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लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश

भा.रि.बैं./2016-17/81
बैंविवि.एनबीडी.सं.26/16.13.218/2016-17

6 अक्तूबर, 2016

लघु वित्त बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी

महोदया/महोदय,

लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश

कृपया लघु वित्त बैंकों को लाईसेंस प्रदान करने के संबंध में दिनांक 27 नवंबर 2014 के दिशानिर्देश (लाइसेंस प्रदान करने संबंधी दिशानिर्देश) देखें, जिसके अंतर्गत आवेदकों को भुगतान बैंकों की स्थापना करने के लिए सैद्धान्तिक अनुमोदन/ लाइसेंस प्रदान किए गए थे।

2. लघु वित्त बैंकों के कारोबार के भिन्न स्वरूप और उनके वित्तीय समावेशन पर फोकस को ध्यान में रखते हुए, इन बैंकों के लिए अलग से परिचालनगत दिशानिर्देशों की आवश्यकता की जाँच की गई। तदनुसार, लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश अनुबंध में दिए गए हैं।

3. बाजार जोखिम और परिचालन जोखिम के लिए विवेकपूर्ण ढांचों की जाँच की जा रही है तथा इस संबंध में अनुदेश अलग से जारी किए जाएंगे।

4. ये परिचालनगत दिशानिर्देश लाइसेंस प्रदान करने संबंधी दिशानिर्देशों के पूरक हैं तथा तत्काल प्रभावी होंगे।

भवदीय,

(एस. एस. बरिक)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश

1. विवेकपूर्ण विनियमन

लघु वित्त बैंकों (एसएफ़बी) के लिए विवेकपूर्ण विनियामक ढांचा मुख्यतः बासल मानदंडों पर ही आधारित होगा। तथापि, इन बैंकों के वित्तीय समावेशन पर फोकस को देखते हुए इसे उपयुक्त रूप से परिवर्तित किया जाएगा।

1.1 पूंजी पर्याप्तता ढांचा

न्यूनतम पूंजी अपेक्षा 15%
सामान्य इक्विटी टियर 1 6%
अतिरिक्त टियर 1 1.5%
न्यूनतम टियर 1 पूंजी 7.5%
टियर 2 पूंजी 7.5%
पूंजी संरक्षण बफर लागू नहीं
प्रति- चक्रीय पूंजी बफर लागू नहीं
एटी1 के परिवर्तन के लिए पूर्व-विनिर्दिष्ट ट्रिगर 31 मार्च 2019 तक 6% सीईटी1, और उसके बाद 7%

1.2 लीवरेज अनुपात

लीवरेज अनुपात 4.5% टियर I पूंजी से कुल एक्सपोजर के अनुपात के रूप में गणना

1.3 चलनिधि कवरेज अनुपात और निवल स्थिर निधीयन अनुपात

चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर), जैसा की अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होता है, लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होगा। लघु वित्त बैंकों के लिए एलसीआर के निर्धारित स्तर तक पहुँचने की संक्रमण अवधि इस प्रकार होगी:

  31 दिसंबर 2017 तक 1 जनवरी 2018 तक 1 जनवरी 2019 तक 1 जनवरी 2020 तक 1 जनवरी 2021 तक
न्यूनतम एलसीआर 60% 70% 80% 90% 100%

1.4 पूंजी मापन विधि (कैपिटल मेजरमेंट अप्रोच)

ऋण जोखिम ऋण जोखिम के लिए बासल II मानक विधि। इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि रेटेड एक्सपोजर के लिए बाहरी रेटिंग पर आधारित जोखिम-भार और छोटे खुदरा ऋणों के लिए विनियामक खुदरा अप्रोच की अनुमति है।

