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भारत में स्वामित्व प्रतिष्ठान/अपंजीकृत स्वामित्व फर्म द्वारा समुद्रपारीय निवेश-समीक्षा

भारिबैंक/2014-15/419
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.59

22 जनवरी 2015

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय,

भारत में स्वामित्व प्रतिष्ठान/अपंजीकृत स्वामित्व फर्म द्वारा समुद्रपारीय निवेश-समीक्षा

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथासंशोधित, 7 जुलाई 2004 की फेमा. अधिसूचना सं.120/आरबी-2004 [विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2004] (अधिसूचना) के उपबंधों की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा, समय-समय पर, जारी विदेश व्यापार नीति के अनुसार निर्यातकों की परिभाषा/वर्गीकरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि भारत में स्वामित्व प्रतिष्ठान/अपंजीकृत स्वामित्व फर्म द्वारा समुद्रपारीय निवेश करने से संबंधित नीतिगत ढांचे की समीक्षा की जाए। तदनुसार, अब से, भारत में स्वामित्व प्रतिष्ठान/अपंजीकृत स्वामित्व फर्म द्वारा निम्नलिखित संशोधित शर्तों के अनुपालन की अपेक्षा पूरी करने पर उनके समुद्रपारीय निवेश के प्रस्ताव पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत विचार किया जाएगा।

(ए) भारत सरकार, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा, समय-समय पर, जारी विदेश व्यापार नीति के अनुसार भारत में स्वामित्व प्रतिष्ठान/अपंजीकृत स्वामित्व फर्म को "स्टेटस होल्डर" के रूप में वर्गीकृत किया गया हो;

(बी) भारत में स्वामित्व प्रतिष्ठान/अपंजीकृत स्वामित्व फर्म का सिद्ध (proven) ट्रैक रेकार्ड हो अर्थात पिछले तीन वर्षों की निर्यात बकाया, औसत निर्यात वसूली के 10% से अधिक न हो एवं लगातार उच्च निर्यात निष्पादन बना रहा हो;

(सी) प्राधिकृत व्यापारी बैंक भारत में स्वामित्व प्रतिष्ठान/अपंजीकृत स्वामित्व फर्म द्वारा "अपने ग्राहक को जानने संबंधी मानदण्डों" के अनुपालन, प्रस्तावित कारोबार में संलग्न होने और उल्लिखित टर्नओवर के प्रति संतुष्ट हो;

(डी) भारत में स्वामित्व प्रतिष्ठान/अपंजीकृत स्वामित्व फर्म सरकारी एजेंसियों यथा प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो, आयकर विभाग, आदि की प्रतिकूल नोटिस में न आया हो/न आयी हो, भारतीय रिज़र्व बैंक की सतर्कता सूची में न हो तथा भारत में बैंकिंग प्रणाली की चूककर्ता सूची में न हो; और

(ई) भारत से बाहर निवेश की जाने वाली राशि इनके पिछले तीन वर्षों की औसत निर्यात वसूली योग्य राशि के 10 प्रतिशत अथवा भारत में स्वामित्व प्रतिष्ठान/अपंजीकृत स्वामित्व फर्म की निवल मालियत के 200 प्रतिशत, में से जो भी कम हो, से अधिक न हो।

3. उक्त अधिसूचना में आवश्यक संशोधन, 12 नवंबर 2014 की अधिसूचना सं. फेमा.325/आरबी-2014 (प्रतिलिपि संलग्न) के द्वारा जारी किए गए हैं और वे सरकारी राजपत्र में प्रकाशन की तारीख अर्थात 5 जनवरी 2015 से लागू हैं।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों एवं ग्राहकों को अवगत कराएं।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) तथा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अधीन अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(सी.डी.श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक

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