षित है कि वे 22 मई 2014 के परिपत्र डीबीएस.ओएसएमओएस.सं.14703/33.01.001/2013-14 में दी गई सूचना के अनुसार CRILC को सूचना रिपोर्ट करें। 3. ऋण अनुशासन, विशेष तौर पर बैंकों में एनपीए का स्तर कम करने, की आवश्यकता को देखते हुए बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे CRILC में उपलब्ध सूचना का उपयोग करें और सम्यक सतर्कता को केवल उस बैंक से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करने तक सीमित न करें जिससे ग्राहक अपनी घोषणा के अनुसार ऋण सुविधाएं प्राप्त कर रहा है। बैंकों को CRILC डाटाबेस में उपलब्ध डाटा से यह सत्यापन कर लेना चाहिए कि ग्राहक ने किसी अन्य बैंक से ऋण तो नहीं प्राप्त किया है। साथ ही बैंक उस अदाकर्ता बैंक से भी “अनापत्ति प्रमाणपत्र” मांगे जहां चेक के माध्यम से चालू खाता में आरंभिक जमा किया जाता है। 4. चूंकि इन अपेक्षाओं का लक्ष्य ऋण अनुशासन में सुधार लाना है, अनुपालन न करने वाले मामलों में यथोचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी । भवदीय, (सुधा दामोदर) |