1.5 अंतर-बैंक उधार

लघु वित्त बैंकों को वर्तमान ऋणों के परिपक्व होने या तीन वर्ष तक, जो भी पहले हो, अंतर-बैंक उधारों की वर्तमान उच्चतम सीमा से छूट दी जाएगी। इसके बाद इसकी स्थिति अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की तरह ही होगी। इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि परिचालन आरंभ करने के बाद लघु वित्त बैंकों द्वारा लिए उधार अंतर-बैंक उधार की सीमा के अधीन होंगे। उपर्युक्त छूट केवल उन विरासती उधारों पर लागू होगी, जो परिचालन आरंभ करने के दिन लघु वित्त बैंक के तुलन पत्र पर लाए गए हैं।

1.6 निवेश वर्गीकरण और मूल्य निर्धारण मानदंड

इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको पर लागू वर्तमान प्रावधान (1 जुलाई 2015 का मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं./2015-16/97 बैंविवि सं बीपी.बीसी.6/21.04.141/2015-16 तथा इसके बाद जारी अन्य परिपत्र देखें) लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

1.7 विनियामक सीमाओं सहित ऋणों और अग्रिमों पर प्रतिबंध (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को ऋण दिए जाने सहित)

इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको पर लागू वर्तमान प्रावधान (मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं./2015-16/95 बैंविवि.सं.डीआईआर.बीसी.10/13.03.00/2015-16 तथा 1 जुलाई 2015 का मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं./2015-16/36 बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.5/21.04.172/2015-16 तथा इसके बाद जारी अन्य परिपत्र देखें) लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

1.8 आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और ऋण सुविधाओं की पुनर्रचना सहित अग्रिमों पर प्रावधानीकरण मानदंड

इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको पर लागू वर्तमान प्रावधान (1 जुलाई 2015 का मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं./2015-16/101 बैंविवि सं बीपी.बीसी.2/21.04.048/2015-16 तथा इसके बाद जारी अन्य परिपत्र देखें) लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

1.9 ऋण जोखिम अंतरण और पोर्टफोलियो खरीद/ बिक्री: प्रतिभूतीकरण, ऋण पोर्टफोलियो का समनुदेशन और सीधी बिक्री, अनर्जक आस्तियों की बिक्री, गारंटी, एलसी, एसबीएलसी, सह-स्वीकृति, ऋण डेरिवेटिव और अंतर-बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र, अंतरण वित्तपोषण

  1. लघु वित्त बैंकों को प्रतिभूतीकरण बाजार में केवल संबंधित ऋण संवर्धन और चलनिधि सहायकों के प्रवर्तक और प्रदाता के रूप में भाग लेने की अनुमति होगी।

  2. लघु वित्त बैंकों के लिए निम्नलिखित अन्य ऋण जोखिम अंतरण लेन- देनों की अनुमति होगी:

ऋण जोखिम लेना अनुमति की स्थिति ऋण जोखिम अंतरित करना अनुमति की स्थिति
मानक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत ऋणों के पोर्टफोलियो की खरीद अनुमति केवल बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं से खरीद के लिए है, जिसका 40% पीएसएल लक्ष्य के भीतर उप- लक्ष्य प्राप्त करना होगा, जैसाकि वाणिज्यिक बैंकों पर लागू है। मानक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत ऋणों के पोर्टफोलियो/ वैयक्तिक(एकल) ऋणों की बिक्री अनुमत
अनर्जक आस्तियों की खरीद अनुमति नहीं अनर्जक आस्तियों की बिक्री अनुमत
बैंक गारंटी/एलसी/एसबीएलसी/को- एक्सेप्टेन्स जारी करना अनुमत बैंक गारंटी/एलसी/एसएलबीसी/को- एक्सेप्टेन्स प्राप्त करना अनुमत
अंतर-बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र और पीएसएल प्रमाणपत्र में निवेश करना 40% पीएसएल लक्ष्य के भीतर उप- लक्ष्य प्राप्त करने के विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए, जैसाकि वाणिज्यिक बैंकों पर लागू है। अंतर-बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र और पीएसएल प्रमाणपत्र जारी करना अनुमत
ऋण डेरिवेटिव में निवेश करना अनुमति नहीं ऋण डेरिवेटिव जारी करना अनुमति नहीं
लघु वित्त बैंकों द्वारा अन्य बैंकों के ऋणों का अंतरण वित्तपोषण करना अनुमति नहीं लघु वित्त बैंकों के ऋणों का बैंकों और मीयादी ऋणदात्री संस्थाओं द्वारा अंतरण वित्तपोषण करना। अनुमत

1.10 पैरा- बैंकिंग गतिविधियां

  1. लघु वित्त बैंकों को जारी किए गए लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों और संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में अनुमत गतिविधियों को छोड़कर अन्य कोई पैरा-बैंकिंग गतिविधि करने की अनुमति नहीं होगी।

  2. लघु वित्त बैंकों को मालिकाना हेजिंग के लिए इंटरेस्ट रेट फ्यूचर्स (आईआरएफ़) का प्रयोग करने की अनुमति होगी। साथ ही, विदेशी मुद्रा कारोबार के मामले में, लघु वित्त बैंकों को केवल मालिकाना हेजिंग के लिए डेरिवेटिवों का प्रयोग करने की अनुमति होगी, जैसा कि प्राधिकृत व्यापारी (एडी) श्रेणी II के लाइसेंसधारकों पर लागू होता है। इसके अतिरिक्त वर्तमान बाह्य वाणिज्यिक उधारों (ईसीबी) पर लिए गए फॉरवर्ड कवर के संबंध में पुराने नियम के पालन की अनुमति होगी। लघु वित्त बैंकों के लिए किसी और डेरिवेटिव और संरचित उत्पाद की अनुमति नहीं होगी।

2. जोखिम प्रबंधन

चूंकि लघु वित्त बैंकों के जोखिम और जोखिम प्रबंधन तकनीकें अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको जैसे ही हैं, अतः इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको पर लागू वर्तमान प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

3. सीआरआर, एसएलआर, प्रकटीकरण और सांविधिक/विनियामक रिपोर्टें

इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान (1 जुलाई, 2015 का मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं/2015-16/98 बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.24/12.01.001/2015-16 और उसके बाद जारी परिपत्र देखें) लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

4. स्वामित्व और नियंत्रण विनियमावली

इस संबंध में निजी क्षेत्र के बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान, जो कि निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा शेयर निर्गम और मूल्यन पर 21 अप्रैल, 2016 के मास्टर निदेश बैंविवि.पीएसबीडी.सं.95/16.13.100/2015-16 और निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व पर 12 मई 2016 के मास्टर निदेश बैंविवि.पीएसबीडी.सं.97/16.13.100/ 2015-16 में शामिल हैं, जो कि लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों में समाहित मौजूदा विनियमन में किए गए प्रावधानों को छोड़कर वे लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

5. कार्पोरेट अभिशासन

5.1 निदेशक मंडल का गठन और कार्य-कलाप

बैंकिंग कंपनियों पर लागू मौजूदा प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। विशेष तौर पर परिवर्तनीय संस्थाओं के मामले में, मौजूदा निदेशकों की नियुक्ति के निबंधन और शर्तें उनके वर्तमान कार्य अवधि के पूर्ण होने तक पुराने नियम के अनुसार होंगे।

5.2 बोर्ड की समितियों, प्रबंधन स्तर की समितियों का गठन और कार्य-कलाप, पारिश्रमिक नीतियां

इस संबंध में निजी क्षेत्र के बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

6. बैंकिंग परिचालन

6.1 शाखा प्राधिकरण नीति

  1. लघु वित्त बैंक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू शाखा प्राधिकरण नीति से संबंधित मौजूदा प्रावधानों (1 जुलाई, 2014 का मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं/2014-15/77 बैंपविवि.सं.बीएपीडी.बीसी. 7/22.01.001/2014-15 और उसके बाद जारी परिपत्र देखें) का पालन करें।

  2. लघु वित्त बैंकों से अपेक्षित है कि वे परिचालन प्रारम्भ करने की तिथि से एक वर्ष के भीतर अपनी 25% शाखाएं बैंक-रहित ग्रामीण केंद्रों में खोलें।

6.2 व्यवसाय प्रतिनिधियों का विनियमन

  1. लघु वित्त बैंक अपने व्यवसाय भागीदारों के स्वामित्व वाली कंपनियों और अपने स्वयं के समूह वाली कंपनियों सहित सभी अनुमत संस्थाओं को कुछ दूरी बनाए रखने के आधार पर “व्यवसाय प्रतिनिधि” (बीसी) नियुक्त कर सकते हैं। ये कंपनियां “प्रवेश स्थल (एक्सेस पाइंट)” के रूप में कार्यरत अपने कर्मचारियों के प्रबंधन में स्वयं की शाखाएं खोल सकती हैं अथवा “प्रवेश स्थल (एक्सेस पाइंट)” के प्रबंधन के लिए अन्य संस्थाओं/व्यक्तियों को नियुक्त कर सकती हैं, जिनका प्रबंधन उन संस्थाओं के कर्मचारियों द्वारा किया जा सकता है।

  2. उक्त मामलों में, विनियामक दृष्टिकोण से “प्रवेश स्थल (एक्सेस पाइंट)” पर किए जाने वाले व्यवसाय और बीसी नेटवर्क के प्रबंधन के लिए शृंखला में शामिल किए गए किसी अन्य मध्यवर्ती पक्षों सहित संगठनात्मक संरचना पर ध्यान दिए बिना शृंखला में शामिल सभी पक्षों के आचरण के लिए संबंधित बैंक उत्तरदायी होगा।

  3. बचत और चालू खाते खोलने के कार्य को छोड़कर, बीसी को अंतर-परिचालनीयता की अनुमति दी जाएगी।

  4. ऑफ-लाइन बीसी की अनुमति नहीं होगी; अर्थात, केवल ऐसे बीसी की अनुमति होगी जो ऑनलाइन लेनदेन करेंगे/लेनदेन के लिए पीओएस टर्मिनल का उपयोग करेंगे।

  5. लघु वित्त बैंकों को बीसी की कुछ संख्या/ बीसी के प्रबंधन वाले प्रवेश स्थल (एक्सेस पाइंट) के लिए आधार शाखा खोलने की अपेक्षा से छूट प्राप्त होगी, जैसा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को जारी भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों में वर्तमान में निर्धारित है।

6.3 बैंक प्रभार, लॉकर, नामांकन, विकलांग व्यक्तियों को सुविधाएं, इत्यादि

इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

6.4 निधियों की सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर), ब्याज दरों पर अन्य संबंधित विनियम और उधारदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता

अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

6.5 वित्तीय समावेशन और विकास

  1. लघु वित्त बैंकों को स्वयं सहायता समूहों को उधार देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

  2. उधार के पुराने नियम से संबंधित लाइसेंस प्रदान करने संबंधी दिशानिर्देश के पैरा 10 में निहित प्रावधान ऐसे मामलों पर लागू होंगे जहां मौजूदा एनबीएफसी/एमएफआई लघु वित्त बैंक स्थापित करते हैं और रूपांतरण के मामलों के अलावा, इस लघु वित्त बैंक को अपना व्यवसाय भी अंतरित करता है। इस संदर्भ में, आवेदक अंतिम लाइसेंस प्राप्त करने के बाद छूट (ग्रैंडफादरिंग) प्रदान की जाने वाली देयताओं के ब्योरे के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक से अलग से संपर्क करें, ताकि लगाए जाने वाले अतिरिक्त पूंजी प्रभार को अंतिम रूप दिया जा सके।

  3. ऋणदाता बैंक को ऐसे एनबीएफसी को दिए गए ऋणों के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के उधार (पीएसएल) संबंधी वर्गीकरण प्राप्त करने की तब तक अनुमति होगी जब तक कि ऐसे ऋणों से वित्तपोषित आस्तियां पीएसएल के लिए पात्र आस्तियां रहेंगी। उधारदाता बैंकों को प्राप्त इस व्यवस्था को लघु वित्त बैंक के प्रारंभिक तुलन पत्र पर मौजूदा अंतर्निहित आस्तियों द्वारा समर्थित वास्तविक उधार जमाशेष की सीमा तक, और अंतर्निहित ऋणों की चुकौती तक ही बढ़ाया जाएगा।

  4. बैंकों से प्राप्त उक्त ऋणों में से वित्तपोषित आस्तियों को लघु वित्त बैंक के संबंध में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र में गणना हेतु ‘समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी)’ के लिए उस सीमा तक मान्यता नहीं दी जाएगी, जहां तक कि उधारदाता बैंक को इस प्रकार के छूट प्राप्त ऋणों पर पीएसएल की स्थिति प्राप्त हो।

  5. इस प्रकार की बकाया राशि वाले छूट प्राप्त उधार से उत्पन्न किन्हीं नई आस्तियों अथवा परिचालन आरम्भ करने के बाद लघु वित्त बैंक द्वारा निर्मित नई आस्तियों को, सामान्य तौर पर, लघु वित्त बैंकों के एएनबीसी में मान्यता दी जाएगी और लघु वित्त बैंकों पर लागू पीएसएल मानदंड़ लागू होंगे।

  6. उपर्युक्त ट्रीटमेंट परिवर्तनीय वाली संस्थाओं के मामलों में छूट प्राप्त उधारों पर भी लागू होगा।

  7. लघु वित्त बैंक के परिचालन आरम्भ करने के बाद 31 मार्च को प्रथम लेखापरीक्षित तुलन पत्र लघु वित्त बैंक के लिए (आगामी वर्ष के लिए) प्रथम पीएसएल लक्ष्य का आधार होगा।

  8. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू आयात और निर्यात ऋण से संबंधित मौजूदा प्रावधान एडी श्रेणी II लाइसेंस धारक होने की संरचना के भीतर लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

7. बैंक जमाएं

(i) भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंककारी विनियमन अधिनियम के सभी प्रावधान और न्यूनतम जमाशेष, निष्क्रिय खाते, अदावी खातों, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा रखे जाने वाले जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि में ऐसी जमाओं के नियमित आधार पर अंतरण सहित, नामांकन, चेक/ड्राफ्ट, इत्यादि के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेश लघु वित्त बैंकों पर लागू होंगे।

(ii) लघु वित्त बैंक:

  • अपने विवेकानुसार जमा खातों के लिए पासबुक जारी कर सकते हैं;

  • प्रथम बार जमाराशि की इलेक्ट्रॉनिक पुष्टि देने के अलावा जमा का लिखित/मुद्रित प्रमाण देंगे;

  • यदि पासबुक जारी नहीं किया गया है, तो खाते का विवरण पंजीकृत पते पर छह महीने में एक बार निःशुल्क भेजेंगे;

  • अनुरोध प्राप्त होने पर प्रभार लेकर अथवा अन्यथा कागज पर खाते का विवरण दे सकते हैं;

  • एसएमएस और/ अथवा इंटरनेट बैंकिंग जैसे बहु-प्रयोक्ता अनुकूल साधनों के माध्यम से खाते संबंधी सूचना दे सकते हैं; और

  • प्रत्येक खाते के लेनदेन के लिए एसएमएस/ई-मेल/मुद्रित प्रमाण के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक पुष्टि प्रदान करें।

8. केवाईसी अपेक्षाएं

लघु वित्त बैंक अपने विवेकानुसार (अन्य सभी बैंकों की भांति) खाते खोलते समय लिखित हस्ताक्षर न लेने का निर्णय ले सकते हैं और इसके बजाय वे इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणीकरण/ पुष्टि की विधिक वैधता और प्रमाण पर अपना विश्वास जताते हुए बैंकिंग संबंध/ खाता संबंध की शर्तों के ऐसे प्रमाणीकरण/ पुष्टि पर निर्भर कर सकते हैं। तथापि, केंद्रीय केवाईसी रजिस्ट्री पर लागू विनियमावली सहित केवाईसी से संबंधित सभी मौजूदा विनियमावली, और इस संबंध में तत्पश्चात जारी कोई अनुदेश, जैसा कि वाणिज्यिक बैंकों पर लागू है, लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

9. विदेशी मुद्रा व्यवसाय

लघु वित्त बैंक निम्नलिखित कार्य करेंगे:

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के द्वारा जारी किए जाने वाले एडी श्रेणी II लाइसेंस से जुड़ी सभी शर्तों का अनुपालन।

  2. विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम, 2010 (जैसा कि वाणिज्यिक बैंकों पर लागू है) के प्रावधानों को लागू करना।

10. अन्य बैंकिंग सेवाएं

10.1 मुद्रा वितरण (जिसमें जाली और नकली नोटों का पता लगाना, करेंसी चेस्ट संबंधी सुविधाएं, नोट बदलने की सुविधाएं शामिल होंगी)

लघु वित्त बैंकों के पास यह विकल्प होगा कि वे अपनी शाखाओं में कटे-फटे और दोषपूर्ण नोटों को बदल सकते हैं। करेंसी चेस्ट के संबंध में वाणिज्यिक बैंकों पर लागू सभी मौजूदा विनियमन लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

10.2 ग्राहक शिक्षा और सुरक्षा

  1. विशेष सैटेलाइट कार्यालय/घर-घर (डोर-स्टेप) ग्राहक सेवा केंद्र से संबंधित ग्राहक शिकायत के सभी मुद्दों का निवारण केंद्रों और आधार शाखाओं दोनों में किया जाए।

  2. लघु वित्त बैंकों पर बैंकिंग लोकपाल (बीओ) योजना लागू होगी।

  3. लघु वित्त बैंकों द्वारा ग्राहक शिकायतों को प्रभावी ढंग से निपटाने और ग्राहकों से उनके संप्रेषण के लिए तैयार की गई प्रणाली, और शिकायत निवारण में विभिन्न स्तरों (घर-घर (डोर-स्टेप) ग्राहक सेवा केंद्र/सैटेलाइट कार्यालय, शाखा, नियंत्रक कार्यालय, मुख्यालय) की भूमिका की स्पष्ट सूचना लाइसेंस के लिए आवेदन के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रेषित की जाए।

  4. लघु वित्त बैंकों के बोर्ड द्वारा अनुमोदित ग्राहक सेवा नीति में लघु वित्त बैंकों द्वारा ग्राहक शिकायत के निराकरण की सतत और गहन निगरानी का प्रावधान होना चाहिए।

  5. भारतीय रिज़र्व बैंक प्रत्यक्ष और परोक्ष, दोनों निगरानी प्रणाली के माध्यम से बैंक के शिकायत निवारण प्रणाली का बारीकी से पर्यवेक्षण करेगा।

10.3 ऋण सूचना रिपोर्टिंग

(i) लघु वित्त बैंक सभी चार ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) के सदस्य बनें और भारतीय रिज़र्व बैंक के वर्तमान निदेशों के अनुसार ऋण संबंधी सम्पूर्ण डेटा उन्हें भेजें।

(ii) लघु वित्त बैंक ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) को बड़े चूककर्ताओं और इरादतन चूककर्ताओं के डेटा जारी करने और रिपोर्ट करने के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों का भी पालन करें।

11. परिचालन, इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग को ऑउटसोर्स करना

(i) इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे।

12. भारतीय लेखांकन मानक का कार्यान्वयन

लघु वित्त बैंकों के अनुसूचित बैंक बन जाने पर उन पर भारतीय लेखांकन मानक का कार्यान्वयन लागू होगा। उक्त को ध्यान में रखते हुए, यह अनुशंसा की जाती है कि लघु वित्त बैंक उक्त को अपनाना शुरू करें, ताकि बाद में लगने वाली पारवहन लागत से बचा जा सके।

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